संसार की भावना से बचने जड़वत रहते थे इसलिए लोग जड़भरत कहते थे : कथावाचक पंडित कृष्णा शर्मा

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महेश वर्मा की स्मृति में वर्मा परिवार द्वारा श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ का आयोजन

अर्जुनी – ग्राम भरसेला में स्वर्गीय महेश वर्मा की स्मृति में वर्मा परिवार द्वारा श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ का आयोजन 16 फरवरी से 26 फरवरी तक किया जा रहा है। भागवत कथा के चौथे दिन कथावाचक पंडित कृष्णा शर्मा ने जड़ भरत प्रल्हाद कथा पर उपस्थित भक्त जनों को कथा सुनाया। कथावाचक पंडित कृष्णा शर्मा ने बताया कि जड़ भरत का प्रकृत नाम भरत है जो पूर्व जन्म में स्वायंभूव वंशी ऋषभदेव के पुत्र थे।मृग के छौने मैं तन्मय हो जाने के कारण उनका ज्ञान अवरुद्ध हो गया था और वे जड़वत हो गए थे जिससे यह जड़भरत कहलाए। राजा भरत ने अपने बानप्रस्थ आश्रम में एक हिरण के बच्चे को पाला था और उसके साथ उनका इतना प्रेम था कि की मरते दम तक उन्हें उसकी चिंता बनी रही मरने पर भी हिरण की योनि में उत्पन्न हुए पर उन्हें पुण्य के प्रभाव से पूर्व जन्म का ज्ञान बना रहा। उन्होंने हिरण का शरीर त्याग कर फिर ब्राह्मण की कुल में जन्म लिया। ब्राह्मण का शरीर प्राप्त होने पर भी उन्हें अपने पूर्व जन्म का ज्ञान पहले की ही भांति बना रहा उन्होंने सोचा इस जन्म में कोई विघ्न बाधा उपस्थित ना हो इसलिए उन्हें सजग हो जाना चाहिए वे अपने कुटुंबियों के साथ पागलों सा व्यवहार करने लगे अर्थात ऐसा व्यवहार करने लगे कि उनके कुटुंबी यह समझे कि इसके मस्तिक में विकार उत्पन्न हो गया है। जड़ भरत के पिता उन्हें पंडित बनाना चाहते थे किंतु बहुत प्रयत्न करने पर भी वे एक श्लोक भी याद ना कर सके जिसके कारण उनके पिता ने उन्हें जड़ समझ लिया। वह संसार की भावना से बचने के लिए जडवत रहते थे इसलिए लोग उन्हें जड़भरत कहते थे। श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन विष्णु वर्मा भूषण वर्मा नरेश वर्मा रमेश वर्मा तुलाराम खेमनारायण जितेंद्र वर्मा एवं समस्त वर्मा परिवार के साथ-साथ आसपास के ग्रामों से पहुंचे ग्रामीणों ने भी कथा का आनंद लिया।

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