बेमेतरा : ममता की छाव से ……. सुपोषण की ओर … आओ बढ़ाये सहयोग का एक कदम…
बेमेतरा :यह कहानी ग्राम कुंरा निवासी युवराज की है युवराज के पिता विरेन्द्र कोशले, माता बबिता कोशले एवं भाई, दादा-दादी, चाचा-चाची संयुक्त परिवार में रहते है पूरा परिवार अपनी खुशहाल जिदंगी व्यतीत कर रहे थे। युवराज प्रतिदिन आंगनबाड़ी में आने वाला मासूम प्यारा बच्चा है। बचपन की खुशिया परिवार का प्यार दुलार युवराज व उसके भाई को मिलता था। पर अचानक एक दिन ऐसी अनहोनी हो गई जिससे पुरा परिवार गम में डुब गया। माह दिसंबर में युवराज की माॅं बबिता दुनिया से चल बसी। उनके जाने से घर-परिवार मे एक उदासी का माहोल छा गया।
पुरा परिवार इस हादसे से परेशान व चिंतित हो गया। चुंकि युवराज छोटा था उसे तो यह भी नहीं पता लगा उसकी माॅं अब इस दुनिया में नही रही उसके सिर से ममता की छांव अब हट चुकी थी। वह बार-बार माॅं को पुछता पर किसी के पास संतोषप्रद जवाब नहीं मिलता था। युवराज म नही मन अपनी माॅं को ढूढता रहता था। उनकी कमी को दिन रात महसूस करने लगा। जिसके कारण वह उदास रहने लगा। खाने खेलने व बात करने से उनकी रूचि हटने लगी। मैंने कई बार युवराज से बात की उसकी मन की बातों को जानने की पर बार-बार अपनी माॅं को पुछता जिसका जवाब हममे से किसी के पास नहीं था। इस दुखद घटना से हम सभी बहुत दुखी व हताश थे।
स्थानीय परिवेक्षक श्रीमती रानू मिश्रा का कहना है कि मेरे सामने युवराज बचपना व उसके चेहरे की मुस्कान कैसे लाये यह बहुत बड़ा प्रश्न था। हमने युवराज के प्रति ज्यादा ध्यानाकर्षण किया वह मानसिक स्तर से दुखी तो था ही अब उसका शारीरिक स्तर भी कम होने लगा युवराज की उम्र 3 वर्ष 6 माह है। माह नवम्बर में युवराज का वजन 11 किलो 800 ग्राम था जो मध्यम कुपोषित को दर्शा रहा था। इसी तरह दिसंबर व जनवरी में वजन में कोई वृद्धि नहीं हो रही थी।
जो कि एक चिंताजनक स्थिति थी मैंने व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कुमारी बाई ने लगातार निगरानी रखी इसी बीच मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के अंतर्गत जन सहयोग से पौष्टिक सामग्रियों का वितरण आंगनबाड़ी केन्द्र पर श्री दिनेश शुक्ला सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा किया जा रहा था। इसका लाभ युवराज को भी दिलाया गया। इसके साथी-साथ आंगनबाड़ी केन्द्र में भोजन व नाश्ता भी दिया जा रहा था। मैं जब भी आंगनबाड़ी जाती सभी बच्चों के साथ खेलती व बात चीत करती थी। धीरे-धीरे युवराज से भी ज्यादा बातें करती थी अब वह खुलकर बात करने लगा था और बच्चों के साथ घुल मिलकर खेलने लगा। उसका बचपना धीरे-धीरे वापस आने लगा। युवराज का वजन भी बढ़ गया अब उसका वजन 12 किलो 300 ग्राम हो गया जो कि एक सामान्य स्थिति को दर्शाता है। युवराज की देखभाल में उनकी चाची का विशेष सहयोग रहा अब स्वस्थ्य हो गया। इस तरह हमने युवराज को ममता की छांव से सुपोषण की ओर अग्रेषित किया।