पाठ्यपुस्तक निगम में घपले के मामले को लेकर कांग्रेस नेताओं की जाँच की मांग को लेकर सियासत हास्यास्पद : भाजयुमो

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कांग्रेस विधायक अनिता को कांग्रेस अध्यक्ष को पत्र लिखने के बजाय अपनी प्रदेश सरकार पर इस मामले के पूरे खुलासे और जाँच कराके कार्रवाई का दबाव बनाना था

रायपुर। भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अमित साहू ने छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम में 100 करोड़ रुपए के घपले के कथित मामले को लेकर कांग्रेस नेताओं द्वारा जाँच की मांग को लेकर की जा रही सियासत को हास्यास्पद बताया है। श्री साहू ने कहा कि अपनी सरकार के होते हुए बजाय जाँच कराके दोषियों पर कारग़र कार्रवाई करने के कांग्रेस के नेता-विधायक चिठ्ठीबाजी और बयानबाजी करने में ही मशगूल हैं। कांग्रेस की सियासी फ़ितरत ही पत्थर उछालकर भाग जाने की हो गई है।

भाजयुमो प्रदेश अध्यक्ष श्री साहू ने इस मामले में कांग्रेस विधायक अनिता शर्मा द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखे पर कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नक़्श-ए-क़दम पर चलकर चिठ्ठी लिखने के बजाय प्रदेश सरकार पर इस मामले के पूरे खुलासे और जाँच कराके कार्रवाई का दबाव बनाना था। श्री साहू ने कहा कि कांग्रेस के लोग घूम-फिरकर प्रेस के माध्यम से बयानबाजी करके और चिठ्ठी लिखकर इस मामले में जिस तरह की सियासत करते नज़र आ रहे हैं, उससे कांग्रेस नेताओं और जनप्रतिनिधियों की नीयत पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं। श्री साहू ने सवाल किया कि यदि वास्तव में घपला हुआ है तो फिर प्रदेश सरकार और कांग्रेस इस मामले में जाँच और कार्रवाई करने के लिए किसके इशारे का इंतज़ार कर रही है? आख़िर प्रदेस सरकार और कांग्रेस नेताओं को इस मामले की जाँच से रोका किसने है? श्री साहू ने कहा कि प्रदेश सरकार अपने ही नेताओं की शिकायतों को गंभीरता से नहीं ले रही है तो यह बेहद आश्चर्य की बात है। इसके लिए कांग्रेस के लोगों को मीडिया में जाना पड़ रहा है और विधायक को सीधे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर कार्रवाई की गुहार लगानी पड़ रही है!

भाजयुमो प्रदेश अध्यक्ष श्री साहू ने सवाल किया कि भाजपा और उसकी तत्कालीन राज्य सरकार को लेकर प्रलाप कर रहे कांग्रेस के नेताओं की ज़ुबान अपनी ही सरकार के आगे ख़ामोश क्यों हो जाती है? श्रीमती शर्मा के पत्र में निगम के तत्कालीन महाप्रबंधक की नियुक्ति को लेकर उठाए गए सवाल को लेकर श्री साहू ने कहा कि सन 2018 में सत्ता में आने के बाद कांग्रेस ने 2019 तक उनकी नियुक्ति पर कार्रवाई क्यों नहीं की? दरअसल कांग्रेस और प्रदेश सरकार का राजनीतिक चरित्र भ्रष्टाचार को ख़त्म करने के बजाय उस पर कोरी सियासी शिगूफ़ेबाजी करने व अपनी ज़िम्मेदारियों से मुँह चुराने का है और प्रदेश के दीग़र मामलों के साथ ही अब पाठ्यपुस्तक निगम के इस मामले में जाँच के बजाय ज़ुबानी जमाख़र्च व चिठ्ठीबाजी करके कांग्रेस के लोग अपने इसी सियासी चरित्र का हास्यास्पद और शर्मनाक प्रदर्शन कर रहे हैं।

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