छत्तीसगढ़ के हस्तशिल्पियों के हाथों में हजारों वर्ष पुरानी कला को जीवित रखने का जादू: डॉ. रमन सिंह

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रायपुर :  मुख्यमंत्री ने किया ‘जगार 2018’ का शुभारंभ

पद्मश्री सम्मानित हस्तशिल्पी स्वर्गीय श्री जयदेव बघेल के नाम पर,बनेगा 20 लाख रूपए की लागत का विश्राम भवन

रायपुर, मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि हमारे हस्तशिल्पियों के हाथ में अपनी हजारों वर्षों की परम्परागत कला को जीवित रखने का जादू है। मुख्यमंत्री आज यहां पंडरी स्थित छत्तीसगढ़ हाट परिसर में छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड द्वारा आयोजित दस दिवसीय जगार 2018 के शुभारंभ समारोह को संबोधित कर रहे थे। यह अखिल भारतीय हस्तशिल्प एवं हाथ करघा वस्त्रों की भव्य प्रदर्शनी सात फरवरी तक प्रतिदिन पूर्वान्ह 11 बजे से रात्रि नौ बजे तक आम जनता के लिए खुली रहेगी। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर छत्तीसगढ़ हाट परिसर पंडरी में पद्मश्री सम्मान प्राप्त हस्तशिल्पी स्वर्गीय श्री जयदेव बघेल के नाम पर हस्तशिल्पियों के लिए 20 लाख रूपए की लागत से विश्राम भवन का निर्माण कराने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि हाट परिसर में आने वाले शिल्पियों के लिए यह भवन निःशुल्क उपलब्ध रहेगा। स्वर्गीय श्री जयदेव बघेल कोण्डागांव के सुप्रसिद्ध बेलमेटल शिल्पी थे, जिन्हें शिल्प गुरू का सम्मान भी प्राप्त है। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड द्वारा प्रकाशित स्मारिका का विमोचन किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष श्री गौरीशंकर अग्रवाल ने की। ग्रामोद्योग मंत्री श्री पुन्नूलाल मोहले, कृषि एवं जल संसाधन मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल, महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती रमशीला साहू और छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड के अध्यक्ष श्री दीपक ताराचंद साहू, बोर्ड के संचालक मंडल की सदस्य श्रीमती मीना लहरे और श्री प्रदीप सागर विशेष अतिथि के रूप में कार्यक्रम में उपस्थित थे। इस प्रदर्शनी में छत्तीसगढ़ सहित 14 राज्यों मध्यप्रदेश, ओडिशा, आंध्रप्रदेश, तेलंगना, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, नईदिल्ली, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल के लगभग 200 कलाकारों ने अपनी हस्तशिल्प और हाथकरघा वस्त्रों की प्रदर्शनी लगाई है। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर पांच शिल्पियों को उनकी उत्कृष्ट कलाकृतियों के लिए राज्य स्तरीय पुरस्कार से सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री ने समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि जगार के माध्यम से छत्तीसगढ़ सहित देशभर के हस्तशिल्पियों को एक मंच प्रदान करने का प्रयास किया जा रहा है, जहां  उन्हें अपनी कलाकृतियों का प्रदर्शन करने के साथ-साथ दूसरे कलाकारों से भी सीखने का अवसर मिलता है। इस दौरान हस्तशिल्पियों के लिए कार्यशाला का आयोजन भी किया जाता है और उनके कलाकृतियों की बिक्री भी होती है। इस प्रदर्शनी में हस्तशिल्पियों ने ढोकरा, बेलमेटल, टेराकोटा, लौहशिल्प, तुंबाशिल्प, काष्ठशिल्प सहित हाथकरघा वस्त्रों की प्रदर्शनी लगाई है। राजधानी रायपुर सहित छत्तीसगढ़ के लोगों को भी हर वर्ष आयोजित होने वाली जगार प्रदर्शनी का इंतजार रहता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी चाहते हैं हस्तशिल्पी अधिक से अधिक संख्या में शासकीय योजनाओं का लाभ लेकर आगे बढ़े। प्रधानमंत्री ने खादी को बढ़ावा देने के लिए एक व्यक्ति एक खादी वस्त्र का आव्हान किया था। उनके इस आव्हान से खादी वस्त्रों की मांग में 60 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। छत्तीसगढ़ में भी लगभग 42 लाख लोग हाथकरघा वस्त्रों के उत्पादन से जुड़े हैं। राज्य सरकार इन्हें बढ़ावा देने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है।
