युवा अधिवक्ता दीपक शर्मा होंगे चिरिमिरी से बनने वाले पहले सिविल मजिस्ट्रेट ,सिविल सर्विसेज परीक्षा उत्तीर्ण कर नगर का बढ़ाया मान

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जोगी एक्सप्रेस 

चिरमिरी ।[नसरीन अशरफी ] चिरमिरी छोटा बाजार पानी टंकी दफाई के निवासी युवा अधिवक्ता दीपक शर्मा ने पहली बार में ही लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सर्विसेज की परीक्षा उत्तीर्ण कर चिरिमिरी में एक नया इतिहास रच दिया है । दीपक शर्मा चिरिमिरी से बनने वाले पहले जज होंगे । हालांकि इससे पूर्व उन्होंने एक बार पहले भी सिविल सर्विसेज में अपना किस्मत आजमाया , लेकिन वे प्री टेस्ट में नही निकल पाये थे ।
      चिरमिरी से पहले जज बनने वाले दीपक शर्मा का अब तक का जीवन बेहद संघर्षपूर्ण और कठिनाइयों भरा रहा है । कुल 7 भाई बहनों में दीपक दूसरे नंबर पर है । उनसे बड़ी उनकी बहन दीपा शर्मा है जो अब तक चिरमिरी संयुक्त न्यायालय में उनके साथ ही वकालत करती है । बाकी 5 भाई बहन अभी पढाई कर रहे है ।
      दीपक के पिता मोहन लाल शर्मा ने कच्ची स्कुल में प्राइवेट शिक्षक के रूप में अपना कैरियर शुरू किया था तथा उस समय उन्हें मात्र दो हजार रूपये पेमेंट मिलता था जिससे वे अपने घर के सारे खर्चो के साथ ही अपने सभी बच्चों की पढाई का खर्च वहन करते थे ।
     दीपक शर्मा ने प्राथमिक शिक्षा  मरिया हायर सेकेंडरी स्कूल में प्राप्त किया । लेकिन आर्थिक समस्याओं के कारण पिता ने उनका एडमिशन कक्षा 6 वीं में कच्छी स्कुल (जिसमे वे खुद पढ़ाते थे ) में करा दिया । यहीं से दीपक ने माध्यमिक एवं हाई स्कूल की शिक्षा ग्रहण की तथा वाणिज्य से 12 वीं पास किया । इसके बाद लाहिड़ी कालेज से उन्होंने बी. काम की परीक्षा उत्तीर्ण की तथा इसके बाद लॉ की पढाई करने शहडोल चले गए और 2011 में उन्होंने द कालेज ऑफ़ लॉ शहडोल से एलएलबी की परीक्षा उत्तीर्ण किये  और 2013 से संयुक्त न्यायालय चिरिमिरी में जूनियर वकील के रूप में प्रैक्टिस प्ररम्भ किया । इसी दौरान उन्होंने सिविल सर्विसेज की परीक्षा की तैयारी भी प्रारम्भ कर दिया और आज इस परीक्षा को उत्तीर्ण कर चिरिमिरी से बनने वाले पहले जज बन गए है ।
      अपने प्रारंभिक शिक्षा के दिनों को याद करते हुए दीपक ने बताया कि उन दिनों उनके पास किताबे खरीदने के लिए भी पैसे नही होते थे । वे अपने पिता की मदद से पूर्व में पास किये विद्यार्थियों से किताबे लेते थे जो आगे उनके भाई, बहनों के काम भी आती थी ।
      अपनी इस सफलता का श्रेय अपने गुरु वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल सिंह को देते हुए दीपक कहते है कि उन्होंने अनिल सिंह के जूनियर के तौर पर चिरमिरी न्यायालय में अपनी  प्रेक्टिस प्रारम्भ कि,   तथा उनकी प्रेरणा से ही वे सिविल सेवा की तैयारी प्रारम्भ किया । तैयारी के दौरान भी उन्हें अधिवक्ता अनिल सिंह से काफी मदद मिली । साथ ही उन्हें अपने परिवार का भी पूरा सहयोग मिला ।
     दीपक ने आगे चर्चा करते हुए कहा कि हर दिन कोर्ट में प्रेक्टिस करना, परिवार की जरूरतों को देखना और साथ में सिविल सर्विसेज की तैयारी करना आसान काम नही था । लेकिन उन्होंने सभी कामो के बीच सामंजस्य बैठाया और अंततः उन्हें सफलता मिली ।
       दीपक शर्मा ने अपने कनिष्ठ अधिवक्ताओं को सिविल सेवा में आने का आह्वान करते हुए कहा कि ज्यादातर अधिवक्ताओं की सिविल सेवा में रूचि नही होने के कारण जजो के काफी पद रिक्त पड़े है जिसके कारण लोगो को न्याय मिलने में देर हो रही है ।
      श्री शर्मा ने आगे चर्चा करते हुए कहा कि न्याय में आर्थिक तंगी बाधा नही बनती बल्कि जानकारी का आभाव बाधा बनता है । लोगो को कानून के प्रति ज्यादा से ज्यादा साक्षर करने की जरूरत है । सबसे ज्यादा देर दीवानी मामलो में होती है । उनका प्रयास हॉगा कि दीवानी मामलो का निपटारा मध्यस्थ के मॉध्यम से हो ताकि दोनों पक्ष हार जीत की भावना से बचे रहे । श्री शर्मा ने बातचीत के दौरान भविष्य में चिरमिरी में एक संस्था खोलने की इच्छा भी जताई जो लोगो को निःशुल्क विधिक सहायता प्रदान करे ।

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