बढ़ती जनसंख्या देश के लिए समस्या है परन्तु इसके लिए एक राईट्स बेस्ड अपरोच ही बेतहर है – विकास उपाध्याय

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रायपुर। कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय सचिव विकास उपाध्याय ने भाजपा सरकारों द्वारा जनसंख्या नियंत्रण को लेकर कानून बनाए जाने को तानाशाही करार दिया है। उन्होंने सवाल किया कि यह बरसों तक चलने वाला काम है तो फिर अचानक से जब कई राज्यों में चुनाव होने को हैं तो इस कानून की बात कैसे आ गई। उन्होंने कहा, जनसंख्या नियंत्रण करना हो तो जनमानस में जागरूकता के साथ-साथ स्कूली शिक्षा में इसे सिखाए जाने की जरूरत है। मात्र सरकारी विज्ञापनों से काम नहीं चलने वाला और जब देश में प्रजनन दर यानी फर्टिलीटी रेट लगभग सभी प्रदेशों में गिरा है, तो अब तक कुछ नहीं करने वाली भाजपा सरकारें यह कानून लाकर क्या बताना चाहती हैं।

विकास उपाध्याय ने जारी बयान में कहा, देश में बढ़ती जनसंख्या निश्चित रूप से एक बड़ी समस्या है, परन्तु परिवार नियोजन के लिए एक राईट्स बेस्ड अपरोच ही बेहतर है न कि किसी भी बल पूर्वक तरीके की जरूरत है। भारत में यह एक अधिकार का मुद्दा है जिसे किसी पर थोपा नहीं जा सकता। विकास उपाध्याय ने सवाल उठाया कि क्या ये जनसंख्या विधेयक स्वास्थ्य से जुड़े आँकड़ों के आधार पर बनाया जा रहा है? और नहीं तो इस बात का ठीक-ठीक आंकलन कैसे किया जा सकता है कि विभिन्न प्रदेशों में फर्टीलीटी रेट क्या है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि जिस तरह से मोदी सरकार ने पूरे देश में जो हालात निर्मित कर दिए हैं उससे अधिकांश लोग दो से ज्यादा बच्चे चाहते ही नहीं हैं। ऐसे में दो बच्चों वाला कठोर कानून कैसे जस्टीफाई कर सकते हैं।

विकास उपाध्याय ने बताया कि पिछले साल दिसम्बर माह में देश के 23 राज्यों का राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (NFHS-5) का आँकड़ा जारी हुआ था। जिसमें स्पष्ट था कि देश में प्रजनन दर में कमी आई है। विकास उपाध्याय ने आश्चर्य व्यक्त किया कि भाजपा सरकारें स्वास्थ्य आँकड़ों से हटकर लाॅ कमिशन के माध्यम से ऐसा ड्राफ्ट विधेयक क्यों बना रही है? जबकि यह काम तो मूलतः स्वास्थ्य विभाग का है।

विकास उपाध्याय ने कहा, बीजेपी सरकारों ने अब तक परिवार नियोजन को लेकर कुछ नहीं किया और जब आगामी वर्षों में कई प्रदेशों के चुनाव होने हैं ऐसे समय में इस तरह के कानून लाकर असल मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए मार्केटिंग इवेन्ट कर रही है। जबकि वर्तमान परिवेश में वास्तविकता यह है कि प्रजनन दर में जिस तरह से लगातार कमी आ रही है, उसका मुख्य कारण शादी करने के उम्र में बढ़ोतरी हुई है, लोग अब दो बच्चों के बीच अन्तराल रखने में रूचि ले रहे हैं, वहीं परिवार नियोजन को लेकर ही नहीं बल्कि ज्यादा बच्चों की वजह से होने वाले आर्थिक परेशानियों को लेकर भी जागरूकता आई है। खास तौर पर गरीब लोगों में यह जागरूकता ज्यादा देखी जा रही है, वो बच्चों को पढ़ाना-लिखाना चाहते हैं। इस पर भी काफी खर्च आ रहा है और सरकारों को इन्हीं चीजों को दृष्टिगत रखते हुए जनसंख्या नियंत्रण को लेकर लोगों के बीच जागरूकता लानी चाहिए। जिसके लिए किसी तरह के कोई कानून की जरूरत नहीं है।

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