यूपी के बीस जिलों की बिजली को कंट्रोल करने वाले उपकेंद्र के अधिकारी-कर्मचारी अजीब दहशत के साये में

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वाराणसी 
यूपी के बीस जिलों की बिजली को कंट्रोल करने वाले डुबकिया उपकेंद्र के अधिकारी और कर्मचारी इन दिनों अजीब दहशत की जिंदगी जी रहे हैं। यूपी की बिजली को चार हिस्सों में बांटकर कंट्रोल किया जाता है। इनमें से एक कंट्रोल रूम वाराणसी गाजीपुर रोड पर स्थित चौबेपुर के डुबकिया में बना है। यहां से 20 जिलों की बिजली को कंट्रोल किया जाता है। उपकेंद्र के बगल में ही अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए कालोनी बनी है। जहां ज्यादातर लोग परिवार के साथ रहते हैं।

दस दिन पहले एक कर्मचारी की सांप के डंसने से मौत के बाद शनिवार को एसडीओ निशाना बने। संयोग से समय पर इलाज मिला और उनकी जान बच गई। दो घटनाओं के बाद भी बिजली विभाग के जिम्मेदार नहीं चेते। स्थिति यह हो गई है कि कालोनी में रहने वाले बिजली कर्मचारी और अधिकारी चौबीसो घंटे लाइट जलाकर रहते हैं। सबसे ज्यादा चिंता बच्चों की सुरक्षा को लेकर है। पिछली बारिश में बगल से गुजरे नाले का पानी ओवरफ्लो होकर यहां पहुंचा तो अभी तक निकल नहीं सका है। पानी के साथ पहुंचे सांप बिच्छू भी तभी से यहां दहशत बने हुए हैं। 

4 सितंबर को कंट्रोल रूम में संविदा पर तैनात सैनिक कल्याण निगम के कर्मचारी दिनेश कुमार को सांप ने डंस लिया। पहले तो उसे पता ही नहीं चला कि हुआ क्या है। हालत बिगड़ी तो लोग उसे लेकर दीनदयाल जिला अस्पताल पहुंचे। जहर इतनी तेजी से शरीर में फैला कि कुछ घंटे में ही दिनेश ने दम तोड़ दिया। पोस्टमार्टम में पता चला कि सांप ने डंसा था। शनिवार को सहायक अभियंता कृष्ण चंद्र कुशवाहा सांप के दंश का शिकार हुए। दिन में घर पर लेटे हुए थे, तभी सांप ने कमर में डंस लिया। परिवार वाले उन्हें लेकर धौरहरा स्थित एक निजी अस्पताल पहुंचे। समय से इलाज शुरू होने और जानकारी होने के कारण उनकी जान बची।

परिसर में रह रहे 70 परिवारों के सैकड़ों लोग

चिरईगॉव ब्लाक के डुबकियॉ स्थित चार सौ केवी वाला पावर हाउस परिसर लगभग अस्सी एकड़ क्षेत्रफल मे फैला है। इनमें अधिकारियों व कर्मचारियों के रहने के लिये चार टाइप की आवासीय कालोनियां बनायी गयी हैं। इसमें सत्तर परिवारों के सैकड़ों की संख्या में परिजन रहते हैं। 

कूड़े का निस्तारण भी जलाकर हो रहा

कालोनियों में आने जाने वाले रास्तों के साथ आवास के सामने बड़ी बड़ी जंगली घास उगी है। परिसर मे रहने वाले परिवारों के लोगों ने बताया कि इतने बडे़ परिसर मे कोई सफाई कर्मचारी नही है। लोग अपने आवास के सामने स्वयं साफ सफाई करते हैं। कूड़ा भी परिसर मे ही रख कर जला दिया जाता है। पिछले दिनो हुई बारिश के चलते परिसर जलमग्न हो गया था। इसमें रास्ते भी डूब गये थे। अब धीरे धीरे पानी तो सूख रहा है, लेकिन घासों मे विषैले जन्तु भरे पड़े हैं। 
 

घास काटने के नाम पर पांच लाख तक होता है आवंटित
यहां रहने वाले बिजली अधिकारियों की मानें तो परिसर में घास काटने के लिए हर साल पांच लाख तक का टेण्डर होता है। अप्रैल, मई में जब घास सूख जाती है तो बैक डेट में टेंडर जारी कर आपस मे गोलमाल कर लिया जाता है। लोगों को इसकी जानकारी नही हो इसके लिये गांव की दर्जनों महिलायें बड़े अधिकारियों की सह पर परिसर से अपने पशुओं के लिए घास काट ले जाती हैं। इसे साफ सफाई का हिस्सा बताया जाता है। इन महिलाओं का स्विच यार्ड मे प्रवेश कर घास काटना भी किसी दिन बड़े हादसे को दावत दे सकता है।
 

कालोनी का खेल मैदान भी बना जंगल
पावर हाउस के अधिकारियों कर्मचारियों व उनके बच्चों को खेलने के लिये एक बड़ा मैदान है।इसकी बैरिकेडिंग कर वालीबाल खिलाड़ियों के लिये नेट भी लगा है। लेकिन पूरा खेल मैदान जंगल मे तब्दील हो गया है। इसकी सुधि लेने वाला कोई नही है। लोगों ने बताया कि दीपावली पर खुद आवास में रंग रोगन कर रहे हैं। घास कटवाने का जिम्मा विद्युत प्रेषण खण्ड सिविल के अधिकारियों का है। इनका कार्यालय वाराणसी में है। 

पुराने ठेकेदार से सफाई कराने की हो रही कोशिश

यहां की साफ सफाई के लिए जिम्मेदार विद्युत प्रेषण खंड सिविल के एसडीओ विजय प्रकाश का कहना है कि हमने कुछ दिन पहले ही यहां का चार्ज लिया है। पहले दो डिविजन था, अव बंटवारा होने के कारण कुछ दिक्कतें आई हैं। सांप डंसने की घटनाओं का पता चला है। मंगलवार को ही अधिशासी अभियंता के साथ इंजीनियर्स के ग्रुप ने मौका मुआयना किया है। ई-टेंडरिंग के कारण कुछ दिक्कतें हैं। जल्द से जल्द टेंडर कराने की कोशिश हो रही है। पुराने ठेकेदार से भी बात की जा रही है। उसी से साफ सफाई कराने की कोशिश की जा रही है।

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