हाथियों की मौत पर प्रदेश सरकार और वन मंत्रालय कन्फ्यूज़ करके मामले की लीपापोती में जुटा है : भाजपा
हाथियों की मौत किन परिस्थितियों में हुई, इसकी उच्चस्तरीय जांच की जानी चाहिए : गागड़ा
हाथियों की असमय मौत चिंताजनक, जाँच समिति गठित कर निश्चित समय-सीमा में रिपोर्ट पेश करने कहा जाए
रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के नेता और प्रदेश के पूर्व मंत्री महेश गागड़ा ने प्रदेश के सरगुजा संभाग में हाल में तीन हाथियों की मौत को लेकर प्रदेश सरकार और वन मंत्रालय की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया है। सूरजपुर और बलरामपुर इलाके में तीन दिनों के भीतर तीन हाथियों की मौत पर चिंता व्यक्त करते हुए श्री गागड़ा ने कहा कि हाथियों की मौत किन परिस्थितियों में हुई, इसकी उच्चस्तरीय जांच की जानी चाहिए। इनमें एक मादा हाथी 22 माह की गर्भवती भी थी।
पूर्व मंत्री श्री गागड़ा ने कहा कि इस मामले की तह तक जाकर इसकी सूक्ष्म जाँच इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि प्रदेश सरकार का वन विभाग इस मामले में प्रदेश को कन्फ्यूज़ कर रहा है। विभागीय अधिकारी कभी इन हाथियों की मौत की वज़ह लीवर की तक़लीफ़ को बता रहे हैं तो कभी प्रसव-पीड़ा को मौत का कारण बता रहे हैं, कभी वे कहते हैं कि हाथियों के मुँह से झाग निकल रहा था तो कभी वे हाथियों के आपसी द्वंद्व को मौत की वज़ह बता रहे हैं। श्री गागड़ा ने कहा कि अभी हाल ही में केरल में एक गर्भवती मादा हाथी की विस्फोट के चलते हुई मौत ने पूरे देश को विचलित कर दिया था, लेकिन छत्तीसगढ़ में तीन-तीन हाथियों की मौत पर प्रदेश सरकार और उसका वन मंत्रालय न केवल चुप्पी साधे बैठा है, अपितु कन्फ्यूज़ करके मामले की लीपापोती के प्रयास में भी जुटा हुआ दिख रहा है।
पूर्व मंत्री श्री गागड़ा ने कहा कि प्रदेश सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि सरगुजा संभाग में तीन-तीन हाथियों की मौत किन परिस्थितियों में हुई और यदि यह हत्या का मामला है तो इस पर प्रदेश सरकार क्या कार्रवाई कर रही है? इसके लिए प्रदेश सरकार एक जाँच समिति गठित कर तथ्यों का ख़ुलासा करे। जाँच समिति में ऐसे लोग कतई न हों जिनके इस मामले में ज़रा भी संलिप्त होने का अंदेशा हो अथवा इस मामले में वे अनावश्यक रुचि ले रहे हों। इस आशंका को भी जाँच के दायरे में लिया जाना चाहिए कि क्या इन हाथियों को शिकार की बदनीयती के चलते ज़हर दिया गया था? श्री गागड़ा ने कहा कि इस जाँच समिति को एक निश्चित समय-सीमा में अपनी रिपोर्ट पेश करने को कहा जाए क्योंकि प्रदेश सरकार ने इससे पहले जितनी भी जाँच समितियाँ और एसआईटी गठित की है, अब तक के 18 माह के कार्यकाल में एक भी मामले की जाँच रिपोर्ट सामने नहीं आई है। श्री गागड़ा ने कहा कि प्रदेश में इस तरह हाथियों की असमय मौत चिंताजनक है, वहीं प्रदेश में हाथियों के संरक्षण व संवर्धन में विशेष ध्यान देने की जरूरत है। श्री गागड़ा ने कहा कि प्रदेश में इस मामले में भी दुर्व्यवस्था का आलम यह है कि इस बार हाथी समेत अन्य वन्य जीवों के पीने के लिये सुरक्षित ज़ोन भी नही बनाया गया है। उन्होंने इस बिंदु को भी जांच में शामिल करने की मांग की है।