भगवान श्रीमद भागवत कथा का नहीं, भगवान कुँभ का विश्राम है – मृदुल कृष्ण शास्त्री जी महराज

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JOGI EXPRESS


चिरमिरी– श्रीमद् भागवत कथा के विश्राम दिवस पर व्यास पीठ से आचार्य मृदृल कृष्ण महाराज ने कहा की भागवत कथा सुन लेने से ज्ञान ध्यान योग की प्राप्ति हो जाती है। उसी प्रकार जिस प्रकार मनुष्य का शरीर पूराने वस्त्रों को उतारकर फेंक देती है, इसी प्रकार आत्मा भी मृत्यु दूसरे शरीर में प्रवेष कर नव सर्जन करती है। क्योंकि आत्मा अजर अमर है। दिन हिन दसा में जब मित्र सुदामा अपने मित्र कृष्ण से उनके दरवाजें गए तो उनकी दषा देखकर भगवान कृष्ण खुब लिपटकर रोए, तथा उनको सिंघासन पर बैठाकर अपने परात भरे पानी को हाथ भी न लगकार अपने आंसुओ से उनके पैर धोए, तथा सुदामा की पत्नी के द्वारा दिए गए चार मुठ्ठी चावल की गठरी को सुदामा बार-बार छिपा रहें थे, परंतु सुदामा की इस दषा को देखकर भगवान ने उस गठरी को अपने हाथो में लिया और खोलकर दो मुठ्ठी चावल खाए, जब तिसरी मुठ्ठी चावल जब भगवान खाने लगे तो रुकमणी के द्वारा उनका हाथ पकड़कर बोली की यह क्या कर रहें है, परंतु सुदामा भगवान की उस लिला को भी नहीं समझ पाए जबकि भगवान कृष्ण के द्वारा सबकुछ सुदामा को दे दिए थे। जब सुदामा जी घर जाने लगे, तो आष भरी निगाह से बार-बार भगवान की तरफ देख रहें थे, कि इस दरिद्रता में भगवान कुछ सहायता करेंगे। जब सुदामा जी अपने गृहग्राम पहुंचे तो महल स्वरुप मकान को देखकर अचम्भित रह गए, तब कही जाकर सुदामा जी को भगवान कृष्ण की लिला समक्ष पाए। उन्होंने कहा कि भक्तों के मन में एक प्रष्न जरूर होगा कि जिस कथा के प्रति हम समप्रित है, इसका फल क्या होगा? जिसकी विस्तृत व्याख्या करते हुए उन्हांने बताया कि प्रत्येक प्राणी में मृत्यु का भय होता है। भागवत के अनुसार राजा परीक्षित को सुखदेव ने कहा था की तुम तो मरोगे, पर यदि मन में इस भाव को पैदा कर लोगे तो यह कायरता होगी। हमारा शरीर हर क्षण मर रहा है, आप 10 वर्ष पूर्व के अपने शरीर को याद करें उसमें कितना परिवर्तन दिखाई देगा। पर आत्मा में कोई बदलाव नही होता। भागवत् में प्रभु ने अर्जुन को बताया कि आत्मा का वस्त्र शरीर है। हमारा शरीर पंच तत्व से बना है, आत्मा को नषस्त्र बेध सकता, न ही अग्नि जला सकती है। और न ही वायु सुखा सकती है, आत्मा तो चैत्नय है। हर आत्मा में प्रभु का वास है, जो अजर अमर है। उन्होंने भागवत के फल के बारें में बताया कि जब जब परमात्मा की कृपा से हमें शरीर मिला है।
असत्य के पांव नहीं होते, सत्य को मिटाया नही जा सकता —
उन्होंने कहा कि दया पवित्र और तप भी हमारे शरीर से निकल जाते है, सत्य नहीं निकल सकता। चोरी का धंधा करने वाले भी सत्य की अपेक्षा रखते है। सत्य में संघर्ष है, सत्यावादी अपने मार्ग से हटते नहीं है। श्री कृष्ण ही सत्य के स्वरुप है, जैसे-जैसे आप भागवत सुनते है, प्रभु में लिन हो जाते है। श्री राम कृष्ण परम हंस ने कहा है कि पहले भागवत की प्राप्ति करें फिर संसार का कार्य करें।
युवाओं से आवाहन — आवहान करते हुए उन्होंने कहा कि प्रभु की भक्ति का मार्ग के लिए युवाओं के समय नहीं है। भक्ति का कोई भाव नहीं होता। गोपियां माला लेकर प्रभु का ध्यान नहीं रखती थी, वे तो हर समय प्रभु का ध्यान करती थी। इसी प्रकार युवा भी प्रभु का ध्यान कर सकते है। पूरे कार्यक्रम के दौरान भोग भंडारा का आयोजन भी किया गया था। भागवत कथा का नहीं ,बंल्कि भगवान् कुंभ का है। भवे-भवे यथा भक्ति यदावो अदाया जयते तथा कुरुक्षा देपिता, स्नाकोतो यथा प्रभु,
नाम संस्कृतनात्म चश्म सर्वपाव, प्रास्वाम प्रणामो दुःख शमनहा नामयी हगिम परम,
पहली लाइन में यह वर्णन किया गया है, की कथा को सुनकर नाम प्रभु का लो नाम लेने से सारे कर्मो की समाप्ति हो जाती है। हमें यह संकल्प लेना है, की प्रभु का नाम लेना है। दूसरी लाइन में यहाँ बताया गया कि प्रणाम जिसका अर्थ है, की घर में मंदिर बनवाकर प्रतिदिन उस मंदिर में प्रणाम करें। जिससे घर में स्वयं भगवान् विजयामान हो जाते है। वहाँ सुख शांति स्थापित हो जाती है। कभी भी गुरु-गोविंद से मिलने जाओ तो चरणों में अपने माठा को टेककर प्रणाम करें। विधाता में माथा में जो लक़ीर लिखी है, भगवान के चरणों में टेकने से उल्टी रेखा भी सीधी हो जाती है। पुलिस द्वारा चुस्त दुरुस्त व्यवस्था के बाद भी कई भक्त महिलाओं के आभूषण, पर्स गायब करने हेतू जेबकतरे भी सक्रिय रहें। कार्यक्रम में विधायक श्याम बिहारी जायसवाल, पूर्व सांसद प्रतिनिधि गोपाल थ्वाईत,  बजरंगी साही, डॉ संजय सिंह, रमेष सिंह, कृष्ण मुरारी तिवारी, बबीता सिंह, सुभाष कष्यप, भाजपा युवा मोर्चा जिलाध्यक्ष संजय सिंह, सहित बैकुंठपुर, मनेंद्रगढ़ से काफी संख्या में श्रद्धालु भक्त उपस्थित होकर भागवत कथा श्रवण का लाभ लिया।

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