कोरोना के चलते ज्यादातर चौक चौराहों पर नहीं विराजे लंबोदर, अंचल के भक्तगण घरों में ही स्थापना करेंगे मूर्ति।


अर्जुनी – अंचल में आज भगवान श्री गणेश स्थापना इस साल 22 अगस्त 2020 शनिवार को होगी भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी भी कहते है इस वर्ष यह बडी गणेश चतुर्थी 22 अगस्त, शनिवार को आ चुकी है। पौराणिक कथाओं के अनुसार विघ्नहर्ता श्रीगणेश जी का जन्म भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन ही हुआ था, इसलिए इस दिन से लेकर 10 दिन तक उनका जन्मोत्सव मनाया जाता है।गणेश जन्मोत्सव के दिनों में गणपति देवता की विशेष अर्चना की जाती है।
श्रीगणेश चतुर्थी का शुभ व पूजा मुहूर्त
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 21 अगस्त दिन शुक्रवार की रात 11:02 मिनट से हो रहा है, जो 22 अगस्त दिन शनिवार को शाम 07 बजकर 57 मिनट तक रहेगी। श्रीगणेश चतुर्थी की पूजा हमेशा दोपहर के मुहूर्त में की जाती है क्योंकि गणेश जी का जन्म दोपहर में हुआ था।इस बार 22 अगस्त के दिन श्रीगणपति की पूजा के लिए दोपहर में 02 घंटे 36 मिनट का समय है। भक्तगण दिन में 11:06 मिनट से दोपहर 01:42 मिनट के मध्य विघ्नहर्ता विनायक की पूजा कर सकते हैं।इस बार कोरोना काल में सार्वजनिक जगहों पर गणपति स्थापना की नियम के चलते चौक चौराहों पर नहीं विराजमान होंगे ।इस बार ज्यादा तर घर पर ही गणपति की स्थापना करेंगे। अगर संभव हो तो श्री गणेश की प्रतिमा का निर्माण घर पर ही करें ।

नए रूप रंग व नए कलेवर के साथ विराजित होंगे विघ्नहर्ता
बदलते दौर में गणपति को भी नया रूप देने के साथ ही उनको नए-नए सिंहासन पर विराजमान होंगे गणपति, मुर्तिकार बताते हैं कि नए दौर में भगवान गणेश भी काफी हाइटेक हो गए हैं। जब से टीवी पर उनकी कई फिल्म आ गई है तब से कलाकार गणेश मूर्ति में तरह-तरह की कारीगीरी दिखाऐ गऐ हैं। यूं तो हर साल यह होड़ लगी रहती थी कि कौन कितनी बड़ी गणेश मूर्तियां तैयार कर रहा है, लेकिन इस बार कितनी आकर्षक मूर्ति तैयार करने को लेकर होड़ है। इस बार गणेश जी को पान के पत्ते,कमल फुल, नंदी बैल , चूहे सिहासन की सवारी दी गई है। उनकी सूंड़ पर भी तरह-तरह के चित्र बनाए गए हैं। उनकी सूंड़ में मोदक का विशेष ध्यान रखा गया है, क्योंकि मोदक गणेश जी का पसंदीदा भोजन है। गणपति जी के मुकुट भी काफी आकर्षक हैं। किसी मूर्ति को राजस्थानी पगड़ी दी गई है तो कोई मूर्ति बाल गणेशा को ही लोगों का ध्यान केंद्रित कर रही है। पढ़ाई-लिखाई की अहमियत को दर्शाते हुए बप्पा की मूर्ति के हाथ में कलम व आंखों पर चश्मा पहनाया गया है।मूर्तियों को अधिक आकर्षित बनाने के लिए मूर्ति को कपड़े व आभूषण भी पहनाए गए हैं। उन पर चमकीली चीजें भी लगाई गई हैं, ताकि रात के अंधेरे में गणेश जी की छटा कम न हो।
पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए बनाई गई हैं मूर्तियां
इस बार मूर्तियां पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए बनाई गई हैं, जो पानी में जाते ही घुल जाएंगी। जल व पर्यावरण को इससे कोई हानि नहीं है। उस मिट्टी का प्रयोग पौधे लगाने में भी किया जा सकता है।
स्थानीय योग प्रचारक दीपक कुमार वर्मा ने बताया वह प्रत्येक वर्ष विघ्नहर्ता श्री गणेश जी का प्रतिमा कुम्हार के हाथों से बना हुआ मूर्ति की स्थापना करते हैं। वे गांव से 12 किलोमीटर दूर ग्राम हिरमी से कुम्हार के द्वारा बनाए गए प्रतिमा को खरीद कर लाए, जो घर में विराजमान करेंगें।