बिलासपुर जिला प्रशासन द्वारा मेड़पार में गायों की मृत्यु की घटना की विभिन्न पहलुओं की जांच जारी: दोषियों पर होगी कड़ी कार्रवाई
गौठान और रोका-छेका का उद्देश्य पशुओं की सुरक्षा
सुराजी ग्राम योजना के तहत हर ग्राम पंचायत में तीन एकड़ शासकीय भूमि में खुले वातावरण में बनाये जा रहे है गोठान
गोठान में नही, स्थानीय व्यक्तियों द्वारा बंद कमरे में रखने से गायों की हुई मृत्यु
रायपुर, बिलासपुर जिले के तखतपुर विकासखण्ड के ग्राम पंचायत मेड़पार में स्थानीय व्यक्तियों द्वारा एक बंद कमरे में रखे जाने से करीब 47 गायों की मृत्यु की घटना की जिला प्रशासन बिलासपुर द्वारा विभिन्न पहलुओं की जांच की जा रही है। इस घटना में दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जा जाएगी।
राज्य सरकार द्वारा सुराजी गांव योजना के तहत बनाए जा रहे गौठान, रोका-छेका अभियान और गोधन न्याय योजना का उद्देश्य पशुधन की सुरक्षा है न कि पशुओं को किसी भी तरह की हानि पहुचाना। इस संबंध में सभी ग्राम पंचायतों को पूर्व में ही विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए गए है।
तख्तपुर के मेड़पार गांव में पशुओं की मौत की खबर का रोका छेका अभियान से कोई संबंध नहीं है । राज्य में रोका छेका अभियान विगत 30 जून को समाप्त हो गया है और रोका छेका अभियान के तहत जानवरों से फसलों को बचाने के लिये उन्हें खुले वातावरण में गौठान में रखे जाने के निर्देश दिए गए थे।
इस घटना में स्थानीय व्यक्तियों ने पशुओं को एक भवन में बंद कर के रख दिया । यह ग्राम पंचायत द्वारा निर्मित गोठान नहीं था । यह व्यवस्था गोठान की मूल परिकल्पना के ही विपरीत है और ऐसी घटनाओं से बचने के लिये ही सुराजी ग्राम योजना के तहत हर ग्राम पंचायत में तीन एकड़ शासकीय भूमि में खुले वातावरण में गोठान बनाये जा रहे है । यह दुर्घटना इस बात की आवश्यकता को और प्रतिपादित करती है कि पशुओं की सुरक्षा के लिये गौठान कितने जरूरी है । कुछ समाचार माध्यमों में गलत तथ्य प्रचारित किये जा रहे है इससे बचना चाहिये