भारत चीन विवाद देश के छोटे कारीगरों और शिल्पकारों के लिए बना वरदान
रायपुर । कन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिय़ा ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष] कार्यकारी अध्यक्ष ने बताया कि भारत और चीन के बीच चल रहे, वर्तमान विवाद ने देश के व्यापारियों के शीर्ष संगठन कन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने इस बार के फेस्टिवल सीजन में देश के लाखों स्थानीय कारीगरों, शिल्पकारों और निचले वर्ग के लोगों की कला, सोच और काम करने की शक्ति को दिवाली के त्योहारी सीजन के जरिये उभारने का बड़ा मौका देते हुए, उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का अभियान देश भर में शरु किया है। कैट इस अभियान के जरिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकल पर वोकल और आत्मनिर्भर भारत अभियान को मजबूती से जमीनी स्तर पर सफलता के साथ चला रहा है। कैट ने गत 10 जून को चीनी वस्तुओं के बहिष्कार का आवाहन किया था। जिसको देश भर के सभी वर्गों के लोगों ने अपार समर्थन दिया और जिसके कारण ही इस वर्ष राखी और गणेश चतुर्थी के त्यौहार पर लोगों ने पूर्ण रूप से चीनी सामान का बहिष्कार किया।
इसी श्रंखला में कैट ने इस वर्ष की दिवाली को हिन्दुस्तानी दिवाली के रूप में मनाने का आव्हान किया है। जिसको लेकर कैट ने दिवाली में पूजा और सजावट के लिए प्रयोग होने वाले भारतीय सामान का दिल्ली सहित देश भर में अधिक से अधिक उपयोग को लेकर एक विशेष अभियान शुरू किया है। कैट ने कहा की गत वर्षों में चीन ने भारत के त्योहारों पर कब्जा करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ा है। लेकिन अब देश भर के व्यापारियों ने न केवल इन त्योहारों को बल्कि देश के बाजार को भी चीन से मुक्त कराने का संकल्प लेते हुए, एक राष्ट्रीय अभियान भारतीय सामान -मेरा अभिमान शुरू किया है। प्रति वर्ष चीन इस फेस्टिवल सीजन में लगभग 40 हजार करोड़ का निर्यात भारत को करता है। लेकिन कैट के नेतृत्व में चलने वाले इस अभियान में इस वर्ष चीन को फेस्टिवल सीजन के 40 हजार करोड़ रुपये के व्यापार से हाथ धोना पड़ेगा।
कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी ने बताया की इस अभियान के अंतर्गत इस वर्ष के फेस्टिवल सीजन में कैट ने दिल्ली सहित देश भर में लगभग ऐसे 350 क्लस्टर की पहचान की है। जो दिवाली के मौके पर पूजा और दुकान और घर को सजाने का भारतीय सामान बनाते है या बनाने की क्षमता रखते हैं। इन सामानों में भारत की प्राचीन परम्परा और संस्कृति दिखाई पड़ती है। जिनमें मिटटी, क्ले, गोबर और खाद से बने छोटे बड़े दिये, कलात्मक रूप से पेंट किए गए दीये, द्वार पर सजाने वाली वंदनवार, लक्ष्मी के पैर, शुभ लाभ के चिन्ह, सजावटी झालर, सजावटी हैंगिंग, खादी से बना सजावटी सामान मोती और बीड से बना सामान, मधुबनी और मैथिलि पेंटिंग सहित अन्य अनेक प्रकार के सामान शामिल हैं । यह सामान देश में पहली बार भारत की अद्भुत कला, संस्कृति और गौरवशाली परंपरा को संयुक्त रूप से दिखाएँगे।
पारवानी ने बताया की यह सामान उन स्थानीय लोगों से बनवाया जा रहा है जिनके पास कला एवं विचार शक्ति तो है लेकिन खरीददार नहीं है। कैट ने उनकी कला को अपने चीनी वस्तुओं के बहिष्कार के अभियान के साथ जोड़कर इस वर्ष इन्ही वस्तुओं के द्वारा दिवाली सहित अन्य त्यौहार देश भर में मनाये जाने का निश्चय किया है। इस अभियान से देश के उस निचले वर्ग को आत्मनिर्भर बनाया जा सकेगा जिसको मजबूत करने की बहुत आवश्यकता है वहीं दूसरी ओर कैट से सम्बंधित व्यापारी इन सामानों को उनसे बेहतर दामों पैर खरीदेंगे और बहुत ही कम लाभ के मार्जिन पर देश भर में बेचेंगे। व्यापारी नेताओं ने बताया की इन वस्तुओं की जानकारी घर-घर पहुंचाने के लिए कैट ने सभी व्यापारियों एवं अन्य लोगों से आग्रह किया है की वो इन वस्तुओं की पीपीटी बनायें और उसे व्हाट्सऐप एवं सोशल मीडिया के जरिये प्रचारित करें। यह प्रयोग बहुत ही सफल सिद्ध हो रहा है और लोग इनको देख कर ऑनलाइन आर्डर बनाने वाले लोगों को सीधे दे रहे हैं।
इसके अलावा कैट के सभी राज्यों के चैप्टर, प्रत्येक राज्य में स्थानीय व्यापारिक संगठन से जुड़े व्हाट्सअप ग्रुप और सोशल मीडिया के माध्यम से बेचे जाएंगे। इस सारे अभियान को कैट से सम्बंधित महिला व्यापारी नेत्रियों की देख रेख में चलाया जाएगा। कैट इन वस्तुओं को ज्यादा से ज्यादा फैलाने के लिए देश भर में लगभग 300 से अधिक वर्चुअल प्रदर्शनी भी लगाना शुरू किया है। जिन्हे इंटरनेट, फेसबुक और यूंटूयब के माध्यम से देश भर में देखा जा सकेगा।