भोपाल एम्स में पढ़ाई और इलाज महंगे हो सकते हैं

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भोपाल

 दिल्ली और देश के छह अन्य एम्स में मेडिकल की पढ़ाई और इलाज कराना मंहगा हो सकता है। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने सेंट्रल इंस्टीट्यूट बॉडी (सीआईबी) को पत्र लिखकर एम्स में मेडिकल की पढ़ाई, जांच और इलाज की दरों की समीक्षा करने को कहा है। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सीआईबी से कहा गया है कि वह अपने तहत आने वाले सभी छह एम्स के सभी विभागों से 25 नवंबर तक इलाज और जांच की वर्तमान दरों की जानकारी मंगाए। साथ ही एम्स में एमबीबीएस और पीजी की ट्यूशन फीस, हॉस्टल और दूसरे चार्जेज की भी जानकारी मांगे।

दरअसल, मंत्रालय की इस कवायद का मकसद दिल्ली एम्स की ओर से तैयार किए गए फीस स्ट्रक्चर और इलाज की दरों को देश के बाकी छह एम्स (भोपाल, रायपुर, जोधपुर, पटना, ऋषिकेश और भुवनेश्वर) में लागू करना है। 23 साल पहले हुई थी इलाज और जांच की दरों की समीक्षा अधिकारी ने बताया कि आखिरी बार इलाज और जांच दरों की समीक्षा 23 साल पहले यानी 1996 में की गई थी। उसके बाद से लगातार नई जांचें जरूर शुरू हुईं, पर उनकी दर अब तक यथावत बनी हुई है। दूसरी तरफ, मेडिकल फीस की बात करें तो उसकी समीक्षा करीब 50 साल पहले हुई थी। यानी एम्स की ट्यूशन फीस में तब से अब तक बदलाव नहीं किया गया है।

2017 में 500 रुपए तक की जांच मुफ्त करने का सुझाव आया था
साल 2017 में एम्स-प्रशासन द्वारा बनाई गई कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था संस्थान को 500 रुपए तक की जांच और इलाज को मुफ्त कर देना चाहिए। लेकिन इस रिपोर्ट अंतिम निर्णय नहीं लिया गया। फिलहाल एम्स को मरीजों से ओपीडी पर्चा, इलाज, कमरे का किराया और जांच के रूप में हर साल 101 करोड़ रुपए मिल जाते हैं।

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