ग्रामीण विकास एवं पंचायत मंत्री टी एस सिंहदेव ने दंतेवाड़ा के एजुकेशन सिटी जवांगा में पेसा कानून पर की परिचर्चा
जावंगा : पेसा कानून पर प्रदेश के अनुसूचित क्षेत्रों में पहुँचकर पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री टी एस सिंहदेव परिचर्चा कर रहे हैं। इसी कड़ी में आज दंतेवाड़ा के जावंगा पहुँचकर उन्होंने 37 ब्लॉक के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा की, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री टी एस सिंहदेव ने सर्वप्रथम एजुकेशन सिटी जावंगा गीदम की कक्षा 12 वीं की छात्रा दिव्यांग कुमारी पुष्पलता वैध को प्रथम स्थान प्राप्त करने पर ₹5000 का चेक देकर सम्मानित किया तथा कक्षा 10वीं की छात्रा कुमारी लीना मरकाम को प्रथम स्थान प्राप्त करने पर ₹2000 का चेक देकर सम्मानित किए। इसके उपरांत उन्होंने उपस्थित सभी ब्लॉक के प्रतिनिधियों को “जय जोहार” कहकर संबोधन की शुरुआत की उन्होंने कहा कि पंचायती राज कानून आने के उपरांत भी यह कानून नियमों के आभाव में धरातल पर नहीं उतर पाया जिसके परिणामस्वरूप आदिवासी समाज के विस्तारीकरण में बाधा बनी रही है लेकिन कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में कहा था कि हमारे सत्ता में आने पर हम पेसा कानून के नियम बनाकर इन्हें लागू करेंगे और ग्राम सभाओं को पेसा के माध्यम से जवाबदारी प्रदान की जायेगी।
अब जबकि हमारी सरकार को सत्ता में 2 वर्ष हो चुके हैं तब कोरोना संक्रमण की वजह से हमें इन नियमों में विलंब हुआ है परंतु इन नियमों को लेकर हमारी प्राथमिकता स्पष्ट है, केंद्र सरकार द्वारा एक मॉडल नियम एवं राज्य शासन के अधिकारियों द्वारा भी नियमावली तैयार है लेकिन क्षेत्रीय नियमों के लिए स्थानीय आमजनों से सुझाव अनिवार्य हैं। केंद्र सरकार ने पेसा को लेकर अलग-अलग राज्यों के लिए नियम बनाये हैं जिन्हें राज्य की परिस्थिति के अनुरूप लागू किया जाना है, गुजरात, महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश जैसे राज्यों ने इन नियमों को संशोधित करते हुए राज्य में लागू किया है। हमारी प्राथमिकता है कि हम आप सभी आदिवासी समाज के लोगों के सुझाव एकत्रित करके इन नियमों को बजट सत्र तक विधानसभा में पेश करें।
ग्राम पंचायत ग्राम सभाओं के अधीन रहेंगी एवं उनके प्रति उत्तरदायी होंगी : पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री टी एस सिंहदेव
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री टीएस सिंहदेव ने कहा की ग्राम सभाएं किसी बाधा तक सीमित नहीं रहेंगी यदि परिस्थिति के अनुरूप ग्रामीण जन चाहें तो मोहल्ले में भी ग्रामसभा बना सकते हैं। ग्राम सभाओं के लिए उन्होंने अन्य राज्यों का उदाहरण देते हुए कहा कि अन्य राज्यों में सचिव, अध्यक्ष आदि को लेकर नए सुझाव व नीतियां निर्धारित की गई है, यदि ग्रामीण जन चाहे तो सर्वसम्मति से अध्यक्ष व सचिव का चयन कर सकते हैं यदि सर्वसम्मति में कोई बाधा हो तो बहुमत का विकल्प भी खुला रहेगा। उन्होंने आगे कहा कि जब कानून ग्रामसभा के लिए है तब ग्रामिणों के विचार अत्यंत महत्वपूर्ण है, जल-जंगल-जमीन जैसे मुद्दों पर ग्रामवासियों का अधिकार है इसीलिए इन विषयों पर उन्हें प्रबंधन का अधिकार सुनिश्चित करना चाहिए, हमारा यह मानना है कि अपने चिन्हांकित कानूनों के लिए ग्रामसभा पूर्णतः सक्षम है। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि ग्रामीण अंचलों में आदिवासी परंपराओं, रीति-रिवाजों, संस्कृति, पहचान, प्राकृतिक संसाधनों आदि पर उनके निर्णय सर्वोपरि रखे जायें। इस अवसर पर बीजापुर विधायक विक्रम मंडावी, दंतेवाड़ा विधायक रेवती कर्मा, नारायणपुर विधायक चंदन कश्यप, बस्तर विधायक लखेश्वर बघेल, पूर्व सांसद सोहन पोटाई, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व मंत्री अरविंद नेताम, जिला पंचायत अध्यक्ष, दंतेवाड़ा तूलिका कर्मा, आदिवासी समाज के प्रदेश अध्यक्ष विनोद नागवंशी, जिला पंचायत अध्यक्ष, सुकमा हरीश लखमा एवं अन्य वरिष्ठगण उपस्थित रहे।