सड़क पर पहरेदारी कर रहे रक्षक अब अस्पताल में ब्लड डोनेट कर भी बचा रहे हैं जान: दिल्ली हिंसा
नई दिल्ली
राजधानी दिल्ली की सड़कों पर जब नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोधी और समर्थक भिड़े तो हिंसा में कई घरों के चिराग बुझ गए। किसी ने अपनों को खोया, तो कोई अपनों को अस्पताल में मौत और जिंदगी के बीच जूझता देख रहा है। दिल्ली की इसी सड़क पर हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल की दंगाइयों ने जान ले ली, तो गंभीर रूप से घायल डीसीपी अमित शर्मा का अस्पताल में इलाज चल रहा है। पैरा मिलिटरी फोर्स उत्तर-पूर्वी दिल्ली के हिंसा प्रभावित इलाके में सुरक्षा तो दे ही रही है वहीं सीआरपीएफ जवानों ने अपने घायल साथियों और दिल्लीवासियों की मदद के लिए ब्लड डोनेट किया है।
30 से अधिक सीआरपीएफ जवानों ने जीटीबी अस्पताल में रक्तदान किया है ताकि घायलों के इलाज में खून की कमी न हो। अधिकारियों ने बताया कि मंगलवार को पैरामिलिटरी के 50 जवानों को अस्पताल भेजा गया, जिनमें से 34 ने रक्तदान किया। बाकियों को स्टैंडबाय पर रखा गया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'जीटीबी अस्पताल के ब्लड बैंक में पर्याप्त ब्लड मौजूद रहे, इसके लिए डोनेट किया गया, जहां मंगलवार से दिल्ली दंगे में घायल हुए लोगों को भर्ती कराया गया है।' बता दें कि हिंसा में मरने वालों की संख्या गुरुवार को बढ़कर 36 हो गई है और 200 से अधिक लोग घायल हों। हिंसा में अब तक 18 एफआईआर दर्ज की गई है जबकि 106 लोगों को अरेस्ट किया गया है। मामले पर एसआईटी गठित कर दी गई है।
इस बीच,सीएपीएफ के 1500 सुरक्षाकर्मियों ने एम्स की तरफ आयोजित कैम्प में गुरुवार को ब्लड डोनेशन कैम्प में हिस्सा लिया। सीएपीएफ के अंतर्गत आने वाले सीआरपीएफ, बीएसएफ, सीआईएसएफ और आईटीबीपी के कर्मियों ने ब्लड डोनेट किया है। सीएपीएफ के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इसमें सीरआरपीएफ के 500 कर्मी, सीआईएसएफ के 400, बीएसएफ के 350 और आईटीबीपी के 100 सुरक्षाकर्मियों ने ब्लड डोनेट किया है।
सीआईएसएफ के डायरेक्टर जनरल राजेश रंजन, बीएसएफ के चीफ वी के जौहरी और आईटीबीपी के डी जी एस एस देसवाल एम्स के ब्लड डोनेशन ड्राइव में अपनी टीम का नेतृत्व कर रहे थे।