मुख्यमंत्री ने पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी के निधन पर शोक प्रकट किया

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 देश ने संसदीय लोकतंत्र के महान चिंतक और विचारक को हमेशा के लिए खो दिया: डॉ. रमन सिंह
विधानसभा अध्यक्षों के राष्ट्रीय सम्मेलन में वर्ष 2005 में
छत्तीसगढ़ आए थे श्री सोमनाथ चटर्जी

रायपुर,छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने पूर्व लोकसभा अध्यक्ष श्री सोमनाथ चटर्जी के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया है। डॉ. सिंह ने आज सवेरे राजधानी रायपुर में जारी शोक संदेश में कहा है कि श्री चटर्जी के निधन से देश ने संसदीय लोकतंत्र के महान चिंतक, विचारक, विद्वान राजनेता, सुयोग्य और अनुभवी प्रशासक तथा कर्मठ जनप्रतिनिधि को हमेशा के लिए खो दिया है। डॉ. सिंह ने उनके शोक संतप्त परिवार के प्रति संवेदना प्रकट की और दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की है।
मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में स्वर्गीय श्री चटर्जी के वर्ष 2005 के छत्तीसगढ़ प्रवास को याद करते हुए कार्यक्रम का एक फोटो भी शेयर किया है, जब श्री चटर्जी 14 नवम्बर को देश के सभी विधानसभा और विधानपरिषदों के अध्यक्षों (पीठासीन अधिकारियों) और सचिवों के पांच दिवसीय सम्मेलन के शुभारंभ के लिए रायपुर आए थे। श्री चटर्जी ने सम्मेलन में ‘नागरिक एवं सरकार के बीच मध्यस्थ के रूप में सदस्यों की भूमिका विषय पर अपना व्याख्यान भी दिया था। मुख्यमंत्री ने कहा – तब श्री चटर्जी ने चर्चा के दौरान छत्तीसगढ़ प्रदेश के विकास को लेकर काफी दिलचस्पी दिखायी थी और नये राज्य की तरक्की और खुशहाली के लिए अपनी शुभेच्छा भी प्रकट की थी। डॉ. सिंह ने कहा – श्री चटर्जी की लोकप्रियता का इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है कि वे विभिन्न चुनावों में 10 बार सांसद निर्वाचित हुए।
डॉ. रमन सिंह ने स्वर्गीय श्री चटर्जी के साथ अपने वर्षाें पुराने आत्मीय संबंधों को याद करते हुए कहा कि मुझे भी एक सांसद के रूप में उस समय केे वरिष्ठ लोकसभा सदस्य स्वर्गीय श्री चटर्जी से काफी कुछ सीखने और समझने को मिला। स्वर्गीय श्री चटर्जी ने जहां लोकसभा सांसद के रूप में गांव, गरीब और किसानों तथा समाज की अंतिम पंक्ति के लोगों के हितों की रक्षा के लिए सदन में हमेशा अपनी आवाज बुलंद की, वहीं वर्ष 2004 से 2009 तक लोकसभा अध्यक्ष के रूप में अत्यंत कुशलता से सदन का संचालन किया। सहज-सरल स्वभाव के स्वर्गीय श्री सोमनाथ चटर्जी को उनके सादगी पूर्ण व्यक्तित्व और मिलनसार व्यवहार की वजह से समाज के सभी वर्गाें और देश के सभी दलों के बीच अत्यंत सम्मानजनक स्थान प्राप्त था।

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