आईपीएस इंटरनेशनल स्कूल के विद्यार्थी वर्ल्ड रिकॉर्ड बुक यूनाइटेड किंगडम (यू.के.) में अपना नाम दर्ज कराया-
उमरिया-कोरोना के चलते सरकार द्वारा आदेशित सोशल डिस्टेंसिंग नियमों का पालन करते हुए, आईपीएस इंटरनेशनल स्कूल द्वारा संचालित यूसीमास के विद्यार्थियों द्वारा विश्व रिकॉर्ड बनाया गया है। ऑनलाइन के माध्यम से मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों के 529 विद्यार्थियों ने 40 मिनट की क्लास ज्वाइन कर बेसिक अबेकस कॉन्सेप्ट, स्पीड राइटिंग, रेंडम नंबर , डिक्टेशन कॉन्सेप्ट टीचिंग एंड मेंटल विजुलाइजेशन को सीखा। यहां रिकॉर्ड शनिवार 2 मई 2020 को सुबह 8:00 बजे संपन्न हुआ| और विश्व रिकॉर्ड में उमरिया के विद्यार्थी अपना नाम दर्ज करवाया|
वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकार्ड्स लिमिटेड यूनाइटेड किंगडम द्वारा उमरिया जिले से 9 विद्यार्थियों को सर्टिफिकेट और गोल्ड मैडल देकर सम्मानित किया गया| उमरिया जिले से हर्ष चतुर्वेदी, हर्षल बगड़िया, खनक खरे, कुंजल चंदेले, शची सिंह चंदेल, सोनाक्षी गुप्ता, उपेंद्र सिंह, वंश भट्ट, और योगिता गौतम ने इस वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपनी जगह बनाई है। इन सभी विद्यार्थियों को संस्था के डायरेक्टर द्वारा सम्मानित किया गया|
वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स की तरफ से मधुर टेमले एवं तिथि भल्ला द्वारा इस क्लास को वेरीफाई कर सर्टिफिकेट प्रदान किया। इस अवसर पर ब्रिटिश पार्लियामेंट के सांसद श्री वीरेंद्र शर्मा श्री दिवाकर शुक्ला चेयरमैन वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड एवं संतोष शुक्ला प्रेसिडेंट वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड द्वारा शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए, बच्चों के उज्जवल भविष्य की कामना की है ।
आईपीएस इंटरनेशनल स्कूल डायरेक्टर व यूसीमास उमरिया के डायरेक्टर श्री वसीम अकरम ने इस आयोजन की सराहना करते हुए कहा है कि हम एक दूसरे से दूर जरूर है परंतु इस आयोजन में हम सभी को पुनः नजदीक ला दिया है हम सुरक्षित भी हैं घर में भी हैं। मैं आशा करता हूं कि हम बहुत जल्दी इस कोरोना महामारी से निजात पाकर विजय होंगे एवं अपने जीवन को पुनः सुचारू रूप से सामान्य करेंगे। गौरतलब है कि यूसी मास अबेकस एजुकेशन सिस्टम आज विश्व के 80 देशों में प्रचलित है जिसमें अपने अनूठेपन से पूरे विश्व में अपनी विशेष पहचान बनाई है| इस विधा के माध्यम से 5 से 15 वर्ष तक की आयु के बच्चों के मस्तिष्क का संपूर्ण विकास किया जाता है, जिससे इन बच्चों में एकाग्रता, ग्रहणशीलता, स्मरण शक्ति, आत्मविश्वास एवं आत्म निर्भरता की वृद्धि होती है। और जिसके परिणाम स्वरूप बच्चे सिर्फ गणित ही नहीं अन्य समस्त विषयों में उत्कृष्टता हासिल करते हैं। यहां उल्लेख करना अत्यावश्यक है, की यह विधा बच्चों के साथ जीवन पर्याप्त रहती है। जिससे कि वे जीवनभर के लिए कैलकुलेटर फ्री हो जाते हैं।