जांच रिपोर्ट आने तक अपने घर पर पृथकवास में रहें लोग : सीएमएचओ

0

बलौदाबाजार/अर्जुनी(16 अप्रैल 2021)मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ खेमराज सोनवानी ने जाँच रिपोर्ट आने तक नमूना देने वाले लोगों को अपने घर पर पृथकवास (आइसोलेशन) में रहने को कहा है। उन्होंने खासकर आरटीपीसीआर और ट्रूनॉट तकनीक से जांच हेतु नमूना देने वालों के लिए ये बात कही है। सीएमएचओ ने कहा कि कोरोना बीमारी के होने अथवा न होने की पुष्टि हेतु फिलहाल जांच के तीन विधियां उपलब्ध हैं। एंटीजन टेस्ट, आरटीपीसीआर एवं ट्रूनॉट तकनीक हैं। मरीज़ के शरीर में वायरस की मात्रा यदि ज्यादा है, तो एंटीजन टेस्ट तुरन्त पकड़ लेता है। इसका परिणाम भी तुरंत खड़े-खड़े मिल जाता है। और संक्रमित व्यक्ति तत्काल प्रभाव से दवाई एवं सावधानियां लेना शुरू कर देता है। इसमें कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन आरटीपीसीआर और ट्रूनॉट तकनीक से जांच रिपोर्ट मिलने में फिलहाल 1 से 5 दिन का समय लग रहा है। यदि व्यक्ति का रिपोर्ट पॉजिटिव आया और नमूना देने और रिपोर्ट आने की अवधि में उसकी हरकत आम दिनों की तरह रहा तो इस बीच वह अपने घर-परिवार सहित सैकड़ों लोगों को संक्रमित करने में सक्षम होगा। इसलिए रिपोर्ट आते तक हमें पृथकवास रहकर समय बिताना चाहिए।

संयुक्त कलेक्टर एवं स्वास्थ्य विभाग के प्रभारी टेकचन्द अग्रवाल ने कहा कि जिले में नया आरटीपीसीआर लेब खोलने के साथ ही ट्रू नॉट की जांच क्षमता बढ़ाने का काम अंतिम चरण में है। जिससे परिणाम जल्द मिलने लगेगा और यह समस्या दूर हो जाएगी। उन्होंने कहा कि यह तथ्य है कि यदि किसी व्यक्ति का एंटीजन रिपोर्ट पॉजिटिव आया तो निश्चित रूप से वह कोरोना से संक्रमित हो चुका है। लेकिन यदि रिपोर्ट निगेटिव आया तो यह आवश्यक नहीं कि उसे कोरोना का संक्रमण नहीं हुआ है। और उसका आरटीपीसीआर एवं ट्रू नॉट रिपोर्ट भी निगेटिव आये। प्रायः यह देखा जा रहा है कि जांच रिपोर्ट का इंतज़ार किये बिना लोग-बाग खुले आम मेल-मिलाप कर रहे हैं, जिससे संक्रमण तेज़ी से फैल रहा है। जिला प्रशासन ने लोगों को कोरोना के लक्षण दिखने पर तत्काल जांच कराने का आग्रह किया है। जिले की सभी प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर राज्य सरकार की ओर से निःशुल्क जांच की सुविधा उपलब्ध है। स्वयं होकर इलाज न करें और न ही झोला छाप डॉक्टरों के चंगुल में फंसे। अब तक का अनुभव रहा है कि लोग जांच कराने में विलम्ब करते हैं, अपने स्तर पर इलाज शुरू कर देते हैं, जिससे यह बीमारी बढ़ जाती है। और लोगों को बचा पाना मुश्किल हो जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *