सफेद बटन मशरूम और ऑयस्टर मशरूम की खेती में बढ़ रही किसानों और समूह की महिलाओं की रुचि, मशरुम उत्पादन ने खोला लाखों रुपये की कमाई का रास्ता

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’25 समूह 58 गौठानों में कर रहे मशरूम उत्पादन, 45 दिनों में 68 क्विंटल उत्पादित मशरूम के विक्रय से 4 लाख 70 हजार का हुआ लाभ’
’कृषकों को बटन मशरूम उत्पादन से लगभग 2 लाख रुपये की आमदनी’

कोरिया 24 फरवरी 2022/ समय के साथ मशरुम की मांग लगातार बढ़ती जा रही है। इसकी बढ़ती मांग और बाजार में बेहतर कीमत के कारण जिले के ग्राम गौठानों में काम करने वाली स्वसहायता समूहों की महिलाओं की आजीविका के रूप में मशरूम उत्पादन में रुचि बढ़ रही है। जिले में 58 ग्राम गौठानों में 25 स्व सहायता समूहों की 117 महिलाएं मशरूम उत्पादन का कार्य कर रहीं हैं। जिले में समूहों के द्वारा आयस्टर मशरूम का उत्पादन किया जा रहा है। जनवरी 2022 से शुरू किए गए उत्पादन में 45 दिनों में ही जिले में 68 क्विंटल मशरुम का उत्पादन किया गया है, जिसकी कीमत 8 लाख 20 हजार रुपये में विक्रय किया गया। मशरूम उत्पादन के विक्रय से महिला समूहों को 4 लाख 70 हजार रुपये तक का लाभ हुआ है।
जिले के विकासखण्ड भरतपुर के गौठान देवगढ़, बहरासी, कोटाडोल, बरौता, चिरईपानी, शेरी तथा विकासखण्ड बैकुंठपुर के गौठान जुनापारा, करहियाखांड, रटगा, डबरीपारा, मनसुख में मुख्य रूप से मशरूम उत्पादन किया जा रहा है। इसी तरह खड़गवां विकासखण्ड के गौठान पैनारी, बचरा, लकरापारा, बेलबहरा तथा विकासखण्ड मनेन्द्रगढ़ के गौठान डुगला में भी उत्पादन हेतु समूह कार्यरत है, साथ ही महिलाओं द्वारा व्यक्तिगत भी मशरूम उत्पादन किया जा रहा है।  
’कृषि विज्ञान केन्द्र के तकनीकी मार्गदर्शन में कोरिया जिले के अलग-अलग विकासखण्डों में कृषक कर रहे बटन मशरुम की खेती’
कृषि विज्ञान केन्द्र के द्वारा समूह की महिलाओं और कृषकों को तकनीकी मार्गदर्शन एवं सहयोग दिया जा रहा है। जिसके अंतर्गत कोरिया जिले के अलग-अलग विकासखण्डों में कृषकों के प्रक्षेत्रों में बटन मशरूम की खेती कराई जा रही है।
कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रभारी वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. के.सी. राजहंस ने बताया कि जिले में विगत वर्ष की अपेक्षा इस बार बटन मषरुम की उत्पादन बेहतर हुआ है। इस साल जिले में 70 क्विंटल कम्पोस्ट से लगभग 7 से 8 क्विंटल सफेद बटन मषरुम का उत्पादन हुआ है। जिसे लोकल बाजारों में 200 से 250 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेचा गया। कृषक अन्नू राजवाड़े और श्रीमती अंजू सोनी के द्वारा बटन मशरूम के अलावा 20 हजार से अधिक रुपये की कम्पोस्ट भी बेचा गया। कृषक सुबारस सिंह को भी पहली बार में ही अच्छा खासा मुनाफा हुई है। उन्होंने बताया कि कोरिया जिले के कृषकों को बटन मशरूम उत्पादन से लगभग 2 लाख रुपये की आमदनी हुई। उन्होंने बताया कि किसान उत्पादक संगठन के द्वारा मशरुम का प्रसंस्करण मूल्य कर सुखा मशरुम, मशरुम पावडर, मशरुम पापड़ एवं मशरुम बड़ी बनाकर बेचा जायेगा, साथ ही गर्मी के मौसम में पैरामशरुम एवं दुधिया मशरुम की खेती कराई जाएगी।
कृषि वैज्ञानिक विजय कुमार अनंत ने बताया कि कोरिया जिला का वातावरण मशरूम उत्पादन के लिए अनुकूल है। बटन मशरुम उत्पादन के लिए 15 से 18 डिग्री सेल्सियस तापमान और 80-85 प्रतिशत नमी की जरुरत होती है। वहीं कम्पोस्ट बनाने में 28 से 30 दिनों का समय लगता है लगभग 3 महीनों में बटन मशरुम का जीवन चक्र समाप्त हो जाता है। इस कारण जिले में सफेद बटन मशरुम की खेती अक्टूबर के महीने से मार्च तक की जाती है एवं इसकी खेती नियंत्रित वातावरण में वर्ष-भर किया जा सकता है।

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