आदिवासी समाज का वोट तय करेगी अगली सरकार का भविष्य

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ऊंट किस करवट बैठेगा, ये अभी तय नही


रायपुर :कल की ही बात लीजिये आदिवासी समाज के विशाल सम्मेलन में सम्मिलित विशाल जनसमूह को देख कर और उनकी एकता को देख कर लगा, जैसे समूचा आदिवासी समाज भाजपा से नाखुश है।
एक बड़े आदिवासी नेता ने तो बयान जारी करते हुए कहा कि जिन्होंने आदिवासियों की नही सुनी अब सुन ले, तुम यदि आदिवासी नेताओ को टिकट भी दोगे तो वोट कहाँ से लाओगे,
अब सवाल उठना भी लाजिमी है,32% के लगभग प्रदेश में आदिवासियों की जनसंख्या है।आदिवासी बाहुल्य इलाको में किस स्तर पर विकास किया गया, ये अब सबको पता है । फ़र्ज़ी मुठभेड़ में लोगो की जाने गई, झूठे केसों में निरीह निहत्थे लोगो पर बल प्रयोग से लेकर बड़ी बड़ी यातनाओ में झोंका गया । अब बारी यहाँ के आदिवासी समाज की है । वो अपनी कैसे प्रतिक्रिया देते है ये तो आने वाला समय बताएगा ।


अब सवाल छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी का, बेशक उनकी मेहनत और ज़ज्बे को अनदेखा नही किया जा सकता, उन्होंने अपने बुलंद और मजबूत इरादों से अपनी पार्टी खड़ी कर मिसाल पेश की । लेकिन अभी जनता और व्यपारियो तक उनकी आवाज़ पहुचने में वक़्त लगेगा । नई पार्टी बनने के साथ ही झुंड के झुंड युवा पोस्ट और पद के लिए धक्का मुक्की करते नज़र आ रहे है पर जमीनी स्तर पर सूपड़ा साफ है। कल के कलेक्ट्रेट घेराव में बमुश्किल से इकठ्ठा हुए मुट्ठी भर लोग क्या छत्तीसगढ़ का सचमुच इतिहास बदल पाएंगे ?


अब बारी कांग्रेस की । जनता में इस बार अपना जनाधार बना पाने में कांग्रेस कुछ हद तक सफल तो हुई पर गंभीर आरोपो से कभी जमीन, तो कभी सीडी के जिन्नों ने लुटिया डुबोने में कोई कसर नही छोड़ी । इन सब के बावजूद यदि कांग्रेस के युवाओ ने समय रहते पार्टी को सही नेतृत्व और दिशा दिलाने में कामयाब नही हुए तो फिर कांग्रेस वापस आकर वहीं खड़ी हो जायेगी जहाँ वो पहले थी ।
अब बारी बीजेपी की । लगातार गिरता जनाधार, लोगो मे सरकार को लेकर नीरसता, उबाऊ कार्यक्रमो, कान फोड़ू हो हल्ला के बीच अब जनता सुकून और टेस्ट बदलने के मूड में है।

 

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