लखनऊ, बाराबंकी समेत छह जिलों के कार्ड धारक कहीं से भी ले सकेंगे राशन

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 लखनऊ 
प्रदेश भर में राशन पोर्टेबिलिटी लागू करने के लिए सरकार ने रविवार को कदम बढ़ा दिया। पहले चरण में  पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में लखनऊ समेत प्रदेश के छह जिलों के बीच अंतर जनपदीय राशन पोर्टेबिलिटी व्यवस्था लागू हो गई। यानी इन छह जिलों के कार्डधारक किसी भी जिले में अपनी मनचाही दुकान से राशन ले सकते हैं। इसके बाद यह व्यवस्था पूरे प्रदेश में लागू करने की योजना है।

राजधानी के करीब 6.5 लाख कार्डधारक अब जिले भर की 1266 राशन दुकानों से ही नहीं उन्नाव, कानपुर नगर, बाराबंकी, गौतमबुद्धनगर व हापुड़ की मनचाही राशन दुकान से सस्ता गेहूं-चावल ले सकेंगे। इससे राशन वितरण में पारदर्शिता आएगी और गरीब कार्डधारकों को सबसे अधिक फायदा होगा। डीएसओ लखनऊ सुनील कुमार सिंह बताते हैं कि लखनऊ में दो दिन तक इसकी जांच सफलता पूर्वक हुई है। रविवार से छह जिलों के बीच अंतर जनपदीय पोर्टेबिलिटी व्यवस्था लागू हो गई है।

रिस्तेदारी में जाएं वहीं ले अपना राशन
मजदूर व किसानों को इसका बड़ा फायदा मिलेगा। कार्डधारक राशन वितरण की तारीख पर अगर अपनी रिस्तेदारी में बाराबंकी, कानपुर, उन्नाव या अन्य तीन जिलों में जाता है तो वह वहीं के कोटेदार से गेहूं-चावल ले सकता है। डीएसओ सुनील सिंह बताते हैं कि ग्रामीणों को राशन के लिए किसी एक कोटेदार पर निर्भर नहीं रहना है। अगर कोटेदार राशन नहीं देता है तो वह इसकी शिकायत करें।

खत्म होगा कोटेदारों का एकाधिकार
शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में राशन पोर्टबिलिटी शुरू होने के बाद अब अंतर जनपदीय राशन पोर्टेबिलिटी लागू होने से कोटेदारों का एकाधिकार समाप्त होगा। इससे आने वाले दिनों में गांव की राजनीति पर भी बड़ा प्रभाव पड़ेगा। देखने में आया है कि गांवों में प्रधान और कोटेदार का और शहरों में पार्षद, सभासद व कोटेदारों का मजबूत गठजोड़ होता है। गांवों में प्रधान के पक्ष वालों को राशन मिलने में कोई दिक्कत नहीं होती। लेकिन प्रधान के खिलाफ ग्रामीणों को इसकी कीमत चुकानी पड़ जाती है।

इन जिलों के बीच लागू हुई अंतर जिला पोर्टेबिलिटी व्यवस्था
लखनऊ, उन्नाव, कानपुर नगर, बाराबंकी, गौतमबुद्धनगर व हापुड़  

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