रबी के धान का समर्थन मूल्य नहीं बढ़ाना छत्तीसगढ़ के किसानों के साथ अन्याय – कांग्रेस

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भाजपा बतायें मोदी सरकार ने रबी के धान का समर्थन मूल्य क्यों नहीं बढ़ाया?

रायपुर/19 अक्टूबर 2023। केंद्र सरकार ने रबी फसल के लिये गेंहूं, जौ, चना, मसूर के लिये समर्थन मूल्य घोषित किया है लेकिन धान के समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी की कोई घोषणा नहीं की गई है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि धान का समर्थन मूल्य नहीं घोषित कर छत्तीसगढ़ के किसानों के साथ अन्याय है। छत्तीसगढ़ का किसान खरीफ के साथ रबी में भी धान की खेती करता है। ऐसे में धान के समर्थन मूल्य की भी बढ़ोतरी की जानी चाहिये लेकिन मोदी सरकार की प्राथमिकता में छत्तीसगढ़ के किसान है ही नहीं। भाजपा केवल वोट हासिल करने के लिये किसानों के बारे में बात करते है, हकीकत में भाजपा छत्तीसगढ़ के किसानों के लिये दुर्भावना रखती है। भाजपा छत्तीसगढ़ के किसानों के खिलाफ खड़ी है। इसीलिये रबी की फसल की कीमतों में धान के समर्थन मूल्य की बढ़ोतरी नहीं किया गया।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भाजपा छत्तीसगढ़ के धान खरीदी बंद करने का षड़यंत्र कर रही है। वह नहीं चाहती धान की 2640 में या उससे अधिक दाम में खरीदी हो। इसीलिये छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा की जाने वाली धान खरीदी में भाजपा अड़ंगा पैदा करती है। छत्तीसगढ़ से लेने वाले चावल के कोटे को केंद्र ने 80 लाख मीट्रिक टन से घटाकर 61 लाख मीट्रिक टन इसलिये किया गया, धान की कीमत समर्थन मूल्य से 1 रू. भी ज्यादा देने पर भाजपा अड़ंगा लगाती है, राज्य सरकार को धमकी देती है राज्य के द्वारा पूरा पैसा देने के बावजूद बारदाना की कोटे में मोदी सरकार कटौती करवाती है।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि मोदी सरकार का धान खरीदी में कोई योगदान नहीं है। धान खरीदी का पूरा का पूरा पैसा राज्य सरकार के द्वारा वहन किया जाता है। राज्य सरकार मार्कफेड के माध्यम से विभिन्न बैंकों से कर्ज लेकर धान खरीदी करती है। किसानों को छत्तीसगढ़ में 2640 रूपये, देश ही नही दुनिया में सबसे ज्यादा कीमत भूपेश सरकार दे रही है। भारतीय जनता पार्टी नेता भ्रम फैलाने के लिये जबरिया वाहवाही लेने के लिये राजनीति कर रहे है। पिछले वर्ष 107 लाख मीट्रिक धान की खरीदी कांग्रेस सरकार ने किया था। यह एक बड़ी उपलब्धि है। 15 साल में रमन सरकार के द्वारा इसका आधा धान ही खरीदा जाता था। इस वर्ष 125 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य रखा गया है।

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