डॉ. सिंह ने कहा कि हस्तशिल्प जीवित रखने और इसे बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है। विधानसभा अध्यक्ष श्री गौरीशंकर अग्रवाल ने समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ के हस्तशिल्पियों ने अपनी कलाकृतियों से देश-विदेश में छत्तीसगढ़ की पहचान बनाई है। समय के साथ-साथ हमारे शिल्पियों की कला में निखार आ रहा है। उन्होंने नई पीढ़ी को भी हस्तशिल्प से जोड़ने की आवश्यकता बतायी। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि गा्रमोद्योग मंत्री श्री पुन्नूलाल मोहले ने बताया कि प्रदेश में 15 हजार हस्तशिल्पी परिवार बोर्ड में पंजीकृत हैं। बोर्ड की प्रशिक्षण योजना के अंतर्गत 8957 हस्तशिल्पियों को विभिन्न शिल्प में उन्नत प्रशिक्षण देकर रोजगार से जोड़ा गया है। प्रदेश में 1215 हस्तशिल्पियों को औजार उपकरण अनुदान के अंतर्गत 60 लाख 75 हजार रूपए की सहायता दी गई है, 286शिल्पियों को कर्मशाला निर्माण के लिए 28 लाख 60 हजार रूपए का अनुदान दिया गया है। साठ वर्ष से अधिक आयु के 20 शिल्पियों को प्रति माह 5 हजार रूपए मासिक पेंशन दी जा रही है। अब तक 84 शिल्पियों को राज्य स्तरीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। छत्तीसगढ़ के शिल्पियों को भारतीय शिल्प संस्थान जयपुर में डिजाइन शिक्षा के लिए भेजा जाता है। इस योजना में 35 शिल्पियों को प्रशिक्षण दिलाया गया। प्रति हितग्राही चार लाख रूपए के मान से एक करोड़ 40 लाख रूपए की सहायता दी गई है।
छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड के अध्यक्ष श्री दीपक ताराचंद साहू ने लोगों से आव्हान किया कि हर व्यक्ति कम से कम एक हस्तशिल्प प्रदर्शनी में खरीदे। इससे हस्तशिल्पियों को सहायता मिलेगी और राष्ट्र निर्माण में भागीदारी सुनिश्चित हो सकेगी। ग्रामोद्योग विभाग की सचिव श्रीमती निहारिका बारिक सिंह ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने बताया कि जगार 2018 में अनुमान है कि हस्तशिल्पी लगभग एक करोड़ रूपए का व्यवसाय करेंगे। उन्होंने बताया कि प्रदेश में 14 प्रकार की हस्तशिल्प बेलमेटल, लौहशिल्प, काष्ठ शिल्प, बांस शिल्प, पत्थर शिल्प, कौड़ी शिल्प, कशीदाकारी, भित्ती चित्र, गोदना शिल्प, तुम्बा शिल्प, टेराकोटा, जूट शिल्प, ड्राय फ्लावर, ट्रायबल पेंटिंग आदि प्रचलित हैं। आभार प्रदर्शन छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड के प्रबंध संचालक श्री श्याम धावड़े ने किया।
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में पांच हस्तशिल्पियों को राज्य स्तरीय पुरस्कारों से सम्मानित किया। इनमें रायगढ़ जिले के एकताल के बेलमेटल शिल्पी श्री अभिमन्यु झारा, कोण्डागांव जिले के ग्राम किड़ईचेपड़ा की लौह शिल्पी श्रीमती सोनादयी बाई विश्वकर्मा, बस्तर जिले के भोंड गांव के काष्ठशिल्पी श्री रामनाथ कश्यप, सरगुजा जिले के सिरकोतंगा गांव की भित्ती चित्र कलाकार श्रीमती सुंदरी बाई और सरगुजा जमगला गांव की गोदना शिल्प की कलाकार श्रीमती सफियानों पावले शामिल हैं। इन कलाकारों को पुरस्कार स्वरूप 25-25 हजार रूपए की राशि के चेक, शाल, श्रीफल और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में हस्तशिल्पी उपस्थित थे।

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