नक्सलवाद की आड़ में रमन सरकार बस्तर में भ्रष्टाचार का नंगा नाच चला रही :अमित जोगी

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 १४ साल में भी जो काम जोगी जी ने शुरू किया था, उसे पूरा नहीं करवा पाई रमन सरकार-अमित जोगी

जोगी एक्सप्रेस 

रायपुर मरवाही विधायक अमित जोगी ने एक प्रेस कोंफ्रेंस कर बस्तर में सरकार के द्वारा किसी भी कार्य को न कर पाना ये बड़ी गम्भीर बात है उन्होंने अपनी बात को अंगे बढ़ाते हुए बताया की  बस्तर के फैसले आज दिल्ली और हैदराबाद में हो रहे हैं। बस्तर के लोगों से पूछना तो दूर, उनको बोलने का अवसर तक नहीं दिया जा रहा है। इसके बावजूद भी  आज प्रदेश के दोनों राष्ट्रीय दल हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं।

’ एन॰एम॰डी॰सी॰  के विनिवेश का फैसला बिना बस्तर वासियों से पूछे लिया गयाय यहाँ तक कि प्रदेश सरकार, केंद्रीय खनिज मंत्रालय और छडक्ब् मैनज्मेंट से भी पूछा नहीं गया।

’ पोलावरम बाँध का निर्माण एक साल में पूर्ण हो जाएगा लेकिन जो लोग डूब जाएँगे, बेघर हो जाएँगे उनके लिए प्रदेश की दोनों राष्ट्रीय पार्टी कुछ नहीं बोल रही। इस मामले में भी प्रदेश सरकार की ना तो सहमती ली गयी। या फिर ये कहें कि इसका विरोध ना करके  प्रदेश सरकार ने इसको मौन स्वीकृति दे दी है।

’ ₹ ६६००० करोड़ मुआवजा राशि आन्ध्र प्रदेश ने पोलावरम प्रभावितों के लिए आज जारी करी है। प्रदेश सरकार प्रभावितों के लिए क्या करेगी? 

१४ साल में भी जो काम जोगी जी ने शुरू किया था, उसे पूरा नहीं करवा पाई रमन सरकार-’ २००२ में जोगी सरकार ने छडक्ब् पर दबाव डालकर उसको बस्तर में ही स्टील प्लांट बनाने पर मजबूर किया था। नगरनार में जमीन भी उपलब्ध करायी। २ साल में स्टील प्लांट चालू हो जाना था। ऐसा क्यों नहीं हुआ?’ बस्तर में लघु उद्योगों के लिए जमीन डायवर्शन के लिए प्रदेश सरकार ने १००ः छूट देने की २०१४-१९ की उद्योग नीति में घोषणा करी थी, जिसका पालन नहीं किया जा रहा है।’ रमन सरकार के १४ साल के दौरान जितने भी बस्तर में बड़े औद्योगिक निवेश के प्रस्ताव आए, उन में से एक भी धरातल में चालू तक क्यों नहीं हो पाया’ २००२ में बस्तर में मेडिकल कॉलेज स्थापित करने की नींव जोगी जी ने रखी  थी, १४ साल बीत जाने के बाद भी आज भी समूचे बस्तर सम्भाग- जहाँ इस दौरान ६०० से भी ज्यादा बहादुर जवान नक्सलियों से लड़ते शहीद हो चुके हैं- में आपात चिकित्सा का एक भी विशेषज्ञ क्यों नहीं पदस्त हुआ? अगर सही समय में उनका जिला या सम्भागीय मुख्यालय में उपचार होता, तो उन में से कम से कम ३०० जाने बचायी जा सकती थी।’ २००२-०३ में जोगी जी के द्वारा उड़ीसा के साथ अनुबंध के अनुसार जोरा नाला में स्त्रक्चर का निर्माण २ साल में पूर्ण हो जाना था ताकि इंद्रावती नदी में लगातार हो रही पानी की कमी की पूर्ति की जा सके। इसके लिए ५२ करोड़ की राशि भी उड़ीसा को छत्तीसगढ़ सरकार ने दी। इसके बावजूद जोरा नाला का स्त्रक्चर अब तक क्यों नहीं बना?’ वन विभाग द्वारा बिना सोचे समझे युद्ध स्तर पर नीलगिरी के पेड़ लगाए जा रहे है। इस से बस्तर का भूमिगत जल स्तर गिर रहा है। ऐसा केवल इसलिए किया जा रहा है क्योंकि आई॰टी॰सी॰ कम्पनी जिस पौधे को ₹ ५ में बेच रही है, उसे ब्।डच्। मद से वनोपज निगम ₹ १८ में ख़रीद रहा है।

