छत्तीसगढ़ राज्य का स्थापना दिवस, 17 सालों में हमने क्या खोया क्या पाया….
जोगी एक्सप्रेस
छत्तीसगढ़ आज हम हमारे छत्तीसगढ़ राज्य का स्थापना दिवस मना रहे है। आज से 17 साल पूर्व छत्तीसगढ़ राज्य अस्तित्व में आया था, इन 17 सालों में हमने क्या पाया क्या खोया यह समझने का अवसर है।
अगर हम यह कहें कि कुछ नहीं हुआ तो गलत होगा, क्योंकि शुरूआती 4000 करोड़ का बजट बढ़कर 82000 करोड़ तक पहुंच गया, पैसे खर्च हो रहे है इसलिए विकास भी दिखता है जिसमें कोई संदेह नहीं है।
परंतु छत्तीसगढ़ और उसके लिए संघर्ष करने वाले महापुरुषों की कल्पना अधूरी रह गई। छत्तीसगढ़ किसानों का प्रदेश है किंतु पिछले 17 वर्षों में किसान और किसानी सर्वाधिक संकट में है, खेती का रकबा घटा है, खेती घाटे का धंधा हो गया, या फिर यूँ कहें कि, आत्म निर्भर किसान सम्मान पूर्वक जीवन के लिए संघर्ष रत हैं। बड़ी तादात में उपलब्ध युवा पीढ़ी बेरोजगारी का शिकार है, शिक्षा गुणवत्ता विहीन है जिसके परिणाम स्वरूप युवा कुंठित हैं।
वार्षिक आय बढ़ी किन्तु गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले 18 लाख से बढ़कर 59 लाख हो गए, आम आदमी के स्थान पर पूंजीपतियों की सुविधा को प्राथमिकता दी गई। आज भी पोषण, चिकित्सा, शिक्षा, पेयजल जैसी मूलभूत आवश्यकता से आम लोग वंचित है। शराबखोरी और उससे होने वाली हानि बहुत बढ़ गई है और इधर सरकार स्वयं ही शराब बेच रही है।
तकनीकी शिक्षा और विकास के साथ ही साथ ही हमें छत्तीसगढ़ की आत्मा की आवाज़ को भी सुनना और समझना होगा। कृषि को मजबूती और आधुनिक तकनीकी प्रदान किया जाय, आर्थिक आधार पर शिक्षा का व्यापार बन्द कर समान शिक्षा और अवसर प्रदान किए जाएँ। सभी को चिकित्सा मिले यह सुनिश्चित करना चाहिए, वनवासियों को जल, जंगल और जमीन का अधिकार और सुरक्षा का अधिकार मिलना चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण है कि सबके साथ न्याय होना चाहिए, जीने का अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार, आगे बढ़ने और विकास करने का अधिकार मिलना चाहिए ।
छत्तीसगढ़ अपनी सादगी और भोलेपन के लिए जाना जाता है, यहाँ के लोग सौम्य स्वभाव के धनी हैं, मिलनसार हैं, सभी विचारों को आत्मसात करने की प्रवित्ति हमारी ताकत है। यह अक्षुण रहे हम सुख और दुख बांट कर भोगें, अपनी संस्कृति की रक्षा करें तभी छत्तीसगढ़ बनाने का उद्देश्य पूरा होगा ।
राज्य स्थापना दिवस की बधाई एवं शुभकामनाएँ