देश के फेडरल स्ट्रक्चर को बचाने के लिए राज्यों को सामूहिक लड़ाई लड़नी होगी: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल
हम सबको इंडिया अगेन्स्ट प्राइवेटाईजेशन की लड़ाई लड़नी होगी
केन्द्र सरकार जीएसटी की राशि राज्यों को नहीं दे रही ऐसी स्थिति में उत्पादन टैक्स लगाने का अधिकार राज्यों को मिले
केन्द्र की नई शिक्षा नीति राज्यों के लिए बहुत ही घातक
उद्योगों की स्थापना के संबंध में नया पर्यावरण कानून गलत
कांग्रेस की अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी की अध्यक्षता में कांग्रेस शासित और कांग्रेस समर्थित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग
रायपुर, 26 अगस्त 2020/ मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज देश के सात राज्यों के मुख्यमंत्रियों की वीडिया कॉन्फें्रस में मौजूद इंडियन नेशनल कांग्रेस की अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी को सम्बोधित करते हुए कहा कि देश के फेडरल स्ट्रक्चर को बचाए रखने के लिए हम सबको सामूहिक लड़ाई लड़नी होगी। मुख्यमंत्री ने देश में सार्वजनिक उपक्रमों को केन्द्र सरकार द्वारा एक-एक कर बेचे जाने की स्थिति का विरोध करते हुए कहा कि इंडिया अगेन्स्ट प्राईवेटाईजेशन के विरूद्ध लड़ाई के लिए एक साथ आगे आना होगा। उन्होंने केन्द्र सरकार की नई शिक्षा नीति को राज्यों के लिए बहुत ही घातक बताया साथ ही उद्योगों की स्थापना के लिए नया पर्यावरण कानून पर भी अपनी असहमति जताई।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चर्चा में भाग लेते हुए अपनी बात की शुरूआत जीएसटी के मुद्दे से शुरू की। उन्होंने कहा कि जहां तक जीएसटी का मामला है, हम उत्पादक राज्य हैं। उत्पादक राज्यों को 2022 तक जीएसटी का कम्पनसेशन देने की बात थी। पिछले चार महीने से किसी भी राज्य को कम्पनसेशन का एक भी पैसा नही दिया गया है, जबकि आवश्यकता एवं परिस्थिति को देखते हुए जीएसटी कम्पनसेशन को 2027 तक किया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य को जीएसटी कम्पनसेशन के तहत 2828 करोड़ मिलना चाहिए था, नहीं मिला है। इस कारण दिनोदिन स्थिति भयावह होती जा रही है। मुझे जानकारी मिली है कि केन्द्रीय वित्त मंत्री कल बैठक ले रहे हैं। बैठक का एजेंडा कुछ भी नहीं है। मैं समझता हूॅ कि जो खबरें आ रही हैं, वह डरावनी है। बैठक में यदि यह फैसला ले लिया जाता है कि चार महीने का पैसा नहीं देना है, तो उत्पादक राज्यों की हालत बहुत खराब हो सकती है।
मुख्यमंत्री ने झारखंड के मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन की चर्चा का उल्लेख करते हुए कहा कि उद्योगों की स्थापना को लेकर पर्यावरण नीति बहुत भयावह है। उद्योग लग जाएं, उसके बाद वह सारे नियम कानून का पालन करेंगे, यह स्थिति ठीक नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे एक घटना याद आ रही है कि यमुना नदी के किनारे एक मंदिर बना था। यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में यह कहा कि जो हुआ उसमें नियमों की अनदेखी हुई है, परंतु निर्माण में 150 से 200 करोड़ खर्च हो चुकें हैं यदि इसे हटाया जाता है तो राष्ट्रीय धन का अपव्यय होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसी स्थिति में पर्यावरण कानून की अनदेखी कर उद्योग की स्थापना में भी यही बात आएगी। उन्होंने कहा कि उद्योगों की स्थापना के संबंध में जो नया कानून बना है, वह बिल्कुल गलत है।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कृषि मंडी के मुद्दे पर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की चर्चा का उल्लेख करते हुए कहा कि हमने भी इसका विरोध किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश की किसी भी मंडी किसी भी राज्य का किसान अपने उत्पाद बेच सकता है। राज्यों को मंडी शुल्क लेने का अधिकार नहीं होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य में 80 प्रतिशत लघु सीमांत किसान है। वे अपने फसल उत्पाद को बेचने के लिए पंजाब, हरियाणा नही जा सकते। वे अपनी फसलों को यही बेचेंगे। इसका लाभ बिचौलिए और व्यापारी उठाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसकी आवश्यकता नही है, इसलिए इसको वापस लिया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा कि केन्द्र सरकार की नई शिक्षा नीति से वे सहमत नहीं है। इसके लिए राष्ट्रपति के पास जाना पड़े, प्रधानमंत्री के पास जाना पड़े, कोर्ट जाना पड़े, हमे जाना चाहिए। जो शिक्षा नीति लाए हैं, राज्यों के लिए बहुत ही घातक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पहली से लेकर पांचवीं तक प्रायमरी तक की शिक्षा की व्यवस्था है। नई शिक्षा नीति में तीन क्लास उसके पहले और जोड़ दिए गए हैं। आंगनबाड़ी को जोड़ा गया है। ऐसे में इन्फ्रॉस्ट्रक्चर कैसे होगा। शिक्षकों की भर्ती कैसी होगी। भारत सरकार ने इस मामले में कुछ भी नही कहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे राज्य के आदिवासी अंचल में गांव दूर-दूर हैं। ऐसे में व्यवस्था कैसी होगी। उन्होंने कहा कि पूरी नीति भ्रामक है। उन्होंने कहा कि जो नीति बनाई हैं, उसका विरोध किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत सरकार ने जो नई शिक्षा नीति बनाई है, उसके तहत छात्र किसी भी संकाय के विषय का चुनाव अध्ययन के लिए कर सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी तक यह व्यवस्था रही है कि हायर सेकेण्डरी स्तर पर आर्टस के विषय अध्ययन करने वाले विद्यार्थी बी.