चाउर वाले बाबा रहे होंगे कभी, अब तो कमीशन बाबा और दारुवाले बाबा बन गये:अहंकार से भरे मुख्यमंत्री को दुर्भाग्यजनक घटनायें तक ठीक से याद नहीं: भूपेश बघेल

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रायपुर/ विधानसभा में मुख्यमंत्री के बयान पर तीखा पलटवार करते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भूपेश बघेल ने कहा है कि पिछले कुछ दिनों के बयानों से स्पष्ट हैं कि रमन सिंह जी अहंकार से भर गए हैं। इस अहंकार में रमन सिंह जी को याद ही नहीं आ रहा है कि प्रदेश में सबसे दुर्भाग्यजनक घटनाएं क्या हुई हैं। उन्होंने कहा कि रमन सिंह जी के मुख्यमंत्री के रहते ही जीरम में दुनिया का सबसे बड़ा राजनीतिक नरसंहार हुआ और उसकी जांच तक नहीं हुई। मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने लोकतंत्र का चीरहरण किया और उसकी भी अब तक जांच नहीं करवाई। ये दोनों घटनायें ही दरअसल छत्तीसगढ़ बनने के बाद हुयी सबसे दुर्भाग्यजनक घटनायें हैं।
भाजपा के विधायकों के दलबदल की जहां तक बात है तो यह प्रदेश में किससे छिपा है कि उन्हीं पूर्व मुख्यमंत्री से उनकी गहरी मित्रता हो गई है और उन्हीं के साथ मिलकर अंतागढ़ उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी की खरीद-फरोख्त को अंजाम दिया गया। वह बेहद दुर्भाग्यजनक था और उससे भी अधिक यह दुर्भाग्यजनक था कि इस खरीद-फरोख्त के पुख्ता सबूत होने के बावजूद इसकी आज तक जांच नहीं करवायी गयी।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल ने कहा कि पत्रकारों के समक्ष सीडी लहराने को दुर्भाग्यजनक बताने वाले रमन सिंह को यह दुर्भाग्यजनक नहीं लगता कि भाजपा के नेता ही अश्लील वीडियो बनाने में लगे हुए थे। उन्हें यह भी दुर्भाग्यजनक नहीं लगता कि पार्टी के लोग इस वीडियो के बारे में जानते थे फिर भी इसे नहीं रोका गया। उन्होंने कहा कि सिर्फ इसकी जानकारी प्रदेश के जिम्मेदार मीडिया को देने के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस करना मुख्यमंत्री को दुर्भाग्यजनक लग रहा है। भाजपा के नेता अपने ही मंत्रियों की सीडी बनवातें है तो दुर्भाग्य नहीं होता। भाजपा गुजरात में हार्दिक पटेल की सीडी बांटती हैं तो दुर्भाग्य नहीं होता लेकिन छत्तीसगढ़ में दुर्भाग्य की परिभाषायें बदल दी जाती है। बघेल ने पूछा कि भाजपा का एक मुख्यमंत्री अपने गृहमंत्री से एक विवाहित महिला की जासूसी करवाता है तो भाजपा क्या इसे सौभाग्यजनक घटना मानती है?
उन्होंने कहा कि जीरम में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को कथित नक्सली हमले में मार दिया गया। यह दुनिया का सबसे बड़ी राजनीतिक हत्या की घटना थी। दुर्भाग्यजनक तो यह है कि मुख्यमंत्री रमन सिंह जीरम की घटना के पीछे षडयंत्र की जांच नहीं करवाना चाहते। यह भी दुर्भाग्यजनक है कि वे जनता के सामने झूठ बोलते हैं कि आयोग या एनआईए इसकी जांच कर रहे हैं। ताड़मेटला में एक साथ 76 जवानों का मारा जाना दुर्भाग्यजनक था और मानवाधिकार आयोग की यह रिपोर्ट भी दुर्भाग्य जनक है कि सुरक्षाकर्मी आदिवासी महिलाओं का यौन शोषण कर रहे हैं।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, “दुर्भाग्यजनक 36000 करोड़ का नान घोटाला था। मुख्यमंत्री जी और उससे भी ज्यादा दुर्भाग्यजनक नान घोटाले की डायरी में सीएम मैडम का नाम होना था। मुख्यमंत्री के पते पर विदेश में खाता खोलकर कालाधन जमा करना दुर्भाग्यजनक था और उससे भी ज्यादा दुर्भाग्यजनक यह था कि यह पैसा एक हेलिकॉप्टर के कमीशन का था।” श्री बघेल ने कहा कि अगस्ता के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को कोई बरी नहीं किया है, अदालत ने बस दूसरे फोरम में जाने को कहा है और यह भी कहा कि कालेधन वाले खाते की जांच अलग से चल रही है। अभी यह राज्य के लिए ज्यादा दुर्भाग्यजनक खबरें अभी आनी बची हुई है।
उन्होंने कहा कि प्रियदर्शनी बैंक घोटाले के नार्को टेस्ट में मुख्य आरोपी की यह स्वीकारोक्ति दुर्भाग्यजनक थी कि उसने मुख्यमंत्री रमन सिंह और उनके मंत्रियों को करोड़ों रुपए पहुंचाए। श्री बघेल ने कहा कि धान के कटोरे में किसानों की आत्महत्या दुर्भाग्यजनक है, सरकार की ओर से उनको बोनस और समर्थन मूल्य के नाम पर ठगा जाना दुर्भाग्यजनक है। 27000 महिलाओं का लापता होना, मीना खल्को और मड़कम हिड़में का मामला दुर्भाग्यजनक है, नसबंदी कांड और अंखफोड़वा कांड दुर्भाग्यजनक है।
भूपेश बघेल ने कहा, “तीसरे कार्यकाल के अंत में मुख्यमंत्री अगर अपने कार्यकर्ताओं, नेताओं और मंत्रियों से कहें कि कमीशन लेना एक साल के लिए बंद करो तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है और फिर भी कमीशनखोरी का बंद न होना उससे भी अधिक दुर्भाग्यजनक।” उन्होंने कहा कि सरकार कमीशन के लिए शराब बेचती है और दुर्भाग्यजनक है कि फिर भी वह जनता से कहती है कि सरकार शराबबंदी करना चाहती है।
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय से मुख्यमंत्री रमन सिंह अहंकार से भरे बयान दे रहे हैं। कभी वे कहते हैं कि उनके एक भाषण से कांग्रेस की एक सरकार गिर जाती है तो कभी वे दुर्भाग्यजनक घटनाओं का ब्यौरा देते हैं। उन्हें घमंड हो गया है कि वे कभी चांउर वाले बाबा के नाम से जाने जाते थे, क्या यह दुर्भाग्यजनक नहीं है कि उन्हें जनता अब कमीशन बाबा या दारुवाले बाबा के नाम से जानती है?

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