कैंसर से बचाव के है उपाय .जागरूकता शिविर लगा कर ,आम जन को कैंसर के खिलाफ किया जागरूक

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जोगी एक्सप्रेस

चिरमिरी। संजीवनी कैंसर हाॅस्पिटल रायपुर के डाॅक्टरों के द्वारा क्षेत्रीय चिकित्सालय में कैंसर होने से पूर्व जन जागरुकता लाने एवं निदान के संबंध में विस्तृत जानकारी उपस्थित जनों को दी गई। तथा इस बीच कैंसर से पीड़ित मरीजों को भी देखा गया।
डाॅक्टर अर्पण चातुर मोहता के द्वारा तंबाकू से होने वाले कैंसरों के विषय में बताया गया कि इससे मुह , किडनी, थैरेपिया, लीवर, छोटी आंत, बड़ी आंत, सबसे ज्यादा इन अंगो का तंबाकू में पाए जाने वाली 400 कैमिकल, 500 प्रकार की जहर को उत्पन्न करती है, जो दूसरी बिमारियों में भी सहायक के रुप में निकोटीन अपना असर छोड़ती है। वही कार्बन मोनो आॅक्साईड भी पैदा होता है, जिसके कारण हम एक प्रकार का रेड जहर खा रहें है।
कैंसर से प्रति वर्ष लगभग 5 करोड़ लोगों की मौत होती है, जिसमें 76 प्रतिशत तंबाकू, गुटका, गुड़ाकू, बीड़ी, सिगरेट के कारण पैदा होता है। वही इसके कारण प्रतिदिन 1200 लोग प्रतिदिन मौत के मंुह में समाते है। वही उक्त चीजों का सेवन करने वाले लोगों की आयु में 15 से 20 साल की कमी देखी गई है। वही तंबाकू छोड़ने पर लोगों को चिड़चिड़ापन, सीर में दर्द, कब्ज, आदि बिमारियां पैदा होती है। उसके निदान के लिए आज निकोटिन के रुप मंे गोली, कैपसुल, चिंगम, स्प्रे, आदि के रुप में बाज़ार में उपलब्ध है। जिनका प्रयोग डाॅक्टर की सलाह पर किया जा सकता है। सबसे अच्छा और सरल तरीका नसीली वस्तुओं को त्याग करने के लिए शारीरिक मेहनत के साथ-साथ योगा, व्यायाम, आदि करने से समस्त समस्याएं दुर की जा सकती है। यदि आज भी हमारे देश के आम नागरिक आराम देह जीवन को त्याग कर अपने पूर्वजों की भांति जीवन व्यतीत करें तो 99 प्रतिशत गंभीर बिमारियों से निजात पाया जा सकता है। क्योंकि वर्तमान समय में 90 प्रतिशत कैंसर के लक्षण महिलाओं के अंदर पाए जा रहें है। इसी को देख कर सरकारों के द्वारा मेमोग्राफी कराने का निर्णय लिया गया है। वही महिलाओं को भी आधुनिक जीवन से परहेज करके अधिक से अधिक श्रम करना चाहिए।
लोग कहते है कि फंला आदमी के द्वारा कोई भी नशीली वस्तु का सेवन नहीं किया गया था, परंतु उसको भी कैंसर हो गया?, इसका कारण आनुवांशिक से मोटापा, सेल्स बाॅडीगार्डो की कमी आदि की वजहों से भी कैंसर के रोगी पाए जाते है। यदि हमारे देश के लोगों के द्वारा पश्चिमी सभ्यता का त्याग नहीं किया और अपने पूर्वजों के पद चिन्हों पर नहीं चले तो वह दिन दूर नहीं की सुगर की भांति उक्त बिमारी भी प्रत्येक घर में विराजमान होगी। इसके मुल कारण को पहचान कर हम सब को जागरुक होकर इलाज करना होगा।
प्रथम दृष्टि में कैंसर जिस अंग में पैदा होता है उस अंग के त्वचा के सेल्स समाप्त कर धीरे-धीरे अपने साईज को बड़ा कर विभक्त करता जाता है। विभिन्न प्रकार के संक्रमणों से भी कैंसर पैदा होता है। सफेद पानी आना एवं अल्सर, बराबर बने रहने के कारण कैंसर होने की संभावना ज्यादा रहती है, वही मुंह के कैंसर में यदि 15 से 20 दिन तक छाले हो और उसमें दर्द न हो तो कैंसर होने की संभावना 90 प्रतिशत होती है। सभी कैंसरों में प्रथम स्टेज पर पता चलने पर पूर्ण रुपेण ईलाज से इसे समाप्त किया जा सकता है। इसी प्रकार आहार नली के कैंसर प्रथम स्टेज में निगलने में कठिनाई, दुध, पानी पीने में कठिनाई, हो रही हो तो तत्काल कैंसर की जांच करानी चाहिए। 

यदि मस्सा आकिश्मक रुप से बढ़ता चला जाता है तो उसे तुंरत डाॅक्टर को दिखाकर ज्यादातर मामलों में लोगों की लापरवाही से मस्सा का कैंसर चैथी स्टेज में ही पकड़ा जाता है, जोकि ईलाज से भी ठीक नहीं होता। 

मुख्य रूप से उपस्थित मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ संजय कुमार सिंह ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि कैंसर का ईलाज जन-जागरुकता और ढृढ़ इच्छा शक्ति, स्वस्थ्य और स्वच्छ खान-पान, शारीरिक मेहनत, छोटी-छोटी बातों पर लापरवाही न बरतने तत्काल डाॅक्टरों को दिखाना ही उक्त बिमारी को घर से लेकर देश में कमी ला सकते है। नही तो  उक्त बिमारी के ईलाज घर से लेकर देश पर काफी बोझ पड़ता है। इस दौरान रायपुर संजीवनी सीबीसीसी कैंसर इस्पेसलिस्ट हॉस्पिटल से डॉ अपर्ण चतुरमोहत.सहायक हेमंत केलकर. रीजनल अस्पताल की महिला चिकित्सक डॉ.नम्रता सिंह,डॉ.नीना अपरा. डाॅ सुमित राधाकृष्णण्, डाॅ आनंद, हेमंत केलकर, डाॅ आनंद, डाॅ सुभाष सिंह, डाॅ आशुतोष सिंह, डाॅ जुल्फीकार अली, फार्मासिस्ट जेपी वर्मा, आदि मरीजों के परीजन सहित हाॅस्पिटल स्टाफ उपस्थित रहें। 

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