November 9, 2024

संस्कृत हमारी देव भाषा: डॉ. रमन सिंह : मुख्यमंत्री ने किया संस्कृत विद्वानों और मेधावी विद्यार्थियों का सम्मान

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रायपुर मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने आज यहां अपने निवास पर छत्तीसगढ़ संस्कृत विद्यामंडलम् द्वारा आयोजित संस्कृत विद्वानों और मेधावी विद्यार्थियों के सम्मान समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि संस्कृत देव भाषा है। जब दुनिया में लोगों को अक्षर ज्ञान नहीं था, तब हमारे ऋषि-मुनियों ने वैदिक गं्रथों की रचना की। ऋषि-मुनियों ने संस्कृत भाषा में कालजयी ग्रंथ लिखे। इन ग्रंथों में ज्ञान-विज्ञान, खगोल शास्त्र, चिकित्सा शास्त्र का अथाह भण्डार है। यह हमारे लिए गौरव की भाषा है। लगभग सभी भाषाओं के बहुत सारे शब्द संस्कृत भाषा से लिए गए हैं। संस्कृत भाषा शोध और अनुसंधान कार्यों के लिए सबसे उपयुक्त भाषा है। 
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज गणेश चतुर्थी के अवसर पर संस्कृत विद्वानों का सम्मान समारोह आयोजित किया गया है। उन्होंने संस्कृत के प्राथमिक, पूर्व माध्यमिक और हाईस्कूल के विद्यार्थियों को प्रति माह दिए जाने वाली छात्रवृत्ति की राशि दोगुनी करने की घोषणा इस अवसर पर की। वर्तमान में प्राथमिक विद्यालय के विद्यार्थियों को 40 रूपए, पूर्व माध्यमिक के विद्यार्थियों को एक सौ रूपए और हाईस्कूल के विद्यार्थियों को 150 रूपए प्रतिमाह छात्रवृत्ति दी जाती है। उन्होंने गैर अनुदान प्राप्त संस्थाओं को छत्तीसगढ़ संस्कृत विद्यामंडलम् द्वारा दिए जाने वाले अनुदान की राशि में भी वृद्धि की घोषणा की। उन्होंने कहा कि संस्कृत के प्राथमिक विद्यालय को दी जाने वाली अनुदान राशि 10 हजार से बढ़ाकर 20 हजार, पूर्व माध्यमिक विद्यालय को 20 हजार से बढ़ाकर 30 हजार और हायर सेकेण्डरी विद्यालयों को 40 हजार से बढ़ाकर 50 हजार रूपए करने की घोषणा की। डॉ. सिंह ने कहा कि संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
स्कूल शिक्षा मंत्री  केदार कश्यप ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। इस अवसर पर कोसल संस्कृत समिति और पाणिनीय शोध संस्थान बिलासपुर की अध्यक्ष डॉ.  पुष्पा दीक्षित और  बिसरा राम यादव विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने समारोह में संस्कृत विद्यामंडलम् की ओर से डॉ.  पुष्पा दीक्षित को महर्षि वेदव्यास सम्मान, इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ की सहायक प्राध्यापिका डॉ. पूर्णिमा केलकर को माता कौशल्या सम्मान,  उदय प्रसाद साहित्य शोध संस्थान दुर्ग को ऋषि श्रृंग सम्मान और  रामचंद्र संस्कृत पाठशाला रायपुर के डॉ. वंशीधर शर्मा को लोमश ऋषि सम्मान से विभूषित किया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर छत्तीसगढ़ संस्कृत विद्यामंडलम् के पूर्व अध्यक्ष डॉ. गणेश कौशिक और वरिष्ठ समाज सेवी  शांताराम सर्राफ को संस्कृत सेवा सम्मान से विभूषित किया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने उत्तर मध्यमा (बारहवीं के समकक्ष) परीक्षा की प्रावीण्य सूची में स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों कुमारी इंदु भगत, मिल कुमार, शंभु सिंह मरावी, कुमारी शांति, अनिल कुमार, जलेन्दर, कुमारी शशिकला सिरदार, कुमारी डंकेश्वरी, प्रेमचंद कुम्हार, बुधेश्वर राम, असीबलाल, राजकमल, जवाहिर प्रसाद यादव और कुमारी तपेश्वरी को भी सम्मानित किया।
छत्तीसगढ़ संस्कृत विद्यामंडलम् के अध्यक्ष स्वामी परमात्मानंद ने अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। संस्कृत विद्यामंडलम् का बजट तीन लाख रूपए से बढ़कर अब पौने दो करोड़ रूपए हो गया है। प्रदेश के 88 स्थलों पर 189 संस्कृत विद्यालय संचालित किए जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ में कक्षा तीसरी से बारहवीं तक संस्कृत की पढ़ाई होती है। छत्तीसगढ़ एक मात्र ऐसा राज्य है, जहां राज्य सेवा परीक्षा में 50 अंकों का एक अनिवार्य पेपर है। संस्कृत के अध्ययन के लिए कम्प्यूटरों का उपयोग भी किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अमेरिका में 300 वैज्ञानिक वेद उपनिषदों में से ज्ञान-विज्ञान की बातों का अध्ययन करने के लिए 300 वैज्ञानिक संस्कृत भाषा सीख रहे हैं। कार्यक्रम का संचालन संस्कृत विद्यामंडलम् के सचिव डॉ. सुरेश कुमार ने किया। इस अवसर पर संस्कृत के अनेक विद्वान और विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

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