न नीति, न नियत, न नेता और अब तो नारे भी चुराने लगे हैं छत्तीसगढ़ में भाजपाई

0

सरकार में रहते भाजपाइयों को न छत्तीसगढ़ी संस्कृति याद आई, न माता कौशल्या, अब चुनावी स्लोगन छत्तीसगढ़ी में खोज रहे

रायपुर/12 अक्टूबर 2023। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव और समूची भारतीय जनता पार्टी एक चुनावी नारा तक तैयार करने की स्थिति नहीं है। कांग्रेस के नारे “है तैयार हम” को चुरा कर अरुण साव अपनी राजनीति चमकाने में लगे है। छत्तीसगढ़ में मुद्दों के दिवालियेपन से जूझ रहे भाजपाई अब तो कार्यक्रम, यात्रा और नारा भी कांग्रेस से चुराने लगे हैं। भारतीय जनता पार्टी के पास छत्तीसगढ़ की जनता के लिए झूठ और जुमलों के अलावा कुछ भी नहीं है। इनके जुमलों की हकीकत भी उजागर हो चुकी है। 15 साल रमन सिंह को अवसर था कि वह छत्तीसगढ़ के पुरखों के द्वारा देखे गए सपनों को साकार कर सकें, छत्तीसगढ़ी प्रथा-परंपरा, रीति-रिवाज, खान-पान, छत्तीसगढ़िया संस्कृति और स्वाभिमान की उपेक्षा करने वाले भाजपाई अब चुनाव नजदीक आते हैं छत्तीसगढ़ी स्लोगन खोजने लगे हैं।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि छत्तीसगढ़ की जनता ने रमन सिंह को लगातार 15 साल अवसर दिया था, की स्थानीय तीज त्यौहार हरेली, तीजा पोरा, गोवर्धन पूजा, विश्व आदिवासी दिवस जैसे छत्तीसगढ़ी परंपरा के सहभागी बने, आयोजन करें, स्थानीय कलाकारों को ऐसे आयोजनों में अवसर दें, माता कौशल्या और राम वन गमन पथ का काज करें, माता गुड़ी, देवगुड़ी और लीला मंडलियों का संरक्षण, संवर्धन, प्रोत्साहन कर सके लेकिन सत्ता में रहने के दौरान उन्हें कमीशनखोरी के आलावा और कुछ याद ही नहीं आया।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व भी यह मान चुका है कि भारतीय जनता पार्टी छत्तीसगढ़ में सबसे ख़राब स्थिति में है। भूपेश पर भरोसे की सरकार के सामने भाजपा के हर तरह के पैतरे, तमाम षड़यंत्र नाकाम रहे। भाजपा का कोई बदलाव छत्तीसगढ़ में काम नहीं आया। छत्तीसगढ़ में पिछले 4 साल के दौरान भाजपा के चार प्रदेश अध्यक्ष बदले, आधा दर्जन से ज्यादा प्रभारी आ गए, महीने भर के भीतर दो दर्जन केंद्रीय मंत्री आए, विगत तीन महीनों के भीतर प्रधानमंत्री के चार-चार दौर हो चुके, देश के गृह मंत्री अमित शाह को हर हफ्ते आना पड़ रहा है, बूथ और पन्ना प्रभारियों के बैठक भी उन्होंने ही लिया फिर भी नतीजा शून्य रहा। मानसिक दिवालियापन और विश्वसनीयता के संकट के से जूझ रहे भाजपाई चुनावी नारे और कार्यक्रम भी चुराने लगे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed