पैडी सीड ड्रम तकनीक के प्रयोग से किसानों को मिल रहा है लाभ
रायपुर, 14 जुलाई 2020/ खेती-किसानी में आधुनिक तकनीक के प्रयोग का लाभ किसानों को मिलने लगा है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा किसानों को आधुनिक तकनीक की जानकारी देने के साथ ही विभिन्न योजनाओं के माध्यम से उनकी मदद भी की जा रही है। जिला बिलासपुर के ग्राम मुरकुटा के किसानों ने खेती में पैडी सीड ड्रम जैसे आधुनिक तकनीक से बुवाई करना शुरू कर दिया है। इसके प्रयोग से न केवल परिश्रम की बचत हो रही है बल्कि मुनाफा में भी वृद्धि हुई है।
ग्राम के किसान श्री अमित गोंड़, श्री धनुष गोंड एवं श्री शत्रुघन गोंड अपनी 50 डिसमील कृषि भूमि में पैडी सीड ड्रम से धान बुवाई कर रहे हैं। उनका कहना है कि कृषि विभाग द्वारा किसानों की हर संभव मदद की जा रही है। किसानों को नई-नई तकनीकों से अवगत कराया जा रहा है। किसानों ने पैडी ड्रम तकनीक के बारे विस्तार मे बताते हुए कहा इसमें 4 किलो बीज भरा जा सकता है। दो लाईनों के बीच की दूरी 20 से.मी. होनी चाहिए। एक बार में 8 लाईनों में धान बीज की बुवाई होगी। 50 डिसमिल के रकबे में बुवाई करने में 40 मिनट का समय लगेेगा। इतने रकबे में 8 किलो बीज लगेगा। अपने अनुभव के आधार पर श्री अमित बताते हैं कि इस तकनीक में कुछ बातों का ध्यान भी रखना होगा जिससे मेरे जैसे ही अन्य किसानों को भी इसका लाभ मिल सके। एक ड्रम में 4 किलो बीज भरा जा सकता है लेकिन बीज की पूरी भराई नहीं करना है ताकि ड्रम का वजन ज्यादा न हो और वह आसानी से खींचा जा सके। साथ ही ड्रम के अंदर घूमने के लिए जगह मिल पाए ताकि बीज छेद से आसानी से गिर सके। धान को अंकुरण के लिए 24 घ्ंाटा ही भिगाना चाहिए ताकि अंकुरण ज्यादा बड़ा न हो और बीज छेद से आराम से गिर सके।
उन्होंने बताया कि पडलिंग कार्य एक दिन पहले करना चाहिए। ड्रम चलाने के पहले अतिरिक्त पानी निकाल लेना चाहिए। बहुत डीप पडलिंग करने से ड्रम को खींचने में ज्यादा ताकत लगेगी जिससे कार्यक्षमता घट सकती है। श्री अमित कहते हैं कि इन सावधानियों के साथ बुवाई करने से निश्चित तौर पर बेहतर परिणाम आएंगे। किसानों ने सरकार द्वारा दिए जा रहे सहायता की सराहना करते भी कहा कि आज प्रदेश में किसानों की स्थिति बेहतर है।