कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में सभी विभागों ने जताई प्रतिबद्धता

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रायपुर :महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा आज नया रायपुर स्थित संवाद भवन में राज्य स्तरीय अभिसरण तथा उन्मुखीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्य शाला का प्रमुख उद्देश्य राज्य में पोषण मिशन के सफल क्रियान्वयन में शासन के विभिन्न विभागों की भूमिका और आपसी सामंजस्य व समन्वय की आवश्यकता पर चर्चा करना। इस कार्यशाला में राष्ट्रीय पोषण मिशन में प्रमुख भूमिका निभाने वाले विभागों जैसे कृषि, खाद्य,लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी ,नगरीय प्रशासन ,पंचायत एवं ग्रामीण विकास, शिक्षा,स्वास्थ्य,समाज कल्याण विभाग के प्रतिनिधि शामिल हुए।

कार्यशाला में उद्घाटन सत्र में महिला एवं बाल विकास विभाग की सचिव डॉ एम गीता ने मिशन के प्रमुख घटकों और लक्ष्यों पर विस्तार से चर्चा की।उन्होंने कुपोषण के सामाजिक और आर्थिक कारणों पर भी बिन्दुवार प्रकाश डाला . विभाग के संयुक्त संचालक श्री प्रतीक खरे ने इस मिशन के तकनीकी पहलुओं पर बात की डाला।उन्होंने बताया कि सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग इस मिशन का महत्वपूर्ण घटक है इसलिए प्रदेश की आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और पर्यवेक्षकों को स्मार्ट मोबाइल फोन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। जिससे आंगनबाड़ी केंद्रों में विभिन्न योजनाओं के लिए संधारित किये जा रहे 11 में से 10 रजिस्टर अब सॉफ्टवेयर के माध्यम से संधारित किये जा रहे हैं। योजनाओं की रीयल टाइम मोनिटरिंग राष्ट्रीय स्तर पर की जा सकेगी।अब तक रायपुर, महासमुंद,गरियाबंद,बालोद,बेमेतरा,कवर्धा,दुर्ग जिलों में 50 परियोजनाओं की 10473 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को मोबाइल फोन दिए जा चुके हैं। विभाग द्वारा इसके लिए 399 मास्टर ट्रेनरों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। उद्यानिकी विभाग के प्रतिनिधि ने कुपोषण को दूर भगाने में स्थानीय स्तर पर उपलब्ध फल सब्जियों की भूमिका पर प्रकाश डाला।उन्होंने बताया कि मुनगा,चेच भाजी,मशरूम जैसे खाद्य पदार्थों प्रचूर मात्रा में पोषक तत्व मौजूद होते। हैं इसलिए कुपोषण लो कम करने में भोज्य पदार्थों की प्रमुख भूमिका हो सकती है ।कार्यशाला में बताया गया कि स्वच्छता की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है क्योंकि गंदगी से बीमारी का खतरा बना रहता है। संचालक लोक शिक्षण श्री एस प्रकाश ने शासन द्वारा बच्चों को उपलब्ध कराये जा रहे मध्यान्ह भोजन योजना की भूमिका पर अपनी बात रखी। उन्होंने स्कूली बच्चों को अमृत दूध उपलब्ध करने पायलट प्रोजेक्ट के रूप में बस्तर में चलाये जा रहे के बारे में भी चर्च की .

पोषण मिशन में आजीविका की भूमिका है यदि परिवार आर्थिक रूप से समर्थ होगा तभी बच्चों,गर्भवती महिलाओं को उचित पोषण एवं स्वास्थ्य देखभाल हो सकेगा। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के मिशन संचालक श्री नीलेश कुमार क्षीर सागर ने आजीविका मिशन में महिलाओं की भूमिका पर अपनी बात कही। उन्होंने बताया कि इस मिशन से महिलाओं का एक बड़ा वर्ग जुड़ा हुआ है ।जिनके सहयोग से पोषण मिशन को सफल बनाया जा सकता है।

कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में स्वास्थ्य विभाग के राज्य स्तरीय संसाधन केंद्र के श्री समीर गर्ग ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और मितानिनों के आपसी सामंजस्य को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि इस जमीनी अमले की पोषण अभियान महत्वपूर्ण भूमिका है .आपसी समन्वय और अभिसरण से अभियान के लक्ष्यों को प्राप्त करने में आसानी होगी . उल्लेखनीय है कि पोषण अभियान का शुभारम्भ माननीय प्रधानमंत्री द्वारा दिनांक 08 मार्च 2018 को झूंझुनू राजस्थान में किया गया है। नीति आयोग के उप-सभापति के नेतृत्व में राष्ट्रीय परिषद का गठन किया गया है। परिषद् द्वारा राष्ट्रीय पोषण मिशन का अनुश्रवण किया जाएगा। मिशन की कुल लागत रु. 9046.17 करोड़ का 50 प्रतिशत राशि अर्थात रु. 4523.08 करोड़ शासकीय स्त्रोत से एवं शेष 50 प्रतिशत राशि अर्थात रु. 4523.08 करोड़ पुनर्निमाण एवं विकास की अंतर्राष्ट्रीय बैंक अथवा अन्य बहू-आयामी विकास बैंक से ऋण के रुप में ली गया है। उपरोक्त 50 प्रतिशत् में मिशन अंतर्गत व्यय का भार केन्द्रांश 80 प्रतिशत तथा राज्यांश 20 प्रतिशत होगा।राष्ट्रीय पोषण मिशन का उद्देश्य 0 से 6 वर्ष के आयु समूह के बच्चों में विद्यमान कुपोषण के स्तर स्टंटिंग/बौनापन) को 38.4 प्रतिशत को चरणबद्ध तरीके से घटाकर वर्ष 2022 तक 25 प्रतिशत किया जाना है।राष्ट्रीय स्तर पर रु. 150.00 करोड़ का समग्र निधि बनाया जाएगा। इसके ब्याज से आंगनवाडी़ कार्यकर्ता समूह, आशा, एएनएम जिन्होंने मिशन के लक्ष्य प्राप्ति में महत्वपूर्ण योगदान किया हो के लिये रु. 1.50 लाख प्रति समूह प्रति वर्ष पुरस्कार स्वरूप दिया जायेगा। आंगनवाडी़ कार्यकर्ता को आईसीटी-आरटीएम घटक को बेहतर तरीके से क्रियान्वित करने के लिये रु. 500/- प्रति माह प्रोत्साहन स्वरूप दिया जायेगा। वर्ष 2017-18 में विभिन्न राज्यों के 315 जिले लिये जायेगे। इसमें छत्तीसगढ़ राज्य के 12 जिले – राजनांदगांव, बस्तर, बीजापुर, दंतेवाड़ा, दुर्ग, जशपुर, कांकेर, कोरबा, महासमुंद, नारायणपुर, रायपुर एवं कवर्धा शामिल हैं । वर्ष 2018-19 में विभिन्न राज्यों के 235 जिले लिये जायेंगे तथा वर्ष 2019-20 में विभिन्न राज्यों के शेष जिले लिये जाएंगे । द्वितीय चरण में अर्थात् वर्ष 2018-19 से छत्तीसगढ़ राज्य के शेष जिलों को पोषण अभियान अंतर्गत शामिल कर लिया गया है। अतः वर्ष 2018-19 से प्रदेश के सभी जिलों में पोषण अभियान लागू होगा।

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