September 22, 2024

 पीड़िता के गांव में पसरा है सन्नाटा, लोगों ने साध रखी है रहस्यमयी चुप्पी: उन्नाव कांड

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 उन्नाव
उन्नाव रेप पीड़िता ने दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में शुक्रवार देर रात करीब 11:40 बजे जिंदगी की जंग हार गई। गौरतलब है कि गुरुवार सुबर रेप पीड़िता जब कोर्ट में पेशी के लिए उन्नाव से रायबरेली जा रही थी तभी आरोपियाें ने उसे केरोसिन छीड़कर आग लगा दी थी, जिसमें वह 90 फीसदी झुलस गई थी। इस बर्बर घटना के बाद पीड़िता को लखनऊ के सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उसकी हालत में कोई सुधार नहीं होता देख डॉक्टरों ने दिल्ली रेफर कर दिया। रेप पीड़िता को गुरुवार की शाम एयरलिफ्ट कर लखनऊ से दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल लाया गया। पीड़िता ने शुक्रवार की रात 11 बजकर 40 मिनट पर आखिरी सांस ली।

इससे पहले गुरुवार को जब हिन्दुस्तान के रिपाेर्टर अमित त्रिपाठी जब पीड़िता के गांव पहुंचे तो उन्हें अजीब मंजर देखने को मिला। सुने पूरी कहानी उन्हीं की जुबानी… पीड़िता के गांव में अजीब सी खामोशी है। गुरुवार सुबह से ही पुलिस की चहलकदमी शुरू हो गई। शुक्रवार दोपहर को गांव के पुरुष गायब थे। जो थे वे घरों से नहीं निकले। गांव की गलियां शांत-खामोश और लगभग डरावनी सी लग रहीं थी। हर कोई डरा सहमा सा था। गांव का कोई भी व्यक्ति मुंह खोलने को तैयार नहीं था। मुंह क्या खोलते जब अपने घर का दरवाजा खोलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे। वे किसी भी झमेले में नहीं पड़ना चाहते थे। पीड़िता के घर पर एक दर्जन पुलिसकर्मी तैनात थे। हर कोई घटना को लेकर दुखी था। सिर्फ यही कह रहा था कि जो हुआ गांव के लिए अच्छा नहीं हुआ।
 
स्कूल में कम पहुंचे बच्चे
गांव के स्कूल में तैनात शिक्षक किसी भी टिप्पणी से बच रहे थे। सिर्फ यही बोले, जो हुआ बेहद दर्दनाक है। पूरे देश में किरकिरी हो रही है। बातचीत के दौरान थोड़ी जुबान फिसली तो बोले, शिवम की भी आदत ठीक नहीं थी। वह दोनों पक्षों को संदेह की नजर से देख रहे थे। स्कूल में 55 बच्चे पंजीकृत थे। सिर्फ 18 से 20 बच्चे ही आए थे। एमडीएम का चूल्हा ठंडा था। हालांकि स्कूल के लोगों का कहना था कि दोपहर का भोजन बंट गया है। बच्चे कम आने के सवाल पर एक महिला बोली, गांव में इतना बड़ा कांड हो गया है लोग दहशत में हैं। यह भी बताया कि कुछ अभिभावक तो स्कूल आकर अपने बच्चे को साथ ले गए, जिस मोहल्ले में प्रधान और पीड़िता का घर है. वहां से कोई भी बच्चा स्कूल नहीं आया।

सभी ने मिलकर छीन ली परिवार की खुशियां
हर कोई इस घटना से दुखी दिखा। गांव के एक बुजुर्ग ने कहा कि कई दशक में ऐसी घटना नहीं हुई। बोले, आज के युवाओं को पता नहीं क्या हो गया है। थोड़ी सी बात पर मरने-मारने को तैयार हो जाते हैं। मामला शांति से सुलझाया जा सकता था। बगल के मजरे से एक दिन पहले एक और लड़की कहीं चली गई। उसके घरवाले परेशान हैं। पीड़िता के घर पहुंचे सपा नेता पिता को आश्वासन दे रहे थे। पिता बोले, बेटी अंतिम सांसें गिन रही है। उस गरीब पर किसी ने तरस नहीं खाया। सभी ने मिलकर उसकी खुशियां छीन लीं। गरीबी में किसी तरह से पांच बेटियों और दो बेटों को पालकर बड़ा किया। क्या मालूम था कि छोटी बेटी के साथ ऐसा होगा। प्रधान के घरवाले हमेशा धमकी देते थे लेकिन हम गरीब थे कोई सुनता नहीं था। 

एक ही घर में पंद्रह साल है प्रधानी
आरोपितों के घर तीन पंचवर्षीय योजना से प्रधानी है। गांव में इस परिवार की एक धाक है। कोई मुंह खोलने की हिम्मत नहीं करता। गांव के तमाम लोगों का झुकाव भी प्रधान की ओर रहता है। गरीब इसलिए उनके खिलाफ मुंह नहीं खोलता कि कोटेदार के यहां से राशन बंद हो जाएगा। किसी के आवास की किस्त रुक सकती है। ऐसे में लफड़े में पड़़ने की जरूरत नहीं है। तमाम लोग इसलिए प्रधान के घर की वकालत करते थे कि वह उनका करीबी बनना चाहता है। चर्चा यह थी कि कोई भी थानेदार आता था तो प्रधान पति पहले ही उनसे मिलकर अपनी सेटिंग कर लेता था। उनकी पत्नी नाम की प्रधान थी। सब काम प्रधान पति ही करता है। प्रधान पति का बेटा शुभम और उसके भाई का बेटा शिवम है। गांव में गहरी पैठ होने की वजह से पीड़ि़ता परिवार अलग-थलग पड़ गया था।
 

पीड़िता के पिता को सपा ने दिए एक लाख
सपा के प्रतिनिधि मंडल ने पीड़िता के पिता को एक लाख रुपए की आर्थिक मदद की। सपा नेताओं ने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार में बलात्कारियों को संरक्षण दिया जा रहा है। वह आरोपित पक्ष को सत्ता पक्ष के नेताओं का करीबी बताने से नहीं चूके। वह पीड़ित परिवार को 25 लाख रुपए मदद देने की मांग कर रहे थे। सपा नेताओं ने अपनी नेतागिरी चमकाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। वह गए थे दुख में लेकिन तमाम लोग हंसते मुस्कुराते रहे। एक कद्दावर सपा नेता से उनके मातहत ने कहा कि कहीं और दूसरी जगह चलना है। इसपर सपा नेता ने कहा कि यह बड़ा मामला है। पहले यहां देखलो दूसरे जगह छोटा मामला है वहां बाद में देखा जाएगा। सपाइयों ने भरोसा दिलाया कि वह पीड़ित परिवार के साथ हैं।

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