सफाई कर्मचारी की कमी
नगर पालिका के पास लगभग 70 से 80 सफाई कर्मचारी है। यह कर्मचारी रोजना सुबह से ही सफाई पर जुट जाते हैं। सफाई कर्मचारी केवल सडकों पर पडे कचरों की साफ सफाई करते है, और कई जगह सडक किनार कचरों की ढेर छोड देते है। अधिक कर्मचारी नालियों की सफाई की तरफ ध्यान नहीं देते। जिससे नालियों मे पडी गंदगी सडनें के बाद महकनें लगती है सालों से नालियों में कचरा जाम रहता है। यदि नालियों में कचरा न डालने की प्रवृत्ति लोगों में आ जाती है तो यह 20 कर्मचारी सफाई में जुट सकते हैं। मतलब दो तीन वार्ड सफाई एक दिन में और हो सकेगी।
दुकानों का कचरा सड़क पर
मेन मार्केट लाइन में बड़ी संख्या में दुकानें हैं। यहां पर ही सबसे अधिक कचरा निकलता है। इसके लिए ही चार माह पूर्व नगर पालिका द्वारा कचरा रिक्शा प्रारंभ किया गया। लेकिन इस अभियान में व्यापारियों का सहयोग अपेक्षाकृत नहीं मिल पा रहा है। व्यापारी आज भी कचरा सीधे सड़कों पर छोड़ देते हैं या फिर नालियों में डाल देते हैं।
लोगों को नहीं मिल रही सुविधा
70 फीसदी लोग नहीं चाहते कि वह कचरा इधर-उधर फेंके, लेकिन उनके पास कोई विकल्प नहीं है। वार्डों में घरों के सामने कचरा पेटी है और न ही कूड़ादान। ऐसे में उनके पास किसी खाली जगह में कचरा फेंकने के अलावा कोई विकल्प नहीं रहता। यह कचरा बढ़ते हुए सड़कों पर फैलता है या फिर नाली में जाता है।
ताख पर रख करता है यहा काम
एक तो हमारे देश के प्रधान मंत्री स्वच्छ भारत के सपने देख रहे हैं। और पता नहीं कितना पैसा प्रचार में ख़त्म कर दिया हैं। और कितनों से अपील की है पर कोरिया जिला मुख्यालय में इसका उलटा हो रहा है। पता नहीं किसकी लापरवाही है। या तो हमारे नगर अध्यक्ष के संज्ञान में नहीं है। या फिर सफाई कर्मी अपनी मन मानी कर रहे हैं । पिछले दो वर्षों से यह दिख रहा है। सफाई कर्मी अपना काम ठीक से नहीं कर रहे हैं। जिसका खामियाज़ा नज़दीकी दूकान दारों और राहगीरों को भुगतना पड़ रहा है। यह बात इस लिए समझ मे नहीं आ रही क्योकि कि यहां पर नपा मे राज्य व केन्द्र के विपक्ष की शासन है और राज्य व केन्द्र मे शासन के पार्षद नपा शासन के पक्ष मे समझौता कर लिए है। किसी किसी भाजपा समर्थक पार्षदों के वार्ड़ो मे पिछले दो दिन पहले सफाई कर्मी आये और नालियों की सफाई की । और मलबा वहीँ छोड़ कर चले गए। और मलबा जब सूखा तो कुछ रोड मे और कुछ वापस नालियों में जाने लगा ।
मुख्यालय में स्वच्छता अभियान की बुरी हालत
कई वार्डो का बुरा हाल मलवे और कीचड़ से भरीं नालियाँ सहित पार्कों में नहीं है कोई सफाई कर्मी
गांधी जयंती के दिन देश भर में बड़े ही जोर-शोर से स्वच्छ भारत अभियान मनाया गया था। जमीनी स्तर पर शायद आज भी स्वच्छ भारत अभियान गायब है। स्वच्छता की ये पहल शायद अभी कैमरों की चका-चौंध तक ही सीमित है। समय-समय पर नेता और बाबू कैमरे के सामने झाड़ू लिये जरूर नज़र आ जाते हैं। लेकिन जमीनी स्तर से अभी तक स्वच्छता हवा-हवाई है। मुख्यालय के तलवापारा, प्रेमाबाग व मुख्लालय के हृदय स्थल की नालियों से आति बदबु स्वच्छता अभियान की जमीन स्तर पर पड़ताल की और नतीजा आपके समाने है।
गंदगी में दम तोड़ती स्वच्छता
मुख्यालय के नपाध्यक्ष का वार्ड सांथ ही पडोस जामपारा में जब हमने स्वच्छ भारत अभियान की हकीकत जानी। पूरे इलाके में गंदगी पसरी हुई है। जगह-जगह नालियाँ मलवे से भरी हुंई है। लोगों का कहना है कि सफाई कर्मी कभी कभार ही इलाके में नज़र आते हैं। वो भी खाना पूर्ती करके चलते बनते हैं।
टॉयलेट बना गटर
पुरानें नपा कार्यालय से सटे हुऐ टॉयलेट की हालत गंदगी से इतनी खराब है कि अगर आम आदमी उसे इस्तेमाल करे तो वो बेहोश हो जाये। लोगों के मुताबिक टॉयलेट छह-छह महीनों तक साफ नहीं होता। कोई भी कर्मचारी उसकी देखरेख के लिए नहीं है। जिसकी वजह से चारो तरफ बदबू ही बदबू रहती है।
गंदगी में पार्क
इलाके के पार्क भी गंदगी से अछूते नहीं है। पार्कों में कोई सफाई कर्मचारी तैनात नहीं किया गया है। जिसकी वजह से यहाँ के पार्कों में कूड़ा-कचरा फैला रहता है। अनुराग दुबे बताते हैं, कि ये पार्क नपा शासन अंडर आता है। विभाग ने एक भी सफाई कर्मचारी नियुक्त नहीं किया है। इलाके के पार्कों की सफाई व्यवस्था को राम भरोसे छोड़ा हुआ है। गंदगी की वजह से हम पार्क में घूम भी नहीं सकते।
पानी फिल्टर बना कचरा घर
मुख्यालय नपा का पानी फिल्टर जहां से नगर वाशियों को पीनें के पानी की सप्लाई की जाती है वहां पर कचरा घर बना दिया गया है। नपा शासन व प्रशासन के द्वारा नगर से निकलनें वाला सुखा व गीला कचर अब भट्टीपारा स्थित पानी फिल्टर मे रखा जानें लगा है। नपा शासन के द्वारा बजारपारा स्थित जोडा तालाब के पास भी नगर का कचरा डंप कराया जा रहा है जिससे बजार मे सब्जी बेंचने आए लोगों को दुर्गंध के बीच बैठ कर अपना जीवनयापन करना पड रहा है।