September 20, 2024

 इस गांव में दी जा सकती है मस्जिद के लिए जमीन

0

 अयोध्या 
अयोध्या मामले में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन देने का निर्देश प्रदेश सरकार को दिया है। कोर्ट के इस निर्देश के बाद मस्जिद के लिए दी जाने वाली जगह की तलाश शुरू हो गई है। इसी सिलसिले में अयोध्या की 14 कोसी परिक्रमा क्षेत्र से बाहर सदर तहसील के पूरा विकास खंड अन्तर्गत शहनवां ग्रामसभा एक बार फिर से चर्चा में आ गई है। इसके अलावा सोहावल, बीकापुर व सदर तहसील क्षेत्र में भी भूमि की तलाश राजस्व विभाग ने शुरू कर दी है।

शहनवां ग्रामसभा में बाबर के सिपहसालार मीरबाकी के क्रब होने का दावा किया जाता रहा है। इस गांव के निवासी शिया बिरादरी के रज्जब अली व उनके बेटे मो. असगर को बाबरी मस्जिद का मुतवल्ली कहा गया। इसी परिवार को ब्रिटिश हुकूमत की ओर से 302 रुपये छह पाई की धनराशि मस्जिद के रखरखाव के लिए दी जाती थी। सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड के दावे में इसका जिक्र भी किया गया। यह अलग बात है कि बाबरी मस्जिद पर अधिकार को लेकर शिया वक्फ बोर्ड व सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड के बीच विवाद के बाद वर्ष 1946 में कोर्ट ने सुन्नी बोर्ड के पक्ष में सुनाया था।

बावजूद इसके किसी दूसरे मुतव्वली का कहीं कोई उल्लेख नहीं है। फिलहाल पूर्व मुतवल्ली के वारिसान आज भी इसी गांव में रह रहे हैं। इन वारिसान की ओर से भी मस्जिद के निर्माण के लिए अपनी जमीन दिए जाने की घोषणा की जा चुकी है।

यही नहीं 1990-91 में तत्कालीन प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह के कार्यकाल में हिन्दू-मुस्लिम पक्ष की वार्ता के दौरान मस्जिद के लिए विहिप की ओर से ही शहनवां गांव में जमीन दिए जाने का प्रस्ताव किया गया था। यह अलग बात है कि मुस्लिम पक्ष ने विवादित परिसर से अपना दावा वापस लेने से इंकार किए जाने के बाद विहिप ने भी बाबर के नाम पर देश में कहीं भी मस्जिद नहीं स्वीकारने का ऐलान कर दिया।

विहिप का यही स्टैंड अब भी कायम हैं। रामलला के नेक्स्ट फ्रेंड त्रिलोकीनाथ पाण्डेय कहते हैं-हम किसी उपासना पद्धति के विरोधी नहीं है लेकिन बाबर के नाम की मस्जिद अयोध्या क्या देश में कहीं भी स्वीकार नहीं। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश सभी को मान्य है और कोर्ट के आदेश में पर मस्जिद का निर्माण कराया जाता है तो कोई एतराज नहीं होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *