चीन में मुस्लिमों को लेकर कोई आवाज क्यों नहीं उठा रहा : अमेरिका

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वॉशिंगटन
अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के नए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने चीन द्वारा बंदी शिविरों में दस लाख से अधिक मुस्लिमों को रखने को लेकर दुनिया की चुप्पी की आलोचना की है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओ’ब्रायन ने यह भी सवाल किया कि अगर चीन हॉन्ग कॉन्ग में लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों पर थियानमेन चौक जैसी कार्रवाई करेगा तो क्या अंतरराष्ट्रीय नेता उसके खिलाफ खड़े होंगे। बता दें कि चीन में उइगर मुसलमानों पर होने वाले अत्याचार को लेकर दुनिया भर में अकसर चर्चा होती रहती है।
ओ’ब्रायन ने पत्रकारों से मुलाकात की और उनसे कहा, ‘दुनिया कहां है? बंदी शिविरों में दस लाख से अधिक लोग रह रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘मैं रवांडा में जनसंहार संग्रहालय में गया था। आपने सुना होगा कि ‘यह ऐसा दोबारा कभी नहीं होगा’ और इसके बावजूद दस लाख से अधिक लोग बंदी शिविरों में रह रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि इस पर मुस्लिम देशों की चुप्पी भी काफी हैरान करने वाली है। ऐसा अनुमान है कि चीन ने जेल जैसे बंदी शिविरों में 10 लाख से अधिक अल्पसंख्यक मुस्लिम उइगरों को बंद कर रखा है।

गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही कुछ दस्तावेज लीक हुए थे। इनसे पता चला था कि उइगर मुस्लिमों को किस प्रकार उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है। लीक डॉक्युमेंट के मुताबिक चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने खुद ही आदेश जारी करके कहा था कि चरमपंथ और अलगाववाद पर कोई रहम न किया जाए।

बता दें कि कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जब पाकिस्तान ने मानवाधिकार उल्लंघन के झूठे दावे किए थे, तब भी चीन पाकिस्तान के साथ खड़ा दिखाई दिया था। हालांकि उसके अपने देश में मानवाधिकारों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं और उसपर दुनियाभर के देशों ने चुप्पी साध रखी है।

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