श्रमिकों के प्राइवेट फंड के पैसों को भी डकारने के फिराक में मोदी सरकार

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मोदी राज में अब करोड़ों कामगारों के ईपीएफओ में जमा राशि पर ब्याज भी गायब

सार्वजानिक निधि/ट्रस्ट के फंड चहेते पूंजीपतियो को, जमा पर ब्याज में लगातार कटौती, बैंकलोन महंगे और ईएमआई में वृद्धि जारी

रायपुर/11 अक्टूबर 2022। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि निजी क्षेत्र, प्राइवेट कंपनियों और सार्वजनिक उपक्रमों में काम करने वाले करोडों लोगों के खून पसीने की कमाई जो ईपीएफओ में जमा है उस पर दिए जाने ब्याज भी अब मोदी सरकार ने गायब कर दिया है। विदित हो कि निजी क्षेत्र में कार्यतर 24 करोड़ 77 लाख कामगारों की मेहनत की कमाई जो ईपीएफओ में जमा है उसका हिसाब किताब ऑनलाइन साइट से गायब है। पूर्व में भी कोल इंडिया लिमिटेड और उसके आनुषांगिक कंपनियों के 9 लाख 50 हज़ार कर्मियों के कोल खदान भविष्य निधि संगठन के 90 हज़ार करोड रुपए जो एसबीआई में जमा थे उसे 26 मार्च को मोदी जी के मित्र की कंपनी रिलायंस को सौंपे जाने का निर्णय लिया गया था। निजी कंपनी को पेंशन फंड के वित्तीय प्रबंधन सौंपे जाने के निर्णय पर विभिन्न कोयला उद्योग श्रमिक संगठनों ने आपत्ति की लेकिन अधिनायक वादी मोदी सरकार तमाम आपत्तियों को दरकिनार कर कर्मचारी विरोधी निर्णय पर अडिग रही। मोदी निर्मित आपदा, महंगाई और बेरोजगारी से जूझ रही देश की आमजनता मोदी सरकार के गलत फैसलों, जमाधन पर ब्याज कटौती और कर्ज पर ब्याज बढ़ाने के दोहरीमार झेलने मजबूर है।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि एक तरफ केंद्र की मोदी सरकार छत्तीसगढ़ में भुपेश सरकार द्वारा कर्मचारी हित में पुराने पेंशन योजना को बहाल करने के बाद भी पूर्व में एनएसडीएल में छत्तीसगढ़ सरकार और कर्मचारियों के अंशदान के जमा 17000 करोड रुपए देने में आनाकानी कर रही है, वहीं दूसरी ओर अब इपीएफओ के ब्याज में डकैती डाल रही है। चंद पूंजीपति मित्रों के मुनाफे के लिए काम करने वाली मोदी सरकार अब निजी क्षेत्रों में काम करने वाले करोडों कामगारों का पैसा भी पूंजीपतियों को सौंप रही हैं। एक तरफ ईपीएफ पर ब्याज जो कांग्रेस सरकार के दौरान 9 प्रतिशत से अधिक था घटकर 7 प्रतिशत हो गया है। सुकन्या समृद्धि योजना, सरकारी बॉन्ड, फिक्स डिपोजिट, आरडी, किसान विकास पत्र के साथ ही बुजुर्गों और महिलाओं के आय का प्रमुख साधन जमा पर ब्याज भी मोदी सरकार में लगातर घटाए जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर बैंक से ऋण लेने पर ब्याज लगातार बढ़ रहा है ईएमआई बढ़ाए जा रहे हैं। चालू वित्तीय वर्ष में ही आरबीआई द्वारा चार बार रेपो दर बढाया गया है, जिससे लोन पर ब्याज दर लगभग 2 प्रतिशत बढ़ गया है। मोदी सरकार के गलत आर्थिक नीतियों और चंद पूंजीपति मित्रों को मुनाफा पहुंचाने की हवस का खामियाजा सीधे तौर पर आमजनता भोग रही है।

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