संतोष पांडे एक्सीडेंटल सांसद उन्हें तथ्यों की जानकारी ही नहीं -आर. पी. सिंह

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रायपुर/18 मई 2021। छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता आर पी सिंह ने एक बयान जारी करते हुए कहा है कि 4 पन्नों का सतही राजनैतिक पत्र लिखकर राजनांदगांव सांसद संतोष पांडे  ने यह साबित कर दिया है कि वे एक एक्सीडेंटल सांसद है! उनका सांसद चुनाव लड़ना और पुलवामा की लहर में चुनाव जीत जाना महज एक संयोग था। उनके इस पत्र से एक बात और भी स्पष्ट हो जाती है कि उनके अंदर एक अच्छे कवि और कथावाचक के गुण जरूर है लेकिन अच्छे सांसद के गुण भी हैं ऐसा बिल्कुल भी प्रतीत नहीं होता है। एक पुरानी कहावत है “अधजल गगरी छलकत जाए”  इस पत्र से यह साबित हो गया है की संतोष पांडे की योग्यता और राजनीतिक जानकारी कितनी है? कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह ने पत्र में उठाए हुए सभी प्रश्नों का जवाब सिलसिलेवार देते हुए कहा है कि संतोष पांडे को यह ज्ञान होना चाहिए कि दुनिया के जिन देशों में लोकतंत्र है वहां की संसद भवनों में सबसे नवीनतम संसद भवन भारत का है। जिसका निर्माण सन 1923 में हुआ था। जब इससे पुरानी संसद भवन वाले देशों को नए भवन की आवश्यकता नहीं पड़ी तो फिर हमारे ही देश को नए संसद भवन की आवश्यकता क्यों आन पड़ी? ऐसे समय में जब पूरा देश कोविड-19 की महामारी से लड़ रहा है। विश्व गुरु का सपना दिखाने वाले मोदी को बांग्लादेश, भूटान ,नेपाल और पाकिस्तान जैसे छोटे-छोटे देशों से मदद देने की आवश्यकता पड़ रही है। तब 20 हजार करोड रुपए का सेंट्रल विस्ता उर्फ मोदी महल प्रोजेक्ट बनाकर जनता के खून पसीने की कमाई को बर्बाद करने की क्या आवश्यकता थी? 70 सालों में कई पार्टियों की सरकार केंद्र में आई बहुत सारे प्रधानमंत्री भी हुए लेकिन क्या कभी किसी प्रधानमंत्री ने अपने लिए 8500 करोड़ रुपये का उड़न खटोला खरीदा? दरअसल केंद्र की मोदी सरकार की विफलता ढोल जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बज रहा हो और पूरी दुनिया मोदी की विफलता के मिसालें दे रहा हो तब प्रदेश की जनता का ध्यान भटकाने के लिए संतोष पांडे ने यह पत्र मुख्यमंत्री को लिखा है। संतोष पांडे को प्रदेश की जनता को यह बताना चाहिए कि एक सांसद के रूप में उन्होंने इस महामारी से निपटने के लिए क्या प्रयास किए? राज्य की भूपेश बघेल सरकार ने केंद्र से मदद के लिए जब 30000 करोड रुपए मांगे तो क्या उस पैसे को दिलाने में संतोष पांडे जी ने कोई भूमिका निभाई? जब केंद्र की मोदी सरकार ने 18 से 44 साल के युवाओं को टीका लगाने से मना कर दिया और इसका बोझ राज्यों के कंधों पर डाल दिया तब क्या संतोष पांडे जी ने कोई आवाज उठाई? पिछले एक माह में वैक्सीनेशन की दर लगभग 82% कम हो चुकी है प्रदेश में वैक्सीन की कमी है क्या संतोष पांडे ने कभी वैक्सीन की सप्लाई ज्यादा हो इसके लिए कोई प्रयास किए? अगर संतोष पांडे को प्रदेश की जनता और विशेषकर राजनांदगांव की जनता की जरा भी चिंता होती तो एक पत्र देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिख कर अपने नैतिक साहस का परिचय देते। लेकिन एक एक्सीडेंटल सांसद में भला इतना नैतिक साहस कहां ?कांग्रेस प्रवक्ता आर पी सिंह ने संतोष पांडे को नसीहत देते हुए कहा है की एक्सीडेंटल ही सही जब एक बार जनता ने उन्हें चुन लिया है तो सांसद होने का फर्ज भी निभाईए और राज्य की जनता के साथ खड़े नजर आईए। वैक्सीन की कमी को दूर करने की दिशा में सार्थक कदम उठाईए। पत्र लिखने की राजनीति सार्वजनिक जीवन में आपको बहुत लंबे समय तक जीवित नहीं रख पाएगी। मेरी शुभकामनाएं।

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