November 23, 2024

रमन का चश्मा उतारें सरोज पांडेय तब जाकर दिखेगा छ्त्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़ियों का विकास :- देवेंद्र यादव

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Photo Credit : Google Images

भिलाई-भाजपा की राज्यसभा सांसद सरोज पाण्डेय को रमन सिंह के काले चश्मे को उतारकर खुद जमीन में उतारने की आवश्यकता है तब उन्हें छ्हत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़ियों का विकास नजर आएगा। शायद उनके नजरिए से रमन सरकार के काल की कमीशनखोरी ही विकास थी।
रही बात दो सालों तक राउत नाचा करने की तो यह निंदनीय है और लोकनृत्य के प्रति उनकी सोंच को दर्शाती है। दशकों बाद छ्त्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री निवास में संस्कृति को सहेजने का प्रयास किया गया जिनसे उन्हें पीड़ा पहुंच रही है और छ्त्तीसगढ़ की लोककला को सहेजने के प्रयासों का उपहास उड़ाना उनकी मानसिकता को दर्शाता है। अपने राजनीतिक बयानों में सर्व यादव समाज की पहचान राउत नाचा का उपहास उड़ाने पर सरोज पांडेय जी को माफी मांगने की आवश्यकता है।

प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी ने डॉ रमन सिंह और सरोज पांडेय के द्वारा अपनाए गए हथकंडों पर सवाल उठाया है तो यह बौखलाहट लाज़मी है। क्योंकि उन्होंने भाजपा की दुखती रग में हाथ रख दिया। पूरे 15 साल छ्त्तीसगढ़ की संस्कृति को तार-तार करने के बाद अपने काले कारनामों, भ्र्ष्टाचार, कमीशनखोरी को छुपाने और लीपापोती के लिए सुआ नृत्य करके वल्र्ड रिकॉर्ड बनाने का हथकंडा इन्होंने अपनाया था। लेकिन, जनता इनके तौर-तरीके समझ चुकी थी और तत्कालीन चुनाव में जनता ने इन्हें औंधे मुंह गिराया था। प्रदेश के संस्कृति और लोक कलाकारों से भाजपा का कोई सरोकार कभी रहा ही नहीं, रमन सिंह जी के कार्यकाल में बॉलीवुड की अभिनेत्रियों को जगह दी जाती थी और करोड़ो की धनराशि निकाल कर बंदरबाट कर लिया जाता था। आज जब एक मुख्यमंत्री ने अपने प्रदेश की संस्कृतियों को सहेजने संवारने का बीड़ा उठाया है तो इनके पेट में दर्द हो रहा है।
रही बात इन दो सालों में किए गए कामों की तो उन्हें अपनी आंखों से भाजपा का पट्टी हटाकर कर्ज से राहत मिले किसानों, बिजली बिल हाफ की लाभ लेती जनता, आदिवासियों की लौटाई गयी जमीन में फसल लगाते किसान आदिवासी, गोधन न्याय और गौठान जैसी योजनाओं से छ्त्तीसगढ़ की समृध्द हो रहे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को देखने की आवश्यकता है। गौ माता के नाम पर सदियों से अपनी राजनीतिक रोटी सेकनें वाली भाजपा को छ्त्तीसगढ़ में संरक्षित हो रहीं गौ माता और पशुधन से दिक्कत क्यों होती है। रही बात हिसाब की तो सरोज पाण्डेय जी को रमन सिंह जी से पूछना चाहिए कि ऐसा हमनें क्या किया कि 15 सीटों में सिमट गए?

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