अगहन माह शुरू, इन नियमों के साथ इस एक मंत्र के जाप से मिलेगा श्रीकृष्ण का आशीर्वाद

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12 नवंबर को कार्तिक माह का अंत हुआ और 13 नवंबर, बुधवार से मार्गशीर्ष माह की शुरुआत हुई। मार्गशीर्ष माह को अगहन का महीना भी कहा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार ये साल का नौवां महीना होता है। इस महीने में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का खास महत्व माना जाता है। शास्त्रों और ग्रंथों के अनुसार सतयुग की शुरुआत अगहन माह से ही हुई थी। इस लेख के माध्यम से जानते हैं मार्गशीर्ष या अगहन माह की महत्ता और महीने से जुड़े खास नियमों के बारे में।

अगहन माह का महत्व

13 नवंबर को कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि शाम 07 बजकर 42 मिनट तक रहेगी। अगहन माह का समापन 12 दिसंबर को होगा। जिस तरह सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है, ठीक उसी तरह अगहन महीना भगवान श्री कृष्ण का प्रिय माना जाता है। इस माह के आगाज को गीता जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। इस माह को मार्गशीर्ष या अगहन ही नहीं, बल्कि मगसर, मंगसिर, अग्रहायण आदि नामों से भी जाना जाता है। ये पूरा महीना ही पवित्र और खास माना जाता है।

इस माह की विशेषता का अंदाजा इसी बात से लग जाता है कि भगवान कृष्ण द्वारा गीता में मार्गशीर्ष महीने का जिक्र मिलता है। ऐसी भी मान्यता है कि सतयुग में देवों ने साल की शुरुआत मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से ही की थी। इतना ही नहीं, ऋषि कश्यप ने इसी महीने में कश्मीर नामक जगह की स्थापना की थी, जो अब भारत का अभिन्न हिस्सा है।

अगहन माह के नियम

मार्गशीर्ष माह में दान-स्नान का काफी महत्व होता है। इस माह में यमुना नदी में स्नान काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। प्रभु का आशीर्वाद पाने और जीवन में हर संकट से बचे रहने के लिए लोग इस महीने में एक बार जरूर यमुना नदी में स्नान करते हैं। यदि वहां जाकर स्नान करना सम्भव ना हो तो यमुना नदी का जल मिले पानी से आप स्नान कर सकते हैं। स्नान से पहले आप तुलसी की जड़ की मिट्टी का लेप बनाकर अपने शरीर में लगाएं और कुछ देर रूककर स्नान कर लें। स्नान के दौरान गायत्री मंत्र या 'ॐ नमो भगवते नारायणाय' मंत्र का जप करें।

इस माह आप जल्दी उठकर स्नानादि कर लें। भगवान का ध्यान और पूजा-अर्चना करें। मानसिक रूप से आपको अच्छा महसूस होगा।

अगहन माह में ‘विष्णु सहस्त्रनाम', ‘गजेन्द्रमोक्ष' और श्रीमद भागवत गीता का पाठ करने से पुण्य मिलता है। इस दौरान विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से व्यक्ति को यश, सम्मान, सुख, समृद्धि, सौभाग्य और आरोग्य की प्राप्ति होती है। श्रीमद भागवत गीता का पाठ करने वाले को हर तरह की सफलता हासिल होती है।

इस महीने में आप रोज थोड़ा थोड़ा करके गीता का पाठ पूरा कर सकते हैं। अगर गीता का पाठ करने में असमर्थ हैं तो भागवत गीता के दर्शन करके उसे प्रणाम कर लें। अगर आपके पास गीता नहीं है तो इस महीने घर में भागवत गीता की पुस्तक जरूर लेकर आएं और उसे रोज स्पर्श करके प्रणाम करें। जीवन के उलझे पहलुओं को सुलझाने की शक्ति आपको मिलेगी।

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