कुरूद : हिंदी मध्यम स्कूल की जगह अंग्रेजी स्कूल खोलने का पलको, छात्रों ने किया विरोध
रायपुर। छत्तीसगढ़ के सरकार शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए लगातार प्रयासरत है जिसके चलते शासन अब अंग्रेजी माध्यम के शासकीय स्कूलों का संचालन करने जा रही है इसके लिए शिक्षकों की भर्ती भी की जा रही है ताकि छत्तीसगढ़ के शासकीय स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को अंग्रेजी माध्यम की अच्छी शिक्षा दी जा सके इसी क्रम में शासन छत्तीसगढ़ के विभिन्न क्षेत्रों में अंग्रेजी माध्यम के शासकीय स्कूलों को खोलने जा रही है लेकिन कुछ जगहों पर शासन द्वारा संचालित हिंदी माध्यम के स्कूलों को बंद कर अंग्रेजी माध्यम के स्कूल खोले जा रहे हैं जिसका आलू और विद्यार्थियों में जमकर रोष है ऐसे ही एक स्कूल है बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कुरूद जिसे शासन द्वारा बंद कर अंग्रेजी माध्यम का स्कूल खोला जा रहा है जिसके चलते पलको और विद्यार्थियों में काफी रोष देखने को मिल रहा है स्थानीय स्तर पर भी लोग इसका विरोध करते नजर आ रहे हैं.
आज स्कूल के छात्रों ने भी रैली निकाल कांग्रेस नेत्री राजकुमारी दीवान को ज्ञापन सौंपा एवम छत्तीसगढ़ राज्य तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने भी स्कूल बंद करने का विरोध किया है।
पालको द्वारा बालक उच्चतर माध्यमिक शाला को चालू रखते हुए ही परिसर में इंग्लिश मीडियम की स्कूल खोले जाने की बात कही जा रही है, जिसे ध्यान में रखते हुए शाला विकास एवं प्रबन्धन समिति के बैठक में भी यह प्रस्ताव लाया की छात्र हित को ध्यान में रखते हुए इंग्लिश मीडियम स्कूल तो खुले बशर्ते कि हिंदी माध्यम का स्कूल यथावत संचालित रहे। माननीय कलेक्टर महोदय जिला धमतरी के निरीक्षण के दौरान शाला विकास समिति अध्यक्ष मनीष साहू के द्वारा कलेक्टर महोदय को पालको तथा स्थानीय लोगो के द्वारा हिंदी स्कूल को बंद नही करने की बात से अवगत कराया गया है।
लोगो का कहना है कि शा बालक उच्च माध्यमिक शाला सन 1956 से संचालित हो रही है, नगर तथा राज्य के नामचीन हस्तियों ने यही से शिक्षा प्राप्त कर उच्च पद पर पदासीन हुए है इस विद्यालय ने अपने स्वर्ण जयंती तक का सफर बहुत ही खूबसूरती के साथ तय किया वही 2031 में प्लेटिनम जयंती समारोह का आयोजन करने का स्वप्न देख रहे स्थानीय लोगो को गहरा सदमा लगा जब उन्हें यह जानकारी मिली कि विद्यालय को अब इंग्लिश मीडियम स्कूल बना कर हिंदी मीडियम को बंद किया जा रहा है। ज्ञात हो कि इस शाला में कक्षा 6 से लेकर 12 तक के छात्र अध्ययन करते है जो न सिर्फ स्थानीय बल्कि आस पास के गाँव से भी आते है छात्रों की बात करे तो औसत दर्ज संख्या लगभग 700 छात्र प्रति वर्ष यह प्रवेश लेते है। जोकि गरीब माध्यम वर्गीय परिवार से रहते है जिनके माता पिता य तो कृषक है ये फिर मजदूर। कुछ पालको से बात करने पर उन्होंने बताया कि अपने बच्चों को इसी स्कूल में पढ़ना चाहते है पर अंग्रेजी माध्यम में नही बल्कि हिंदी माध्यम में। इसी विद्यालय में व्यावसायिक पाठ्यक्रम आई टी तथा हेल्थ केयर संचालित है। इसी विद्यालय में ही प्रति वर्ष हजारो की संख्या में ओपन स्कूल में भी छात्र प्रवेश लेते है। वही दूरदराज के छात्र भी यहां प्रवेश पाने के लिए काफी उत्साहित रहते है जिसका कारण यहां से प्रति वर्ष राष्ट्रीय स्तर पर खेल, स्काउट तथा अन्य गतिविधियों में विद्यार्थियों का चयन होता है।
इस विद्यालय ने राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी, राजनेता इंजीनियर, डॉक्टर, सीए, आदि दिए है। गरीब वर्ग तथा सुविधा से वंचित वर्ग के ऐसे विद्यार्थी जो बालक शाला कुरूद में प्रवेश लेते है एसे विद्यार्थियों को हिंदी माध्यम स्कूल को बंद करने से ऐसे छात्र जो इस विद्यालय में पढ़ना चाहते है उनकी पढ़ाई प्रभावित हो सकती है तथा उनकी पढ़ाई भी बाधित हो सकती है।
सुनने में यह भी आ रहा है कि इन विद्यार्थियों को कन्या शाला में प्रवेश दिया जाएगा जिसे लेकर कन्या शाला के पालक भी इसका विरोध कर सकते है, इससे पहले भी इस विद्यालय को कोएडुकेशन किया जा रहा था तब भी कन्या कुरूद के पालको ने विरोध दर्ज किया था,जिसे देखते हुए बालको को प्रवेश नही दिया गया था।