जीवन का कोई भी विषय गांधी जी के विचारों से अछूता नहीं : राज्यपाल टंडन

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भोपाल
राज्यपाल  लालजी टंडन ने आज राजभवन में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुस्तक 'सत्य के प्रयोग' के वितरण कार्यक्रम में कहा कि गांधी जी के जीवन का हर पहलू कुछ न कुछ सीख देता है। उनका पहनावा, भाषा और विचार समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचे, हम सबका यही प्रयास होना चाहिये। राज्यपाल ने इस मौके पर प्रदेशवासियों को मध्यप्रदेश स्थापना दिवस की बधाई और शुभकामनाएँ दी।

राज्यपाल  टंडन ने कहा कि गांधी जी के निकट सहयोगी सरदार पटेल के प्रयासों से ही छोटी-छोटी रियासतें एक हुईं और भारत एक राष्ट्र बना। उन्होंने कहा कि हम सभी 'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' के निर्माण में समर्पित भाव से सहयोग करेंगे, ऐसा मेरा विश्वास है। राज्यपाल ने कहा कि बुराई से नफरत करनी चाहिए, व्यक्ति से नहीं। इसलिए ऐसे प्रयास करते रहना चाहिये कि जेल में सुधार की गुंजाइश सदैव बनी रहे। उन्होंने कहा कि अपराधी को अच्छा इंसान और हुनरमंद बनाने में जेल अधिकारियों की सशक्त और महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

राज्यपाल ने केन्द्रीय जेल, सर्किल जेल और जिला जेल के पुस्तकालयों के लिये 242 पुस्तकें भेंट की। इसके साथ ही, बाल निकेतन ट्रस्ट, निर्माण एवं परिवर्तन की ओर, बालिका सुधार गृह और मुस्कान अहिरवार द्वारा संचालित किताबी मस्ती लायब्रेरी के लिये भी 'सत्य के प्रयोग' किताब भेंट की। राज्यपाल ने मुस्कान अहिरवार को उसकी लायब्रेरी के लिये पांच हजार रूपये की सहयोग राशि देने की घोषणा की।

प्रमुख सचिव जेल  एस.एम. मिश्रा ने कहा कि जेलों की व्यवस्थाओं में सुधार और आधुनिक तकनीक के साथ कैदियों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि गांधी जी की किताब कैदियों को पढ़ने के लिए देना राज्यपाल के मानवीय दृष्टिकोण का परिचायक है। इससे कैदियों के आचार-विचार में सकारात्मक परिवर्तन आयेगा।

कार्यक्रम में जेल महानिदेशक  संजय चौधरी ने आभार व्यक्त किया। राज्यपाल को कैदियों द्वारा निर्मित वस्तुएँ भेंट की गई। गांधी जी की लगभग सात सौ किताबें उपलब्ध करवाने के लिये वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड के  संतोष शुक्ला एवं मती विमला शरणागत का धन्यवाद ज्ञापित किया गया। राज्यपाल ने किताबें भेंट करने के लिए वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड के प्रतिनिधि को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।

राज्यपाल के सचिव  मनोहर दुबे, विधि अधिकारी  भरत पी. माहेश्वरी एवं जेल विभाग के अधिकारी तथा स्वैच्छिक संस्थाओं के प्रतिनिधि मौजूद थे।

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