हमारी सम्पूर्ण संस्कृति संस्कृत में ही निहित है – राज्यपाल टंडन

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 भोपाल

राज्यपाल एवं कुलाधिपति  लालजी टंडन ने कहा कि हमारी सम्पूर्ण संस्कृति संस्कृत में ही निहित है। भारतीय संस्कृति की समस्त उपलब्धियों का उद्भव संस्कृत भाषा से हुआ है। हमें महर्षि पाणिनि पर हमें गर्व होना चाहिए।

 टंडन आज उज्जैन में महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह में अध्यक्षीय उद्बोधन दे रहे थे। उन्होंने कहा कि हम उस परम्परा के वारिस हैं, जिसने भारत को जगदगुरु बनाया है। हम क्यों जगदगुरु थे, इस पर चिंतन किया जाना चाहिए। राज्यपाल ने संस्कृत को जीवित रखने के प्रयासों की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत ने ही सबसे पहले शल्य चिकित्सा शास्त्र दिया। आचार्य सुश्रुत सर्जरी की सबसे दुरुह विद्या प्लास्टिक सर्जरी के जनक थे। हमारे पूर्वजों ने विश्व को शून्य एवं दशमलव का ज्ञान दिया।

दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में अपने विचार व्यक्त करते हुए उच्च शिक्षा, खेल एवं युवा कल्याण मंत्री  जीतू पटवारी ने कहा कि भारत की सभी क्षेत्रीय भाषाओं का उद्गम संस्कृत से हुआ है। संस्कृत एक वैज्ञानिक भाषा है। उन्होंने कहा कि महर्षि पाणिनि ने भाषा को व्याकरण दिया।  पटवारी ने उपाधि प्राप्त कर रहे छात्रों से आव्हान किया कि वे संस्कृत के ज्ञान के प्रचार-प्रसार में अग्रणी भूमिका निभाएँ।

समारोह की सारस्वत अतिथि प्रो. उमा वैद्य ने कहा कि महर्षि पाणिनि विश्वविद्यालय निस्संदेह संस्कृत भाषा का संरक्षण कर रहा है। उन्होंने कहा कि सत्य बोलना और धर्म का आचरण करना विद्यार्थियों के लिये आवश्यक है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि विद्यार्थी परिवार, समाज और राष्ट्र के प्रति अपने दायित्वों का निर्वहन करने के प्रति सदैव सचेष्ट रहेंगे।

दीक्षांत समारोह के प्रारंभ में राज्यपाल के आगमन पर कुलपति  पंकज एम. जानी और उप कुलपति डॉ. मनमोहन उपाध्याय ने अतिथियों का शाल एवं फल से स्वागत किया। राज्यपाल  टंडन ने पीएचडी, स्नातकोत्तर एवं स्नातक उपाधि प्राप्तकर्ता छात्रों को उपाधियाँ एवं पदक प्रदान किये। उन्होंने महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय के कुलगान का विमोचन भी किया।

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