 १४ सालों में बस्तर में स्वास्थ, शिक्षा और कानून व्यवस्था का हाल हुआ बेहाल-

’ आज भी ग्रामीण अंचल में ९०ः  पदस्त चिकित्सक जोगी जी द्वारा शुरू करे गए त्रिवर्षीय पाठ्यक्रम पढ़ें हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस पाट्यक्रम की प्रशंसा करीय प्ड। ने इसे देश भर में लागू करने की अनुशंसा कर दी है। इसके बावजूद इसे प्रदेश सरकार क्यों नहीं चालू कर रही है?’ ९३ः विशेषयज्ञों के, ७०ः डठठै के पद बस्तर में ख़ाली पड़े हैं। ७३ः हाई स्कूल के शिक्षकों के पद रिक्त पड़े हैं।’ दक्षिण बस्तर के तीनों जिलों और नारायणपुर में केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय (छम्म्त्प्) के अनुसार ८०ः जल स्रोतों में लोहे और आर्सेनिक की मात्रा मानक दरों से १० गुना अधिक है।’ नक्सलवाद में रोज बस्तर नए कीर्तिमान स्थापित करते जा रहा है। पिछले १० सालों में सबसे ज्यादा (४७) जवान २०१७ में शहीद हो चुके हैं। इसके बावजूद लगातार पुरानी गलतियाँ दोहरायी जा रही है।’ एप्रिल २०१० में रामगोपाल समिति द्वारा जवानों की जीवन रक्षा सुनिश्चहित करने हेतु निर्धारित एस॰ओ॰पी॰ (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) की धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं।’ इस सम्बंध में मैंने विधान सभा में सरकार से १६ प्रश्न पूछे थे, जिसका आज तक हमें जवाब नहीं मिला। (संलग्न)’ बस्तर में महिलायों के ऊपर पंजिबद्ध अपराधों की संख्या में पिछले २ सालों में ३४०ः वृद्धि हुई है।

 मेरा रमन सिंह सरकार पर सीधा आरोप है कि वो बस्तर में नक्सलवाद को इसलिए ख़त्म नहीं करना चाहती क्योंकि नक्सलवाद की आड़ में जो भ्रष्टाचार का नंगा नाच चल रहा है, वो यहाँ शांति क़ायम होने से समाप्त हो जाएगा।

 

