आदिवासी कलाकार जोधइया बाई बैगा का कलेक्टर ने किया सम्मान

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अंतर्राष्ट्रीय कलाकार जोधईया बाई के लोकचित्रों की प्रदर्शनी इटली में भी प्रसिद्ध


उमरिया. जिले की अंतर्राष्ट्रीय चित्रकार 80 वर्षीय जोधइया बाई बैगा का आज कलेक्टर स्वरोचिष सोमवंशी ने अंतर्राष्ट्रीय वृद्ध दिवस क अवसर पर साल श्रीफल देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर कलेक्टर ने कहा कि जोधइया बाई का सम्मान करना मेरे लिए एवं उमरिया जिलावासियो के लिए गर्व की बात है। उन्होने कहा कि जोधइया बाई एवं उनके साथियों द्वारा तैयार की गई पेटिंग्स अब जिले मे आने वाले अतिथियों को भेंट की जाएगी। आदिवासी कलाकार जोधइया बाई के जीवन की कथा दुखो से भरी हुई है। 80 वर्षीय जोधइया बाई ने बताया कि वे कभी स्कूल नही गई! जिले के छोटे से गांव में लोरहा में अपना सारा जीवन बीता दिया। उन्होने बताया कि मात्र 30 साल की उम्र में पति का साया सिर से उठ गया था। बच्चों को पालने के लिए मजदूरी ही एक रास्ता बची थी। पति के मौत के बाद उन्होंने जीविकोपार्जन हेतु माटीगारे की मजदूरी शुरू की। जंगल में हिंसक वन्य प्राणियों के बीच मवेशी के लिए घास काटने जाती थी। जिले के प्रख्यात कलाकार एवं समाज सेवी आशीष स्वामी ने जब जोधइया बाई को कडी मेहनत एवं लगन के साथ परिवार के संचालन को देखा तो उनकी भी आंखे भर आई। उन्होंने जोधइया बाई को लौकी, तुरई आदि से पेटिंग्स तैयार करने का प्रशिक्षण दिया। यह प्रशिक्षण का प्रथम दौर था। जोधइया बाई ने कभी पीछे मुडकर नही देखा। उन्हें जो भी प्रशिक्षण एवं मार्गदर्शन दिए जाते थे, वे पूरी गंभीरता से उन्हें प्राप्त करती थी तथा आगंे बढने के लिए तैयार रहती थी। बैगा पेटिंग्स की वे जीवंत हस्ताक्षर है। जैसे जैसे अनुभव बढता गया वैसे वैसे उनकी पेटिंग्स में निखार आने लगा । धीरे धीरे उनकी पेटिंग्स देश मे ही नही विदेशो में भी विख्यात होने लगी। अब जोधइया बाई का पूरा परिवार बैगा पेटिंग्स बनाता है तथा जहां भी इस तरह के मेले आयोजित होते है वहां पेटिंग्स की प्रदर्शनी लगाते है। लोरहा ग्राम के कलाप्रेमी आशीष स्वामी के स्टूडियों जन गण तस्वीर खाना में तैयार होने के बाद भोपाल के बोन ट्रायवल आर्ट में लगे चित्रों को पद्मजा श्रीवास्तव ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रमोट करने का मन बनाया और उन्होंने इटली के गैलेरिया फ्रांससिस्को जनूसो संस्था से संपर्क किया। संस्था के लोगों ने जोधइया बाई के चित्रों से प्रभावित होकर इटली में प्रदर्शनी आयोजित करने की स्वीकृति दे दी और आज उनकी बैगा पेटिंग्स की प्रदर्शनी इटली मे लगी हुई है।
जोधइया बाई ने विलुप्त होती बैगा चित्रकला को एक बार फिर जीवंत कर दिया है। जिस बडा देव और बघासुर के चित्र कभी बैगाओ के घरों की दीवार पर सजते थे अब वे नही दिखाई देते और न ही उन्हें नई पीढी के बैगा जानते है। उन्हीं चित्रों को जब जोधइया बाई ने कैनवास और ड्राइंग सीट पर आधुनिक रंगों के साथ उकेरना शुरू किया तो बैगा जन जाति की यह कला एक बार फिर जीवंत हो उठी। इटली के मिलान की आर्ट गैलरी में लगी जोधइया बाई बैगा के चित्रों की प्रदर्शनी के शुभारंभ के लिए खास डिजाइन किए गए कार्ड बांटे गये है। इस कार्ड पर भगवान शंकर जो चित्र छापा गया है वह भी जोधइया बाई का बनाया हुआ है। कार्ड पर छपे इस चित्र के नीचे जोधइया बाई के हस्ताक्षर भी है।

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