ट्रेड वॉर: चीन छोड़ भारत आए ऐपल सप्लायर्स

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नई दिल्ली
अमेरिका और चीन के बीच जारी ट्रेड वॉर का फायदा धीरे-धीरे भारत को मिलता दिख रहा है। विश्व की सबसे बड़ी कंपनी ऐपल को कॉम्पोनेंट सप्लाई करने वाली कंपनी सैलकॉम्प (Salcomp) ने चेन्नै स्थित नोकिया की बंद पड़ी फैक्ट्री को 30 मिलियन डॉलर ( करीब 215 करोड़ रुपये) में खरीदा है। यह कंपनी टैक्स विवाद के बाद 2014 में बंद हो गई थी।

दरअसल अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर के कारण चीन में स्थित अमेरिकी कंपनियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इन हालात में ऐपल धीरे-धीरे चीन से बाहर अपने लिए जगह ढूंढ रही है। अमेरिका में सैलकॉम्प के अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि पिछले कुछ सालों में कंपनी ने भारत में अपना बहुत बड़ा बेस तैयार किया है। श्रीपेरंबदुर के स्पेशल इकनॉमिक जोन (SEZ) में सैलकॉम्प की दो यूनिट पहले से काम कर रही है। इन दो यूनिट में करीब 7,000 कर्मचारी काम करते हैं।

जानकारी के मुताबिक, सैलकॉम्प मार्च 2020 तक इस फैक्ट्री में काम शुरू कर देगी। अगले पांच सालों में कंपनी करीब 300 मिलियन डॉलर (2100 करोड़ रुपये) का निवेश करेगी, जिसकी मदद से कंपनी हर साल 2 अरब डॉलर (करीब 14,000 करोड़ रुपये) का निर्यात कर पाने में सक्षम होगी। आने वाले कुछ समय में जब फैक्ट्री का संचालन पूरी तरह शुरू हो जाएगा तो करीब 10,000 लोगों को रोजगार भी मिलेंगे।

यह प्लांट करीब 11 लाख स्क्वेयर फीट में फैला हुआ है। कंपनी के कुल कॉम्पोनेंट प्रॉडक्शन में करीब 60 फीसदी हिस्सेदारी ऐपल की होगी। इसके अलावा फॉक्सकॉन, शाओमी, वीवो और ओप्पो जैसी कंपनियों के लिए भी यहां कॉम्पोनेंट तैयार होंगे।

ऐपल का बहुत बड़ा कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर विस्ट्रॉन, फॉक्सकॉन, फ्लेक्स, सनवोडा इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन, सीसीएल डिजाइन और शेनजेन यूतो पैकेजिंग टेक्नॉलजी (Shenzhen Yuto Packaging Technology) ने भी भारत में अपना मैन्युफैक्चरिंग यूनिट बिठाया है और प्रॉडक्शन जारी है।

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