छत्तीसगढ़ में जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन की मध्यावधि समीक्षा की गई
नई दिल्ली : राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में जल जीवन मिशन की प्रगति की मध्यावधि समीक्षा जारी रखने की श्रृंखला में आज, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से छत्तीसगढ़ ने राष्ट्रीय जल जीवन मिशन के समक्ष एक प्रस्तुति पेश की। जल शक्ति मंत्रालय केंद्र सरकार के प्रमुख कार्यक्रम जल जीवन मिशन (जेजेएम) के तहत सार्वभौमिक क्षेत्र के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा की गई प्रगति का आकलन करने की प्रक्रिया में है, जिसका उद्देश्य वर्ष 2024 तक देश के ग्रामीण परिवार में हर व्यक्ति को नल से पानी का कनेक्शन प्रदान करना है। सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अपने यहाँ ग्रामीण घरों के साथ-साथ संस्थागत तंत्र और जेजेएम के तहत सार्वभौमिक क्षेत्र सुनिश्चित करने के लिए नल से पानी का कनेक्शन उपलब्ध करने के प्रावधान के बारे में अपनी अपनी स्थिति रिपोर्ट पेश कर रहे हैं।
छत्तीसगढ़ राज्य ने वर्ष 2023 तक 100% घरों में नल से पानी के चालू कनेक्शन (एफएचटीसी) प्रदान करने की योजना बनाई है। राज्य में लगभग 45 लाख घरों में से केवल 5.66 लाख घरों को नल से पानी का कनेक्शन प्रदान किया गया है। इस वर्ष राज्य में 20 लाख घरों में नल से पानी के कनेक्शन देने की योजना है।
छत्तीसगढ़ को वर्ष 2020-21 में, मिशन के अंतर्गत 445.52 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इसके अलावा, राज्य को 15वें वित्त आयोग के अनुदान के तहत ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिये वर्ष 2020-21 में 1,454 करोड़ आवंटित किए गए हैं, जिनमें से 50% हिस्से को पेयजल आपूर्ति और स्वच्छता गतिविधियों के लिये उपयोग करना अनिवार्य है। राज्य को विभिन्न कार्यक्रमों जैसे कि एमजीएनआरईजीएस, जल जीवन मिशन, एसबीएम (जी) के अंतर्गत ग्रामीण स्थानीय निकायों को 15 वें वित्त आयोग अनुदान, जिला स्तर पर खनिज विकास निधि, सीएएमपीए, स्थानीय क्षेत्र विकास निधि इत्यादि के लिए ग्राम स्तर पर अभिसरण करने के लिए कहा गया। फंड के विवेक पूर्ण उपयोग सुनिश्चित करने के लिए इन सभी संसाधनों को अगले 5 वर्षों के लिए योजना तैयार करने की आवश्यकता है।
ग्राम पंचायत की उप-समिति के रूप में 50% महिला सदस्यों के साथ ग्राम कार्य योजनाओं और संविधान तैयार करने और ग्राम जल और स्वच्छता समिति की तैयारी पर जोर दिया गया। ये सदस्य गावों में जल आपूर्ति ढांचे की योजना, डिज़ाइनिंग, कार्यान्वयन और संचालन और रखरखाव के लिए जिम्मेदार होंगे। सभी गांवों को ग्राम कार्य योजना (वीएपी) तैयार करनी होगी जिसमें अनिवार्य रूप से पेयजल स्रोतों, जल आपूर्ति, दूषित जल प्रबंधन और संचालन तथा रख रखाव शामिल होगा। सभी गांवों में, जल जीवन मिशन को सही मायने में लोगों का आंदोलन बनाने के लिए सामुदायिक सहयोग के साथ-साथ आईईसी अभियान की आवश्यकता है।
छत्तीसगढ़ राज्य भूजल की कमी और रासायनिक प्रदूषण के मुद्दो से जूझ रहा है। इस लिये, राज्य को अग्रिम पंक्ति के अधिकारियों की सक्रिय भागीदारी के माध्यम से पानी की गुणवत्ता के बारे में जागरूकता पैदा करने की सलाह दी गई। जल जीवन मिशन के तहत, अग्रिम पंक्ति के अधिकारियों की सक्रिय भागीदारी के साथ-साथ स्थानीय समुदाय को भी शामिल कर पानी की गुणवत्ता की निगरानी को प्राथमिकता दी जा रही है। 5 व्यक्तियों, विशेष रूप से महिलाओं को पानी की गुणवत्ता का परीक्षण करने के लिए फील्ड टेस्ट किट का उपयोग करने के लिए हर गांव में प्रशिक्षित किया जा रहा है। प्रत्येक वर्ष में हर स्रोत का कम से कम एक बार भौतिक और रासायनिक मापदंडों के लिए और दो बार बैक्टीरियोलॉजिकल प्रदूषण के लिए परीक्षण करने की आवश्यकता है।
समीक्षा बैठक में पता चला कि राज्य के 1,698 स्कूलों में पीने के पानी की कोई सुविधा नहीं है। राज्य ने जानकारी दी कि 50,518 आंगनवाड़ी केंद्रों में से 31,031 में पेयजल की सुविधा है। हालांकि, सुविधा के प्रकार, मात्रा, गुणवत्ता, आदि और कवरेज के लिए योजना के बारे में एक विस्तृत विश्लेषण करने की आवश्यकता है। जल शक्ति मंत्रालय द्वारा 2 अक्टूबर, 2020 को शुरू किए गए 100-दिवसीय अभियान के अंतर्गत देश भर के सभी स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों में पीने योग्य पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए राज्य को सक्रिय रूप से काम करने की सलाह दी गई थी।