November 23, 2024

लघु वनोपजों के संग्रहण में देश में छत्तीसगढ़ का स्थान अव्वल

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राज्य में संग्रहण का वार्षिक लक्ष्य छह माह में ही हुआ हासिल

अब तक १०५ करोड़ के संग्रहण में से चालू सप्ताह में ही २९ करोड़ का संग्रहण

रायपुर/08 जुलाई 2020। प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता मो. असलम ने बताया कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व और वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर के मार्गदर्शन में राज्य में लघु वनोपजों का संग्रहण जोरों पर है और चालू सीजन के दौरान अब तक देश के अन्य राज्यों की तुलना में छत्तीसगढ़ लगातार अव्वल बना हुआ है। इसके परिणाम स्वरूप राज्य में लगभग १०० करोड़ रूपए की राशि के लघु वनोपजों के वार्षिक संग्रहण लक्ष्य को छह माह पहले ही हासिल कर लिया गया है, जो छत्तीसगढ़ के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

’द ट्राइबल कोऑपरोटिव मार्केटिंग डेवलपमेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (ट्राईफेड)्य द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ में जुलाई के प्रथम सप्ताह तक की स्थिति में १०४ करोड़ ७४ लाख रूपए की राशि के ४६ हजार ३९ मीट्रिक टन लघु वनोपजों का संग्रहण हो चुका है, जो देश के सभी राज्यों में सर्वाधिक है। इनमें जून माह के अंतिम सप्ताह तक ७६ करोड़ रूपए की राशि के ७१ हजार ५८२ मीट्रिक टन लघु वनोपजों का संग्रहण हुआ था और चालू सप्ताह में ही २९ करोड़ रूपए की राशि के १४ हजार ४५८ मीट्रिक टन लघु वनोपजों का संग्रहण किया गया है। 

प्रदेश प्रवक्ता मो. असलम ने बताया कि इसी तरह देश के अन्य राज्यों में अब तक लगभग १४० करोड़ रूपए की राशि के ६४ हजार ९६३ मीट्रिक टन लघु वनोपजों का संग्रहण किया गया है। इनमें छत्तीसगढ़ के बाद ओड़िशा में २८ करोड़ रूपए की राशि के १३ हजार ३६७ मीट्रिक टन, तेलंगाना में २ करोड़ २६ लाख रूपए के ४ हजार ७६९ मीट्रिक टन तथा गुजरात में एक करोड़ ७३ लाख रूपए के १९६ मीट्रिक टन लघु वनोपजों का संग्रहण हुआ है। इसी तरह मध्यप्रदेश में ८२ लाख रूपए के २३२ मीट्रिक टन, झारखण्ड में ६१ लाख रूपए के ३३ मीट्रिक टन, आन्ध्रप्रदेश में ५३ लाख रूपए के ९६ मीट्रिक टन तथा असम में २७ लाख रूपए के ४७ मीट्रिक टन लघु वनोपजों का संग्रहण हुआ है। इसके अतिरिक्त पश्चिम बंगाल में २६ लाख रूपए के ९५ मीट्रिक टन, कर्नाटक में २४ लाख रूपए के ११ मीट्रिक टन, महाराष्ट्र में २० लाख रूपए के ७१ मीट्रिक टन तथा राजस्थान में छह लाख रूपए की राशि के ६ मीट्रिक टन लघु वनोपजों का संग्रहण किया गया है।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता मो. असलम ने बताया कि राज्य में चालू वर्ष में न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना के अंतर्गत संग्रहित लघु वनोपजों में इमली (बीज सहित), पुवाड़ (चरोटा), महुआ फूल (सूखा), बहेड़ा, हर्रा, कालमेघ, धवई फूल (सूखा), नागरमोथा, इमली फूल, करंज बीज तथा शहद शामिल हैं। इसके अलावा बेल गुदा, आंवला (बीज रहित), रंगीनी लाख, कुसुमी लाख, फुल झाडु, चिरौंजी गुठली, कुल्लू गोंद, महुआ बीज, कौंच बीज, जामुन बीज (सूखा), बायबडिंग, साल बीज, गिलोय तथा भेलवा लघु वनोपज भी इसमें शामिल हैं। साथ ही हाल ही में भूपेश सरकार के विशेष निर्देश पर वन तुलसी बीज, वन जीरा बीज, ईमली बीज, बहेड़ा कचरिया, हर्रा कचरिया तथा नीम बीज को भी इस योजना में शामिल किया गया है।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता मो. असलम ने बताया कि छग में न्यूनतम समर्थन मूल्य योजनांतर्गत वनोपज के संग्रहण से वनवासियों को ना सिर्फ रोजगार मिल रहा है बल्कि उनके जीवन स्तर को सुधारने की दिशा में बेहतर कार्य भी हो रहा है। भूपेश सरकार द्वारा लघुवनोंपज के समर्थन मूल्य में वृद्धि किये जाने से वनांचल में हर्ष एवं उल्लास का माहौल है। इससे वनक्षेत्र में रहने वालों की जरुरतें पूरी हो रही है और उन्हें वनोपज का पर्याप्त दर भी प्राप्त हो रहा है। जिससे वनोपज के संग्रहण को लेकर उनमें उत्साह एवं रूचि बढ़ी है। यही कारण है कि राज्य में संग्रहण का लक्ष्य छः माह में हासिल हो गया है, जो कि अपने आप में राज्य के लिए महान गर्व का विषय है।
कांग्रेस पार्टी ने सरकार की नीतियों के कारण मिली सफलता एवं वनवासियों को मिल रहे स्वरोजगार के लिये भूपेश बघेल सरकार को बधाई दी है।

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