उद्योगों में मजदूरों की सेहत और सुरक्षा को रमन सरकार ने दी सर्वोच्च प्राथमिकता : राज्य के दस जिलों में खोले गए औद्योगिक स्वास्थ्य और सुरक्षा कार्यालय

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इनमें पंजीकृत उद्योगों की संख्या 2691 से बढ़कर 4359 तक पहुंची,उद्योगों में निरीक्षकों के स्व निर्णय से निरीक्षण का अधिकार समाप्त

ईज ऑफ डुइंग बिजनेस के तहत अब कारखानों का निरीक्षण हो रहा रेण्डम प्रणाली से

सभी निरीक्षकों को 48 घंटे के भीतर निरीक्षण रिपोर्ट वेबसाइट में अपलोड करना अनिवार्य

कारखानों में कार्यरत श्रमिकों की संख्या 1.45 लाख से बढ़कर 3.58 लाख से ज्यादा

रायपुर, 

उद्योगों में मजदूरों के स्वास्थ्य और उनकी सुरक्षा से जुड़े नियमों का पालन सुनिश्चित करवाने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में राज्य शासन द्वारा सात जिलों में औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा कार्यालय शुरू किए गए हैं। इन्हें मिलाकर विगत 14 वर्ष में प्रदेश में इन कार्यालयों की संख्या 10 हो गई है। जिन सात जिलों में नये औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा कार्यालय खोले गए हैं, उनमें राजनांदगांव, कोरबा, रायगढ़, जांजगीर-चाम्पा, बलौदाबाजार-भाटापारा, अम्बिकापुर (सरगुजा) और जगदलपुर (बस्तर) शामिल हैं। श्रम मंत्री श्री भईयालाल राजवाड़े ने  विभागीय अधिकारियों से कहा है कि उद्योगों में मजदूरों की सेहत और सुरक्षा को मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। इसलिए इसमें किसी भी प्रकार की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अधिकारी उद्योगों पर लगातार निगाह रखंे और नियमों का पालन सुनिश्चित करवाएं।
श्रम विभाग के अधिकारियों ने आज यहां बताया कि वर्ष 2003 में प्रदेश के सिर्फ तीन जिलों-रायपुर, दुर्ग और बिलासपुर में औद्योगिक स्वास्थ्य और सुरक्षा कार्यालय संचालित हो रहे थे। कार्यालयों की संख्या बढ़ने के साथ ही इनमें पंजीकृत कारखानों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। विगत 14 वर्ष में औद्योगिक स्वास्थ्य और सुरक्षा कार्यालयों में कारखाना अधिनियम 1948 के तहत पंजीकृत उद्योगों की संख्या में  दो हजार 691 से बढ़कर चार हजार 359 तक पहुंच गई है। उन्होंने बताया कि 14 साल में एक हजार 668 नये उद्योगों का पंजीयन हुआ है। इस अवधि में इन उद्योगों में कार्यरत श्रमिकों की संख्या में भी भारी वृद्धि हु    ई है। उनकी संख्या एक लाख 45 हजार 633 से बढ़कर तीन लाख 57 हजार 674 हो गई है। इस प्रकार दो लाख 12 हजार से ज्यादा नये श्रमिक इन कारखानों में रोजगार के लिए नियोजित हुए हैं।
अधिकारियों के अनुसार राज्य सरकार ने ईज ऑफ डुइंग बिजनेस के तहत कारखानों के निरीक्षण और नियमों का उल्लंघन पाए जाने पर अभियोजन के लिए ऑन लाईन केन्द्रीकृत निरीक्षण प्रणाली की भी शुरूआत कर दी है। यह प्रणाली विगत डेढ़ वर्षों से (चार नवम्बर 2016 से ) लागू की गई है। इसके अंतर्गत अब कारखाना निरीक्षकों द्वारा निरीक्षण की नई व्यवस्था का पालन किया जा रहा है। नई व्यवस्था में निरीक्षकों के लिए विशेष स्थानीय कार्य क्षेत्रों को समाप्त कर दिया गया है। अब उन्हें पहले की तरह कोई स्थानीय कार्य क्षेत्र आवंटित नहीं किया जा रहा है, बल्कि उन्हें रेण्डम पद्धति से आवंटित उद्योगों का ही निरीक्षण करने का अधिकार दिया गया है। इस प्रकार अब कोई भी कारखाना निरीक्षक स्व-निर्णय से किसी भी संस्थान या स्थापना का निरीक्षण नहीं कर सकता। रेण्डम पद्धति से आवंटित संस्थानों के निरीक्षण के बाद संबंधित निरीक्षक द्वारा 48 घंटे के भीतर अपनी निरीक्षण रिपोर्ट विभागीय वेबसाइट में अपलोड करना अनिवार्य कर दिया गया  है। कारखानों और संस्थानों को भी निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर पालन प्रतिवेदन वेबसाइट पर ऑन लाइन अपलोड करने की सुविधा दी गई है। उद्योगों को कारखाना अधिनियम 1948 के तहत नक्शों के अनुमोदन, निर्माण कार्य , विस्तार या किसी भवन को कारखाने के रूप में उपयोग करने के लिए लाइसेंस भी ऑन लाइन जारी किए जा रहे हैं। कारखानों के ऑन साइट प्राप्त आपात योजना, उनके भवनों के नक्शे ऑन लाइन प्राप्त करके ही नियमों के तहत उन्हें अनुमोदित या निरस्त किया जा रहा है।
अधिकारियों ने यह भी बताया कि श्रम अधिनियमों के तहत कारखानों को जारी सभी लाइसेंस, पंजीयन और निरीक्षण प्रतिवेदन श्रम विभाग द्वारा अपनी वेबसाइट (पब्लिक डोमेन) में आम जनता के लिए प्रदर्शित किया जा रहा है। कारखाना मालिकों को स्व-प्रमाणिकरण और ऑन लाइन एकल रिर्टन प्रणाली की भी सुविधा दी गई है। इसके अंतर्गत उन्हें श्रम अधिनियमों के अनुसार सिर्फ एक वार्षिक विवरणी ऑन लाइन देनी होगी। इसके पहले उन्हें अलग-अलग अधिनियमों में अलग-अलग वार्षिक विवरणी देना अनिवार्य था, लेकिन अब यह अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है।

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