गजब कहे या कमाल बिना मिट्टी के पानी में उग अब रही सब्जियां :खड़गवां के राजेन्द्र ने शुरू की हाईटेक खेती

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 बिना मिट्टी पाइप व पानी से वर्टिकल फार्मिंग

यू ट्यूब भले ही आपके लिए मनोरंजन का साधन हो मगर 33 वर्षीय राजेन्द्र के लिए यू ट्यूब कमाई का जरिया बन गया है। यूट्यूब पर हाइड्रोपोनिक खेती का कॉन्सेप्ट देख राजेन्द्र ने खेती शुरू कर बिना मिट्टी के सब्जियां उगाना शुरू किया है।

खड़गवां/चिरमिरी। अब किसान बनने के लिए आपको जमीन नहीं महज पानी की जरूरत होगी। सुनने में भले ही यह अजीब लगे मगर खड़गवां के ग्राम मझौली निवासी राजेंद्र दास ने इस धारणा को सच साबित कर दिखाया है। यूट्यूब पर इस कॉन्सेप्ट को देखने के बाद पीवीसी पाइप का सेट लगा कर उन्होंने सब्जियां उगाना शुरू कर दिया है। सिर्फ पानी से बिना मिट्टी के उगाए गए यह सब्जी और फलो के पौधे जमीनी खेती से कहीं बेहतर है। राजेंद्र अपने फार्म पर नेट हाउस लगा कर भूमिगत खेती भी करते हैं। जहां अब वे हाइड्रोपोनिक खेती शुरू कर चुके हैं। इसकी ट्रेनिंग के लिए राजेन्द्र ने हिसार हरियाणा जाकर इसकी बारीकी को समझा जिसके बाद उन्होंने आपमे फार्म पर इस सेटअप को तैयार किया है। यह तकनीक अभी बिल्कुल नई है, इसकी शुरुवात इजराइल में हुई है। भारत मे भी अभी इस खेती को देश के कुछ हिस्सों में शुरू किया गया है।उनका कहना है कि रोजगार तलाश कर रहे हैं, भूमिहीन युवाओं के लिए अपने घरों की छतों पर ही रोजगार पैदा करने का यह एक सुनहरा माध्यम हो सकता है। इस तकनीक से जुड़ी सभी जानकारियां वे अब लोगो को भी बांट रहे है। आप भी उनके मोबाईल पर सम्पर्क कर सकते है 7974771804।

इस तरह होती है खेती, ये है खासियत:-
राजेन्द्र ने बताया कि पानी में की जाने वाली खेती को हाइड्रोपोनिक कहते हैं। 3 इंच या 4 इंच इंच पीवीसी पाइप का एक सेट सेट बनाया जाता है। जिसमें प्रति पाईप 20 छेद किए जाते किए जाते हैं, पाइपों को वर्टिकल स्टैंड में सेट करने के बाद हर छेद में कप लगाया जाता है जिसमे बीज रोपण के लिए मिट्टी की जगह नारियल के बुरादे का इस्तेमाल किया जाता है। पाइपों को दोनों और से से बंद कर इसमें पानी भरा जाता है। पत्तेदार सब्जियां धनिया, पालक, मेथी, लेट्यूस 1 माह में तैयार हो जाते है व फलदार बेल वाली सब्जियो के पौधों पर 2 माह में फल आने शुरू हो जाते हैं। फल लगने के बाद वे इधर-उधर न गिरे या टूट ना जाए इसके लिए धागे का इस्तेमाल किया जाता है।

जैविक फल, ज्यादा पैदावार:-
राजेन्द्र ने बताया कि पाइप में उगाए जाने वाले पौधों पर वह किसी कीटनाशक का इस्तेमाल नही करते है, बीमारी आने पर अदरक, नीम, लहसुन को पीस उसका काढ़ा बनाकर पौधों पर छिड़काव करते है। ज्ञात हो कि जमीन में उगाए जाने वाले पौधों को पोषक तत्व जमीन से मिलते है तो उसकी जड़े पोषक तत्वों की खोज में काफी लंबी हो जाती है और पौधों की बढ़वार कम होती है लेकिन हाइड्रोपोनिक तकनीक में पोषक तत्व जड़ो को आसानी से मिलती है जिसके कारण जड़े ज्यादा नही बढ़ती बल्कि पौधों की बढ़वार तेज हो जाती है। इसलिए पौधे जमीन की अपेक्षा ज्यादा तेजी से बढ़ते है।

 


पानी मे मिश्रित करते है पोषक तत्व:
राजेन्द्र ने बताया कि किसी भी सब्जी, फल और फूल के पौधों के विकास में 16 पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। जिनमे नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटास, सल्फर, जिंक, कैल्सियम, कॉपर, आयरन, बोरान, फेरस इत्यादि शामिल है। पानी मे ये सभी तत्व मौजूद नही होते। इन सभी पोषक तत्वों को एक निश्चित मात्रा में पौधों की आवश्यकता अनुसार पानी मे मिलाया जाता है। जिससे पौधे के विकास में जरूरी पोषक तत्व उसे आसानी से प्राप्त हो जाते है।

भूमिगत खेती और हाइड्रोपोनिक खेती में अंतर:
राजेन्द्र ने बताया की एक एकड़ भूमिगत मिट्टी में खेती करने के लिए सबसे पहले भूमि में कल्टीवेशन, भूमि समतलीकरण, बिजाई, निराई-गुड़ाई, खाद-स्प्रे में करीब बीस से पच्चीस हजार का प्रति फसल खर्च हर बार होता है। मगर पीवीसी पाइप का सेट दस हजार में तैयार हो जाता है जो स्थाई है। एक एकड़ में अगर हम इस तरह का सेट तैयार करते हैं, तो 3 एकड़ के बराबर पैदावार इससे प्राप्त किया जा सकता है। टमाटर के पौधे पर खेतों में जहां 3 से 4 किलो किलो प्रति पौधे फल आता है, वही हाइड्रोपोनिक तकनीक से एक पौधे से 15 किलो तक पैदावार मिल सकती है

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