September 20, 2024

किसानों की समस्याओं पर चर्चा के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाएं राज्यपाल :अमित जोगी

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 अमित जोगी, सियाराम कौशिक और आर. के. राय ने लिखा राज्यपाल को पत्र 

– सरकार का किसानों के हितों से कोई सारोकार नहीं 

– पडोसी राज्यों जैसी भयावह स्तिथि छत्तीसगढ़ में कभी भी संभव 

जोगी एक्सप्रेस 

रायपुर छत्तीसगढ़ में किसानों की खराब आर्थिक स्तिथि और शासन की गलत नीतियों की वजह से किसानों को हो रही समस्याओं पर तत्काल चर्चा करवाने के लिए प्रदेश के राज्यपाल से विधानसभा का आपातकालीन विशेष सत्र बुलाने की मांग की गयी है। यह मांग तीन विधायकगण अमित जोगी (मरवाही), सियाराम कौशिक (बिल्हा) और राजेंद्र कुमार राय (गुंडरदेही) ने संयुक्त रूप से राज्यपाल को पत्र लिख कर करी है। 
अपने पत्र में विधायकों ने लिखा है कि हमारे अन्नदाता की स्तिथि छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश में बहुत ही खराब है। सरकार से कोई सहायता न मिलने पर किसानों को मजबूरन आंदोलन का सहारा लेना पड़ रहा है। मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र इसका ज्वलंत उदहारण है। छत्तीसगढ़ के किसान भाइयों की  भी लगभग यही स्तिथि है। किसानों से २०१३ में सत्ताधारी दल ने अपने चुनावी घोषणापत्र में २१०० रूपए समर्थन मूल्य और ३०० रूपए बोनस देने का वायदा किया था जिसे आज तक पूरा नहीं किया गया है। भयंकर सूखे से जूझ रहे किसानों से सूखा राहत और फसल बीमा मुआवजे के नाम पर भी मज़ाक किया गया है। 
केंद्र सरकार ने मई २०१६ में नेशनल वाटर फ्रेमवर्क बिल के तहत जल उपयोग नीति बनाने के लिए सभी राज्यों को निर्देशित किया था जिसके अंतर्गत उपलब्ध जल के उपयोग की पहली प्राथमिकता पेयजल के लिए, दूसरी प्राथमिकता किसानों को और  उसके पश्चात तीसरी प्राथमिकता उद्योगों की होगी। हमारे प्रदेश में ठीक इसके विपरीत कार्य हो रहा है – किसानों के हक़ का पानी छीन कर उद्योगों को दिया जा रहा है। प्रदेश के जल संसाधन मंत्री का कहना है कि केंद्र द्वारा प्रस्तावित कानून को राज्य विधानसभा में पारित करवाने की आवश्यकता नहीं है। हाल ही में प्रधानमंत्री से मुख्यमंत्री को पुनः निर्देश मिले हैं कि अतिशीघ्र जल उपयोग नीति निर्धारित करने के लिए विधानसभा में संकल्प पारित करवाएं। राज्य सरकार ने केंद्र द्वारा किसानों के लिए संचालित  बाजार हस्तक्षेप योजना समेत अन्य कई योजनाओं का लाभ यहाँ के किसानों को नहीं दिया है जिसका खामियाजा हमारे टमाटर तथा अन्य किसानों को उठाना पड़ा है। अपनी आर्थिक स्तिथि से तंग आकर किसान आत्महत्या करने पर विवश है। सरकार ने विधानसभा में स्वयं स्वीकार किया है कि वर्ष २०१५ – २०१६ में १३७ किसानों ने आत्महत्या करी थी। मामले के गंभीरता को देखते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी हस्तक्षेप करते हुए मुख्य सचिव से पूरे मामले की जानकारी चाही थी। छत्तीसगढ़ के किसान के लिए अभी तक सरकार द्वारा कर्जमाफी नहीं करी गयी है जबकि उत्तरप्रदेश और महाराष्ट्र राज्यों में छत्तीसगढ़ के ही सत्ताधारी दल की सरकारों द्वारा वहां के किसानों के लिए कर्जमाफी कर दी गयी है। पत्र में आगे विधायकों ने लिखा है कि तथ्यों से यह स्पष्ट है कि छत्तीसगढ़ के किसान भाइयों की आर्थिक स्तिथि बहुत ही खराब है। हमारे किसान ऐसे ज्वालामुखी पर बैठे हैं जो आक्रोश की चरमसीमा पर है और कभी भी फट सकता है। ऐसे में पडोसी राज्यों जैसी भयावह स्तिथि छत्तीसगढ़ की भी हो सकती है। विधायकों ने राज्यपाल से अनुरोध किया है कि वे विषय की गंभीरता को देखते हुए छत्तीसगढ़ विधानसभा का एक आपात्कालीन विशेष सत्र बुलाने का निर्देश सम्बंधित अधिकारीयों को दें जिससे इस अत्यंत महत्वपूर्ण विषय पर विधानसभा में तत्काल चर्चा हो सके व प्रदेश के अन्नदाता के हितों की रक्षा की जा सके।

 

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