बुरक़ापाल पर अमित जोगी द्वारा २८.४.२९१७ को पूछे गए १६ प्रश्न-

  1. लगभग 300 नक्सली, जिनमें महिलायें भी शामिल थीं, एक ही स्थान पर एकत्र हुए। वे सब अलग-अलग दिशाओं से लगभग 25-30 लोगों के झुंड में आये होंगे। इतने बड़े मुव्हमेंट की जानकारी पुलिस तथा सी.आर.पी.एफ. को कैसे नहीं मिली?
  2. सी.आर.पी.एफ. के कुछ घायल जवानों ने कहा है कि उन्हें राज्य तथा जिले क पुलिस बल से वांछित सहयोग नहीं मिलता। यदि यह सही है तो इस समन्वय के अभाव का क्या कारण है?
  3. केन्द्र और राज्य सरकारों ने नक्सल उन्मुलन से जुड़े महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्तियों में देर क्यों की? डी.जी. सी.आर.पी.एफ. का पद दो माह से रिक्त है। इसी प्रकार आई. जी. कल्लुरी को हटाने के बाद नया आई.जी. नियुक्त करने में अत्यधिक विलम्ब कयों हुआ? इस बीच डी.आई.जी. स्तर के एक साधारण छवि वाले अधिकारी के भरोसे पूरे बस्तर का नक्सल अभियान क्यों छोड़ा गया?
  4. प्रमुख गृह सचिव के पद पर क्यों प्रदेश में कोई ऐसा अधिकारी नहीं है जिसे जिलों में ऐसी कानून व्यवस्था की जवाबदारी निभाने का अनुभव हो?
  5. वर्ष अप्रेल 2010 में जब इसी क्षेत्र में 75 बहादुर जवानों की शहादत हुई थी तो राममोहन कमेटी गठित की गई थी और उसकी रिपोर्ट सभी को उपलब्ध है। ऐसे में उस रिपोर्ट की सभी महत्वपूर्ण सिफारिशों को क्यों नजरअन्दाज किया गया?
  6. नक्सलियों के सफल एंबुश में जवानों पर तीन तरफ से ‘वी‘ शेप फायरिंग की गई। वहाँ उपस्थित सी.आर.पी.एफ. के जवानों को उन्हें आउटफ्लांक करना था। यह क्यों संभव नहीं हुआ?
  7. भारत के सर्वाधिक ख्यातिप्राप्त पुलिस अधिकारी श्री के.पी.एस. गिल को प्रदेश में नक्सली मामलों के लिए विशेषज्ञ नियुक्त किया गया था। उनके कथन के अनुसार उनसे सी.एम. ने कहा कि वे यहां मौज मस्ती करें और नक्सली समस्या के बारे में कोई सलाह न दें। क्या ऐसा जानबूझकर कियागया था जिससे वे असन्तुष्ट होकर वापस चले गये?
  8. पूरे विश्व में अब इस तरह की गुरिल्ला लड़ाई के लिए अत्याधुनिक हथियारों का उपयोग होता है। छत्तीसगढ़ में ड्रोंस, यू.ए.वी., आम्र्ड हेलीकाप्टर, थर्मल इमिज्री इत्यादी का प्रयोग क्यों नहीं किया जाता?
  9. नोटबंदी का कोई प्रभाव, प्रधानमंत्री के दावे के बावजूद, नक्सली गतिविधियों पर क्यों नहीं पड़ा?
  10. हर बार ऐसी घटना के बाद देश के प्रधानमंत्री, केन्द्रीय गृहमंत्री व प्रदेश के मुख्यमंत्री दो जुमलों का हर बार क्यों प्रयोग करते हैं ‘‘कायराना हरकत‘‘तथा‘‘शहीदों की शहादत बेकार होने नहीं दी जायेगी‘‘। इन जुमलों का इस्तेमाल करने के बाद कोई कार्यवाही क्यों नहीं होती?
  11. नक्सलियों को आर्थिक मदद वहां कार्य कर रहे उद्योगपति, ठेकेदार और शासकीय अमलों से मिलती है। इसे रोकने के लिए कोई पहल क्यों नहीं की जाती?
  12. नक्सलियों को समाप्त करने के लिए सामाजिक आर्थिक विकास, राजनैतिक पहल और कानून और व्यवस्था के मुद्दों पर एक साथ पूरी राजनैतिक इच्छाशक्ति से प्रहार क्यों नहीं किया जाता?

12 सी.आर.पी.एफ. के जो जवान शहीद हुए वे एक ही स्थान में एकत्रित होकर लंच ले रहे थे। इस प्रकार वे आसानी से नक्सलियों की हिंसा का शिकार हो गये। अप्रेल 2010 के हादसे में ऐसा ही हुआ था। ये गलतियां क्यों दोहराई जाती हैं?

  1. स्थानीय आदिवासियों का विश्वास अर्जित करने में 14 वर्षों के शासन के बावजूद राज्य सरकार क्यों विफल रही है? अधिकांश प्रकरणों में स्थानीय लोग पुलिस से अधिक नक्सलियों पर विश्वास करते हैं और उन्हें सभी जानकारियां उपलब्ध कराते हैं। ऐसा क्यों हो रहा है?
  2.  दिग्विजयसिंह ने सार्वजनिक रूप से आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री डाॅ. रमनसिंह की नक्सलियों से सांठगांठ है क्योंकि वे उस इलाके में नक्सलियों की मदद लेकर ही चुनाव जीतते रहे हैं। इस आरोप की सच्चाई क्या है?
  3. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री अपने गृहमंत्री का दायित्व आदिवासी नेताओं को ही क्यों देते हैं?  रामविचार नेताम और  ननकीराम कंवर पूर्व में गृहमंत्री थे और वे अपना चुनाव हार गये। वर्तमान में  पैकरा गृहमंत्री हैं। क्या यह प्रमुख आदिवासी नेताओं को बदनाम करने के लिए किया जाता है, जिससे वे भविष्य में मुख्यमंत्री पद के दावेदार न बन सकें। प्रदेश में  बृजमोहन अग्रवाल,  राजेश मुणत,  अमर अग्रवाल,  प्रेमप्रकाश पाण्डेय और  अजय चन्द्राकर जेसे दक्ष मंत्री उपलब्ध हैं। उनमें से किसी को गृहमंत्री की जवाबदारी क्यों नहीं दी जाती?  

 

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