ए. करते हैं और साइंस के विद्यार्थी बीएससी करते हैं। स्कूली शिक्षा के दौरान यदि विद्यार्थी साइंस, कामर्स, आर्टस के विषय चयन करते हैं तो इनके अध्यापन के लिए शिक्षकों की व्यवस्था किस तरह से होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे राज्य के वनांचल के इलाकों में आज भी शिक्षक नही मिल पाते हैं। ऐसी स्थिति में उन इलाकों में सभी विषयों का अध्यापन कराने के लिए शिक्षकों की व्यवस्था कैसे होगी। भारत सरकार इस मामले में मौन है। नई शिक्षा नीति को लेकर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की चर्चा का उल्लेख करते हुए कहा कि पूरे भारत में निजीकरण (प्राइवेटाईजेशन) चल रहा है। जितने भी सार्वजनिक उपक्रम है, उनको भारत सरकार एक-एक कर बेचते जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें इंडिया अगेंस्ट प्राइवेटाईजेशन की लड़ाई लड़नी होगी। उन्होंने कहा कि केरल से लेकर जम्मू कश्मीर तक सार्वजनिक उपक्रम बेचे जा रहे हैं। इसका कही-कही विरोध भी हो रहा है। हमें भी लड़ाई लड़नी होनी। उन्होंने कहा कि केरल विधानसभा में प्राइवेटाईजेशन के विरूद्ध प्रस्ताव पारित हुआ है। मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ राज्य स्थित बालको एल्युमिनियम कम्पनी का उल्लेख करते हुए कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय में बालको को निजी हाथों में बेच दिया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि बस्तर के नगरनार में स्टील प्लांट का निर्माण अभी हो रहा है। यह प्लांट बना नही है और इसको बेचने की सूची में रख दिया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे राज्य में कोल ब्लॉक हैं। जिसकी नीलामी की जा रही है। छत्तीसगढ़ राज्य में सरकार के जिम्मे एक भी कोल ब्लॉक नहीं है। केन्द्रीय मंत्री नीलामी में छत्तीसगढ़ राज्य को कोल ब्लॉक लेने की बात कहते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे बढ़कर हास्यास्पद बात और क्या हो सकती है कि हमारी ही खदाने हैं और हमे ही उसे नीलामी में लेने को कहा जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार का कहना है कि आगामी 50 सालों में कोयला, रिलेवेन्ट नहीं रह जाएगा। ऊर्जा उत्पादन के और नये संसाधन आ जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम रॉकेट युग में आ गए हैं, फिर भी बैल गाड़ी की महत्ता समाप्त नहीं हुई है। इसी तरह कोयला आधारित पावर की महत्ता बनी रहेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान समय में प्रजातांत्रिक मूल्यों को लेकर सभी चिंता कर रहे हैं। सभी प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने अपनी चिंता जताई है। मुख्यमंत्री ने राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत को बधाई देते हुए कहा कि प्रजातांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए उन्होंने एक महीने तक लड़ाई लड़ी और इसमें कामयाब भी हुए। अवैधानिक कृत्य में जुटे लोगों को पटखनी भी दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि नार्थ-ईस्ट और कर्नाटक में प्रजातांत्रिक मूल्यों को नुकसान पहुंचाने में यह शक्तियां सफल रही, परन्तु राजस्थान में परास्त हुए हैं। उनके अवैधानिक कृत्यों को रोकने में मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत जी और उनके साथियों को सफलता मिली है।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आगे कहा कि हमें देश के फेडरल स्ट्रक्चर को बनाए रखने की सामूहिक लड़ाई लड़नी होगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी के कार्यकाल में बैंकों को आम जनता के लिए खोला गया था, अब बैंक बंद हो रहे हैं। बैंक बड़े लोगों के लिए रह जाएंगे। आर्थिक मुद्दों से ध्यान हटाने की पुरजोर कोशिश भारत सरकार कर रही है। झारखण्ड के मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल से केन्द्र सरकार के नए टेक्स सिस्टम के बारे में उनके विचार जानने के लिए उनका ध्यान आकर्षण करते हुए कहा कि नए टेक्स सिस्टम में बड़ा झोल है। इसमें बड़ी गड़बड़ी है। कम्प्यूटर के माध्यम से करदाताओं का चयन होगा। इसमें छोटे व्यापारी ही फसेंगे। यह टैक्स चोरी करने के लिए किया जा रहा है और इससे बड़े व्यापारियों एवं उद्योगपतियों को बचाने की योजना है। उन्होंने कहा कि नया टैक्स सिस्टम डकैती डालने की तैयारी है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने झारखण्ड के मुख्यमंत्री श्री सोरेन के इस ध्यान आकर्षण का उत्तर देते हुए कहा कि यदि कहीं सरकार जीएसटी की राशि राज्यों को नहीं दे सकती है तो उत्पादन पर टैक्स लगाने का अधिकार राज्यों को दिया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने केन्द्र सरकार द्वारा आईटी, सीबीआई, ईडी जैसी संस्थाओं के दुरूपयोग का भी मामला उठाया।