रमन और जोगी एक ही सिक्के के दो पहलू : टी.एस. सिंहदेव

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जोगी की जाति मामले में सांठगांठ फिर हुयी उजागर

रायपुर, कांग्रेस विधायक दल के नेता टी.एस. सिंहदेव ने कहा कि मैंने ये कभी नहीं कहा कि रमन सिंह जीतेगे। मैंने ये कहा है कि अजीत जोगी की राजनांदगांव से हार जरूर होगी। भाजपा और जोगी कांग्रेस दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, दोनों एक दूसरे को जमकर मदद करते हैं। मैंने कहा है कि राजनांदगांव से अजीत जोगी चुनाव नहीं जीतेंगे। मुख्य बात यह है कि अजीत जोगी वहां से चुनाव लड़ेंगे नहीं, यह तो एक शिगूफा मात्र है। हाईकोर्ट में जोगी के जाति मामले में जो निर्णय आया उसके बाद ये बात उजागर हो गयी कि अजीत जोगी और रमन सिंह की सांठगांठ बदस्तूर बनी हुयी है। 2013 के चुनाव के ठीक पहले किस तरह से रमन सरकार ने जोगी के जाति मामले की रिपोर्ट प्रस्तुत करके हाईकोर्ट से वापस ले ली है। 2013 के चुनाव के पहले जिस तरह से रमन सिंह सरकार ने अजीत जोगी को मदद पहुंचाया था ठीक उसी तरह की मदद 2018 की चुनाव के ठीक पहले इस बात से उजागर होती है कि रमन सिंह की सरकार ने जोगी के जाति मामले की जांच कर रही कमेटी का गठन का राजपत्र में प्रकाशन ही नहीं करवाया। यह कहकर रमन सिंह सरकार ने अजीत जोगी को फिर से चुनाव लड़ने का जाति मामले में मौका दे दिया। जोगी के खिलाफ कार्यवाही नहीं करने का मौका दे दिया। सुप्रीम कोर्ट ने 13 अक्टूबर 2011 को ये कहा था कि जोगी के जाति मामले में 6 महिने के अंदर कमेटी गठित कर रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। रमन सिंह और अजीत जोगी की सांठगांठ उजागर हो गयी है। इस प्रकरण में 6 महिने कौन कहे साढ़े सात साल बीत जाने के बाद भी अभी तक इस प्रकरण में राज्य की कथित बहुत अच्छा काम करने वाली रमन सिंह सरकार ने रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की। इस साठगांठ की बात को, मिलीभगत को छुपाने के लिये, इस बात को लोगो के ध्यान से हटाने के लिये अजीत जोगी का बयान आया कि मैं राजनांदगांव से रमन सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ूंगा। इसके पहले स्पीकर साहब के खिलाफ चुनाव लड़ूंगा, महासमुंद से भी लड़ूंगा, पता नहीं कहां-कहां से चुनाव लड़ने की मंशा बताते रहे है? 2013 के पहले भी रमन सिंह के खिलाफ राजनांदगांव से चुनाव लड़ने की बात कह चुके है। जिस समय टिकट वितरण उनके हाथ में था, उस समय भी कहते थे कि रमन सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ूंगा। उनकी स्थिति है ही नहीं चुनाव लड़ने की। रमन और जोगी एक दूसरे की मदद कर रहे है, यह जगजाहिर है। हाईकोर्ट में जाति मामले को पीछे करने के लिये कुछ हद तक रमन और जोगी सफल भी हो गये थे। आज मीडिया में और जन-जन में बयान की बात हो रही है, जाति मामले में कैसे-कैसे मदद की गयी इसकी बाते भी हो रही है। रमन सिंह सरकार ने अजीत जोगी को 2013 चुनाव के पहले जिस तरह से मदद पहुंचाई ठीक उसी तरह से इस बार भी 2018 में मदद पहुंचाने की नीयत साफ-साफ दिखाई पड़ रही है। रमन और जोगी एक ही सिक्के के दो पहलू है, एक हेड है और एक टेल है, कौन हेड है और कौन टेल है दिख जायेगा। लेकिन दोनों खुल के एक दूसरे को सहयोग कर रहे है। यही बात छत्तीसगढ़ में राजनैतिक पृष्ठ भूमि में पिछले 8-9 साल से दिख रही है।

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